राज्य सरकार द्वारा शहरी निकायों की स्वच्छता में सुधार लाने हेतु किए जा रहे हैं महत्वपूर्ण प्रयास

> उ0प्र0 राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के प्रख्यापन का निर्णय मंत्रिपरिषद ने लिया है।


> स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत निर्मित लगभग 09 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आई0एच0एच0एल0) का सेप्टेज प्रबन्धन भी अत्यन्त आवश्यक।


> उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के माध्यम से (एकीकृत/स्टैण्ड अलोन) ट्रीटमेण्ट की व्यवस्था किए जाने का है प्रस्ताव।



लखनऊ। राष्ट्रीय शहरी स्वच्छता नीति-2008 के अनुसार शहरों को स्वच्छ एवं रहने योग्य बनाने की प्रतिबद्धता तथा वर्ष 2017 की राष्ट्रीय सेप्टेज प्रबन्धन नीति व ओ0डी0एफ0++ के स्वच्छ भारत मिशन के दिशा-निर्देशों और शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीवर एवं सैप्टिक टैंक की सफाई के लिए जारी स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर में उल्लिखित प्राविधानों एवं निर्देशों के क्रम में शहर में रहने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता हेतु भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्तर प्रदेश में एक पंचवर्षीय उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति (वर्ष 2019-23) प्रख्यापित की जा रही है। सेप्टेक प्रबन्धन नीति का लक्ष्य वर्ष 2023 तक राज्य के शहरी क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता में सुधार और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है। इसका उद्देश्य शहरों में सेप्टेज उपचार प्रणालियों के निर्माण और संचालन हेतु स्थानीय क्षमता को बढ़ाना और सिस्टम के प्रभावी और टिकाऊ होने में आवश्यक व्यवहार परिवर्तन तथा सहायक वातावरण को बढ़ावा देना है। इस नीति से नगर के गरीबों तथा निरन्तर ऑनसाइट स्वच्छता सेवाओं की जरूरतों के लिए लक्षित जवाबदेही प्रदान की जाएगी। प्रतिवर्ष 5558 एम0एल0डी0 अपशिष्ट जल प्रबन्धन और 13.7 एम0एल0डी0 सेप्टेज के उपचार से सभी निकायों के तत्काल पारिस्थितिकीय तंत्र में प्रदूषण भार कम होगा। उत्तर प्रदेश राज्य में 652 नगर निकाय हैं, जिनकी अनुमानित आबादी 4.9 करोड़ (वर्ष 2018 के अनुसार) है। राज्य सरकार द्वारा शहरी निकायों की स्वच्छता में सुधार लाने हेतु महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में अपशिष्ट जल प्रबन्धन हेतु 3298.84 एम0एल0डी0 की क्षमता के सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट (एस0टी0पी0) प्रदेश में उपलब्ध हैं एवं इसके अतिरिक्त 1281.33 एम0एल0डी0 के एस0टी0पी0 का निर्माण विभिन्न चरणों में है। पिछले 03 वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत निर्मित लगभग 09 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आई0एच0एच0एल0) का सेप्टेज प्रबन्धन भी अत्यन्त आवश्यक है। राज्य में 72 लाख ऑन-साइट स्वच्छता प्रणालियों पर आधारित शौचालय हैं, (जिसमें 610 नगर निकाय पूर्णत: सेप्टिक टैंक पर निर्भर हैं), जो लगभग 5558 एम0एल0डी0 सेप्टेज उत्पन्न करते हैं। प्रदेश के जिन 48 नगरों में सीवर लाइन अथवा एस0टी0पी0 की सुविधा उपलब्ध है अथवा उपलब्ध करायी जा रही है, उन नगरों की बड़ी आबादी द्वारा भी सीवर नेटवर्क के अधूरा होने के कारण सेप्टिक टैंक युक्त शौचालय का ही उपयोग किया जाना है। नागरिकों द्वारा अपने आवासीय परिसर में निर्मित सेप्टिक टैंक की सफाई सामान्यतः उसके भर जाने पर कराई जाती है। प्रत्येक 05 वर्ष के अन्तराल में सेप्टिक टैंक खाली न करने से इन सेप्टिक टैंकों से निकलने वाला जल अत्यधिक दूषित होता है और छोटी नाली, बड़े नालों के माध्यम से अंततः नदी में मिलता है और नदी को भी प्रदूषित करता है। ऐसे सेप्टिक टैंकों की सफाई अप्रशिक्षित मजदूरों से कराई जाती है, जिससे प्रायः दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। वर्तमान में प्राइवेट लोगों द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कर नाले, तालाब, खेत अथवा नदियों में डाल दिया जाता है। इन अनुपचारित सेप्टेज के कारण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसका समाधान किए जाने हेतु गम्भीर प्रयास की आवश्यकता है। इन तथ्यों के दृष्टिगत नगर विकास विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सेप्टेज प्रबन्धन नीति के माध्यम से (एकीकृत/स्टैण्ड अलोन) ट्रीटमेण्ट की व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव है। राज्य में भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप एक सार्थक पंचवर्षीय सेप्टेज प्रबन्धन नीति (2019-2023) तैयार की गई है।


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