किसानों के कल्याण और देश की प्रगति में कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका है अत्यंत महत्वपूर्ण: नरेन्द्र सिंह तोमर


  • कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के कार्यालय भवन का शिलान्‍यास किया।

  • एसएसआरबी को दिया गया है स्‍वायत्‍त निकाय का दर्जा।



नई दिल्ली (का ० उ ० सम्पादन)। केन्‍द्रीय कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने सोमवार को नई दिल्‍ली स्थित पूसा कैंपस में कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (एएसआरबी) के नये कार्यालय भवन का शिलान्‍यास करते हुए कहा कि पुनर्गठित एएसआरबी पारदर्शी एवं सुव्‍यवस्थित प्रक्रिया के जरिए सक्षम एवं योग्‍य कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्‍होंने कहा कि कृषि देश के लिए विशेष अहमियत रखती है और सरकार का उद्देश्‍य कृषि उत्‍पादन, किसानों की आमदनी और कृषि निर्यात में बढ़ोतरी सुनिश्चित कर कृषि अर्थव्‍यवस्‍था को बेहतर बनाना है। इस लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए मेहनती किसानों, उनके समुचित प्रशिक्षण, गुणवत्‍तापूर्ण बीजों की उपलब्‍धता, बेहतर उपकरण, उर्वरकों के उचित उपयोग के लिए किसानों की जागरूकता इत्‍यादि अत्‍यंत आवश्‍यक है। हालांकि, इन सभी के साथ-साथ इस लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से बहुमूल्‍य योगदान भी अत्‍यंत जरूरी है। इस लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए एएसआरबी को उचित समय पर पर्याप्‍त संख्‍या में सक्षम एवं योग्‍य कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्‍धता में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी है, ताकि उनकी समुचित भर्ती प्रक्रिया और पदोन्‍नति सुनिश्चित की जा सके। श्री तोमर ने कहा कि सरकार एसएसआरबी के विशेष महत्‍व से अवगत है, जिसे ध्‍यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में अगस्‍त 2018 में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के जरिए इसे स्‍वायत्‍त निकाय का दर्जा दिया गया है। इस निर्णय के परिणामस्‍वरूप अद्यतन भर्ती नियमों और वैज्ञानिकों की सुव्‍यवस्थित चयन प्रक्रिया के साथ इसका पुनर्गठन किया गया, ताकि देश भर के विभिन्‍न संस्‍थानों में वैज्ञानिकों की निर्बाध भर्ती सुनिश्चित की जा सके। एएसआरबी की शुरुआत से लेकर अब तक के 45 वर्षों में इसकी भर्ती प्रक्रिया में कई बार संशोधन किए गए हैं, वैज्ञानिकों की भर्ती में तेजी लाई गई तथा प्रशासनिक बदलाव किये गये हैं, जिससे यह पता चलता है कि सरकार कृषि अनुसंधान को कितना महत्‍व देती है। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा उच्‍च गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए मंत्री ने अधिकारियों से आधुनिक प्रौद्योगिकी जैसी आवश्‍यकताओं के उपयोग को न टालने को कहा। इससे बेहतर भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित होगी, जिससे अनुसंधान और बेहतर हो पाएगा तथा कृषि क्षेत्र की बेहतरी का मार्ग प्रशस्‍त होगा। इससे भारत एक समृद्ध एवं मजबूत राष्‍ट्र बन पाएगा। 



इस अवसर पर आईसीएआर (इंडियन कॉउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) के महानिदेशक और डीएआरई (डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन) के सचिव त्रिलोचन मोहापात्रा ने एएसआरबी के प्रयासों की सराहना की, जिसने आईसीएआर तथा अन्‍य संस्‍थानों के लिए अब तक 6000 से भी अधिक वैज्ञानिकों की भर्ती की है। उन्‍होंने यह भी उम्‍मीद जताई कि पिछले दो वर्षों से जारी विचार-विमर्श के बाद भर्ती प्रक्रिया को सुव्‍यवस्थित करने से योग्‍य अभ्‍यर्थियों के चयन में तेजी आएगी तथा कृषि वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं रहेगी। एएसआरबी के सचिव ए के मिश्रा ने कहा कि भर्ती के तहत दो प्रमुख उद्देश्‍यों वैज्ञानिक कौशल एवं शोध संबंधी योग्‍यता को ध्‍यान में रखते हुए समग्र आकलन सुनिश्चित करने पर फोकस किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया का डिजिटलीकरण प्रभावकारी ढंग से जारी है तथा ऑनलाइन आवेदन के लिए एक विशिष्‍ट प्रणाली पहले ही अमल में ला दी गई है। श्री मिश्रा ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्‍येक भर्ती प्रक्रिया को छह महीनों की अवधि में पूरा कर लिया जाएगा, जिससे भर्ती में देरी की समस्‍या का निराकरण हो जाएगा। प्रस्‍तावित भवन 2.05 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा, जिसमें भूतल के अलावा तीन तल होंगे। इसका निर्मित क्षेत्र (बिल्‍ट-अप एरिया) 4900 वर्गमीटर तथा हरित क्षेत्र 2730 वर्गमीटर होगा। नये निर्माण के लिए निर्दिष्‍ट पर्यावरण अनुकूल एवं ऊर्जा बचत उपायों पर दिए जा रहे विशेष जोर को ध्‍यान में रखते हुए इस भवन को हरित इमारतों से जुड़ी गृहा-5 स्‍टार रेटिंग के अनुरूप बनाया जाएगा। इस भवन की डिजाइनिंग कुछ इस तरह से की गई है कि यहां पर अत्‍यधिक प्राकृतिक रोशनी संभव हो पाएगी, जिससे ऊर्जा की आवश्‍यकता स्‍वत: ही कम हो जाएगी। ऊर्जा की आवश्‍यकताओं की पूर्ति सोलर पैनलों के जरिए की जाएगी और इसके साथ ही वर्षा जल के संचयन तथा अपशिष्‍ट में कमी की व्‍यवस्‍था की गई है। समूचे अग्रभाग को इस तरह से ताप-रोधी किया जाएगा, जिससे भवन के अंदर सूरज की गर्मी अपेक्षाकृत कम मात्रा में जाएगी। इसी तरह अपेक्षाकृत कम ताप सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की सामान्‍य ईंटों के बजाय एएसी ब्‍लॉकों का उपयोग किया जाएगा। भवन के अंदर मौजूद हवा की गुणवत्‍ता बढ़ाने के लिए कम वीओसी वाले पेंट और पॉलिश का उपयोग किया जाएगा। उम्‍मीद की जा रही है कि औपचारिक रूप से ठेका देने के बाद 18 महीनों के भीतर इस परियोजना को सौंपने का काम पूरा हो जाएगा।


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