वन सम्पदा और पर्यावरण को क्षति पहुँचाये बिना बनाएं योजना: सीएम

> मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उ0प्र0 राज्य वन्यजीव बोर्ड की 9वीं बैठक सम्पन्न।


> अपरिहार्य स्थिति में वृक्षों के कटान पर 10 गुना अधिक वृक्षारोपण किया जाए: मुख्यमंत्री


> लखनऊ स्थित कुकरैल संरक्षित वन को वृहद स्तर पर विकसित किए जाने का प्रस्ताव बनाए जाने के निर्देश: मुख्यमंत्री


> 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन ईको डेस्टिनेशन हेतु पर्यटन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए कार्यवाही की जाए: मुख्यमंत्री


> प्रदेश को जैव विविधता संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यू0एफ0 द्वारा प्राप्त पुरस्कार मुख्यमंत्री को सौंपा गया।


> मुख्यमंत्री ने चीता तथा सारस सम्बन्धित पुस्तकों का विमोचन किया।



लखनऊ (का ० उ ० डेस्क)।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वनों और वन्य जीवों के सम्बन्ध में किसी भी योजना को बनाते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि इससे वन्य जीवों, वन सम्पदा और पर्यावरण को क्षति न पहुंचे। अपरिहार्य स्थिति में वृक्षों के कटान पर 10 गुना अधिक वृक्षारोपण किया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि रानीपुर टाइगर रिजर्व के प्रस्तावित नक्शे में यह देखा जाए कि बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे से सम्बन्धित भूमि पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इस सम्बन्ध में मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाए। मुख्यमंत्री जी सोमवार को यहां अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य वन्यजीव बोर्ड की 9वीं बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन के हर सम्भव प्रयास सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने लखनऊ स्थित कुकरैल संरक्षित वन को वृहद स्तर पर विकसित किए जाने का प्रस्ताव बनाए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि मगरमच्छ, घड़ियाल एवं कछुओं के अभयारण्य के अलावा, इसके तहत लॉयन सफारी बनाए जाने की सम्भावनाओं पर भी विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण के केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने की कार्यवाही की जाए। मुख्यमंत्री जी ने मधुमक्खी पालन तथा उनकी प्रजातियों के संवर्धन किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वाराणसी स्थित कछुआ वन्यजीव विहार के सम्बन्ध में होने वाले विलम्ब के लिए जवाबदेही तय की जाए। उन्होंने बैठकों में होने वाले निर्णयों और प्रस्तावों पर शीघ्रता से कार्यवाही किए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि शिथिलता या विलम्ब पाए जाने पर सम्बन्धित अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। उन्होंने कहा कि आधी-अधूरी तैयारी के साथ अधिकारी बैठकों में न आएं। समग्रता के साथ प्रभावों का विश्लेषण करते हुए प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएं।



मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा सड़क के पुनःसंरेखण के सम्बन्ध में सीमा से सटे हुए वन मार्ग को आधार बनाते हुए प्रस्ताव बनाए जाएं। विद्यमान सड़क मार्गों का प्रयोग एवं सशस्त्र सीमा बल की सीमा सुरक्षा चौकियों के लिए वन मार्गों/फायर लाइन का उपयोग किया जाए। निरन्तर सुगम आवागमन के लिए आवश्यकतानुसार कार्यवाही की जाए। इस व्यवस्था को अपनाने से भारत-नेपाल वन क्षेत्रों को संयोजित करने वाले जैविक गलियारों के संरक्षण में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन ईको डेस्टिनेशन' हेतु पर्यटन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए कार्यवाही की जाए। विभिन्न जनपदों में ईको डेस्टिनेशन स्थलों का विकास पर्यटन विभाग तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के साथ मिलकर किया जाए। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के ठहरने हेतु वन एवं वन्यजीव क्षेत्रों के बाहर सुविधाएं विकसित की जाएं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वन एवं वन्यजीव क्षेत्रों के भीतर की सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण करते हुए संतुलित रूप से ईको-टूरिज्म को विकसित किए जाने की कार्यवाही शीघ्रता के साथ की जाए। उन्होंने सरकारी गेस्ट हाउस एवं टूरिस्ट बंगलों में स्थायी निवास की व्यवस्था पर अंकुश लगाए जाने के निर्देश देते हुए कहा कि 03 दिनों से अधिक ठहरने की प्रवृत्ति पर रोक लगे। इस सम्बन्ध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया जाए।



मुख्यमंत्री जी ने जनपद मेरठ में पर्यटन के विकास की दृष्टि से विभिन्न स्थलों के विद्युतीकरण के सम्बन्ध में शीघ्र कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी वन्यजीव विहार में मानकों का उल्लंघन पाए जाने पर सम्बन्धित के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कछुओं सहित अन्य वन्यजीवों की तस्करी के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। इन पर प्रभावी रोक लगे। इस प्रकार की घटनाओं के सम्बन्ध में दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। बैठक के दौरान हस्तिनापुर वन्यजीव विहार के सम्बन्ध में भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करते हुए वन्यजीव विहार की सीमा में परिवर्तन सम्बन्धी प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे जाने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री जी को प्रदेश को जैव विविधता संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यू0एफ0 द्वारा दिया गया पुरस्कार सौंपा गया। मुख्यमंत्री जी ने चीता तथा सारस सम्बन्धित पुस्तकों का विमोचन किया। इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जन्तु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


Popular posts from this blog

उ प्र सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2020 प्रख्यापित

उ0प्र0 सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन को मंजूरी

कोतवाली में मादा बंदर ने जन्मा बच्चा