आने वाले 5 वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को 5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य

> प्रधानमंत्री ने डिफेंस एक्स्पो-2020 का उद्घाटन किया।


> उद्घाटन समारोह के अवसर पर एक लघु फिल्म प्रदर्शित हुई।


> लखनऊ में आयोजित डेफ एक्सपो कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्मारक डाक टिकट जारी किया।


>  आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग के सबसे बड़े हब में से एक होगा : प्रधानमंत्री


> अगले पांच वर्षों के दौरान रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कम से कम 25 उत्पादों को विकसित करना सरकार का लक्ष्य: प्रधानमंत्री 


> नई सिक्योरिटी चुनौतियों को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नॉलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं: प्रधानमंत्री


> आज इसरो आउटर स्पेस को एक्सप्लोर कर रहा है, तो डीआरडीओ इन एसेट्स को गलत ताकतों से बचाने के लिए डिफेंस की दीवार खड़ी कर रहा है: प्रधानमंत्री


> पीएम मोदी ने कोरवा (अमेठी) सुविधा में भारत में एके 203 राइफलों के निर्माण के लिए आगामी भारत-रूसी संयुक्त उद्यम का उल्लेख किया।


> वर्तमान सरकार ने डिफेंस प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया, पिछले 05 वर्षों में 460 डिफेंस लाइसेन्स जारी किए गए : प्रधानमंत्री


> भारत आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए शिक्षा और साहस का प्रयोग करेगा : रक्षा मंत्री


> डिफेंस कॉरीडोर की प्रगति के लिए डिफेंस एक्स्पो-2020 अत्यन्त महत्वपूर्ण: मुख्यमंत्री



लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया पविलियन खोला जो रक्षा के डिजिटल परिवर्तन में डिफेन्स प्रगति को प्रदर्शित करता है। इंडिया पविलियन 7 विषयों में प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों और तकनीकों की पहचान और विकास के प्रयासों की परिणति है।



प्रधानमंत्री ने बुधवार को डिफेंस एक्स्पो-2020 का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रत्येक 02 वर्ष में होने वाली यह मिलिट्री एक्जीबिशन वैश्विक स्तर पर देश को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में शोकेस करने का उत्कृष्ट अवसर है। यह डिफेंस एक्स्पो का 11वां संस्करण है।



उन्होंने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 न केवल भारत का सबसे बड़ा डिफेंस एक्जीबिशन प्लेटफॉर्म बन गया है, बल्कि विश्वस्तर पर भी इसकी गणना उच्चकोटि में हो रही है। रक्षा प्रदर्शनी के 11 वें संस्करण के उद्घाटन समारोह के अवसर पर एक लघु फिल्म प्रदर्शित हुई। मोदी ने कहा कि इस आयोजन में एक हजार डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स और 150 कम्पनियां भाग ले रही हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस एक्स्पो में डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन ऑफ डिफेंस प्रतिबिम्बित हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 भारत की रक्षा–सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है। मेक इन इण्डिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं डिफेंस सेक्टर में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है, तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ ध्यान जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की यह डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है। रक्षा और इकोनॉमी जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले इस बात को जरूर जानते हैं कि भारत सिर्फ एक बाजार ही नहीं है, बल्कि वह पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर है। उन्होंने कहा कि दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सिर्फ इम्पोर्ट के भरोसे नहीं रह सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं-रिसर्च एण्ड डेवलेपमेण्ट की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते 5-6 वर्षों में केन्द्र सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है। उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि यूजर और प्रोड्यूसर के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है। पहले डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं। इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और डीआरडीओ में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की नीति बनायी गई है। ऐसे कदमों से वर्ल्ड सप्लाई चेन्स में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी। दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफैक्चररर्स को अधिक कॉम्पीटेण्ट इण्डियन पार्टनर्स मिलेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेण्ट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के बनने से डिमाण्ड और मैन्युफैक्चररर्स की प्रक्रिया और आसान होने वाली है। इसका निश्चित लाभ डिफेंस सेक्टर्स से जुड़े उद्योगों को होगा और इस सेक्टर में इन्वेस्ट करने के इच्छुक इन्वेस्टर्स को होगा। वर्तमान में भारत में दो बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से एक तमिलनाडु में और दूसरा यहीं उत्तर प्रदेश में हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी के डिफेंस कॉरिडोर के तहत यहां लखनऊ के अलावा अलीगढ़, आगरा, झाँसी, चित्रकूट और कानपुर में नोड्स स्थापित किए जाएंगे। अमेठी के कोरबा में इण्डो-रशियन राइफल्स प्रालि ज्वाइण्ट वेंचर के तहत राइफलों का निर्माण किया जा रहा है। भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को और गति एवं विस्तार देने के लिए नए लक्ष्य, नए टारगेट रखे गए हैं। हमारा लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले 5 वर्षों में 15 हजार के पार पहुंचाना है। आई-डेक्स के आइडिया को विस्तार देने के लिए, इसको स्केल-अप करने के लिए, 200 नए डिफेंस स्टार्ट-अप्स शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। हमारा यह प्रयास होगा कि कम से कम 50 नई टेक्नोलॉजीज और प्रोडक्ट्स का विकास हो सके। प्रधानमंत्री ने सुझाव देते हुए कहा कि देश की प्रमुख इण्डस्ट्री बॉडीज को डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग का एक कॉमन प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए, जिससे वह रक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के विकास और उत्पादन, दोनों का लाभ उठा सकें। आउटर स्पेस में भारत की उपस्थिति, पहले से ही मजबूत है और आने वाले वर्षों में यह और सशक्त होने वाली है। भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी 130 करोड़ भारतीयों को गवर्नेस से लेकर सिक्योरिटी तक में अहम भूमिका निभा रही है। इस मामले में भारत ने इण्डीजेनस टेक्नोलॉजी का विकास किया है। आज इसरो भारत के लिए, पूरी दुनिया के लिए, आउटर स्पेस को एक्सप्लोर कर रहा है, तो भारत का डीआरडीओ इन एसेट्स को गलत ताकतों से बचाने के लिए डिफेंस की दीवार खड़ी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज से नहीं, बल्कि हमेशा से विश्व शान्ति का भरोसेमन्द पार्टनर रहा है। दो विश्व युद्ध में हमारा डायरेक्ट स्टेक न होते हुए भी भारत के लाखों जवान शहीद हुए। आज दुनियाभर में 06 हजार से अधिक भारतीय सैनिक यूएन पीस-कीपिंग फोर्सेज का हिस्सा हैं। भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में असीमित संभावनाएं हैं। यहां टैलेण्ट है और टेक्नोलॉजी भी है, यहां इनोवेशन है और इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है, यहां फेवरेबल पॉलिसी है और फॉरेन इन्वेस्टमेण्ट की सुरक्षा भी है। यहां डिमाण्ड है, डेमोक्रेसी है और डिसाइसिवनेस भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लखनऊ में आयोजित यह एक्स्पो इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को इण्डीजेनस बनाने की दिशा में कई कदम उठाए थे। उनके विजन को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने स्थानीय स्तर पर कई डिफेंस प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया। वर्तमान सरकार ने पिछले 05 वर्षों में 460 डिफेंस लाइसेन्स जारी किए हैं। आर्टीलरी गन्स हों, एयरक्राफ्ट कैरियर हों, फ्रिगेट्स हों, सबमरीन्स हों, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट्स हों, कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स हों, ऐसे अनेक साजो-सामान आज भारत में ही बन रहे हैं। टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल, टेररिज्म या साइबर थ्रेट, यह पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नए सिक्योरिटी चैलेंजेज को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नोलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कई प्रोटोटाइप भी विकसित किए जा रहे हैं। हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों के दौरान रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कम से कम 25 उत्पादों को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि आने वाले 5 वर्षों में डिफेंस एक्सपोर्ट को 5 बिलियन डॉलर यानि करीब 35 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाए जाने का लक्ष्य है।



कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लखनऊ में डिफेंस एक्स्पो-2020 आयोजित करने का अवसर प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। रक्षा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता के दृष्टिगत इस एक्स्पो का विशेष महत्व है। फरवरी, 2018 में आयोजित 'उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट' के दौरान प्रधानमंत्री ने देश के 02 डिफेंस कॉरीडोर में से एक डिफेंस कॉरीडोर को उत्तर प्रदेश में स्थापित करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 के दौरान 23 एमओयू के माध्यम से 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर में सम्भावित है, जिससे लगभग 03 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे। राज्य सरकार प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं का विकास तेजी से कर रही है। बड़े पैमाने पर एक्सप्रेसवेज की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रगति पर है और इसे जनता के लिए वर्ष 2020 के अन्त तक खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण वर्ष 2021 के अन्त तक सम्भावित है। इसके अलावा, मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर भी कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जेवर में स्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा, रीजनल कनेक्टिविटी को ठीक करने के लिए 11 एयरपोर्ट्स पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉरीडोर की प्रगति के लिए डिफेंस एक्स्पो-2020 अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 के माध्यम से 'मेक इन इण्डिया' को प्रमोट करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी स्थापित किया जा सकेगा। क्लस्टर डेवलेपमेण्ट के माध्यम से विकसित किए जा रहे डिफेंस इण्डस्ट्रियल ईको सिस्टम से देश को बहुत लाभ होगा। भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए विभिन्न देशों तथा ग्लोबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कम्पनीज से आपसी सहयोग बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा। देश में डिफेंस प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई पॉलिसी इनीशिएटिव्स को लागू किया गया है।



इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल, केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येस्सो नाइक, प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, जल सेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया, मुख्य सचिव आर के तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना तथा यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी सहित केन्द्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न देशों के रक्षा प्रतिनिधि तथा राष्ट्राध्यक्ष एवं मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे।


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