नीति आयोग ने 21वीं सदी के लिए स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के बारे में अपनी रिपोर्ट जारी की

> भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में अन्य देशों के लिए है उदाहरण-योग्य: बिल गेट्स

> वित्त पोषण एवं सेवा वितरण के संदर्भ में, प्रणालियों के स्तर पर विखंडन की समस्याओं पर विजय पाने में मिलेगी मदद: डॉ राजीव कुमार


नई दिल्ली (का ० उ ० सम्पादन)। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने बिल गेट्स की उपस्थिति में बीते सोमवार को 'नये भारत के लिए स्वास्थ्य प्रणालियां: ब्लॉकों का निर्माण – सुधार के लिए संभावित मार्ग' नामक रिपोर्ट जारी की। इस कार्यक्रम में नीति आयोग के अधिकारी, नीति निर्माता राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाजगत तथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। भारत ने पिछले कई वर्षों में पहुंच से वंचित एवं कमजोर जनसंख्या वर्ग के लिए गुणवत्तापूर्ण तथा किफायती स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए अनेक कार्य किये हैं। फिर भी, कई संकेतक यह बताते हैं कि इसमें सुधार की काफी संभावना है। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य के मुद्दे को नीति निर्माण के केन्द्र में रखा गया है, जिसमें भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में संपूर्ण सुधार के लिए एक स्पष्ट मार्गनिर्देश प्रस्तुत किया गया है।



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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में वित्त पोषण एवं सेवा वितरण के संदर्भ में, प्रणालियों के स्तर पर विखंडन की समस्याओं पर विजय पाने में हमें मदद मिलेगी। डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि देश के नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा एक नये भारत की बढ़ती आकांक्षाओं एवं जरूरतों को पूरा करने के लिए अनेक अवसर तैयार करने की जरूरत है। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना करते हुए, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के को-चेयरमैन बिल गेट्स ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा सभी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत अत्यन्त आशावान है और यह अन्य देशों के लिए भी उदाहरण-योग्य है। उन्होंने कहा कि प्रमुख चुनौतियों को पूरा करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है तथा अपनी पहलों के माध्यम से गेट्स फाउंडेशन की ओर से सभी संभव सहायता प्रदान की जाएगी। इस रिपोर्ट में भविष्य की स्वास्थ्य प्रणाली के पांच मुख्य क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। जन स्वास्थ्य का अपूर्ण एजेंडा पूरा करना, बड़ी बीमा कंपनियों में निवेश करके व्यक्तिगत स्वास्थ्य व्यय को घटाना, सेवा वितरण को आपस में जोड़ना, स्वास्थ्य सेवा का बेहतर खरीददार बनाने के लिए नागरिकों का सशक्तिकरण करना और डिजिटल स्वास्थ्य की शक्ति का लाभ पाना इनमें शामिल हैं।


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