कोरोना योद्धाओं को सम्मान देकर उनका साहस बढ़ाएं

> कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान आईआईटी कानपुर सीडीएपी सेल ने जमीनी स्तर पर लोगों को संभालने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।



कानपुर (का उ सम्पादन)। सीडीएपी सेल (सेंटर फॉर डिफरेंटली एबल्ड पर्सन्स) आईआईटी कानपुर ने कोविड -19 महामारी के दौरान कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ने वाले योद्धाओं का एक पोस्टर के द्वारा आभार व्यक्त करने के लिए एक कदम उठाया। सीडीएपी सेल सदस्या रितिका गुप्ता द्वारा बनाये गए पोस्टर में कोरोना योद्धाओं द्वारा दी जा रही सेवाओं और उनके त्याग की सराहना की गयी है, पोस्टर में कुछ बिंदुओं को दर्शाया गया है। इन बिंदुओं में वर्णित है कि हमें अपने हाथों को हर 2 घंटे में किसी साबुन या हैंडवाश से 20 सेकंड तक अच्छे से धोना है तथा बारबार आंख, नाक ,कान को छूने से बचना है। मास्क लगाना अनिवार्य है, खांसते या छींकते वक्त अपनी मुड़ी हुई कोहनी या टिशू से अपना मुंह और नाक बंद करना है। तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है की हमें अनिवार्य रूप से घर से निकलते ही मास्क लगाना है, तभी हम इस महामारी को हराने में कामयाब होंगे। नोवल कोरोना वायरस कोविड 19 महामारी की वजह से भारत समेत लगभग पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है कि हमारे पास सही जानकारी हो और हम सावधान तथा जागरुक रहें। दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे प्रभावित देश अमेरिका है, उसके बाद ब्राजील, रूस और अब भारत का नंबर आया है।  भारत ने शुक्रवार को यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन आशा की बात यह भी है कि ठीक होने वाले मरीजों की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा बेहतर है। 12 जून 2020 शुक्रवार तक 1,41,842 सक्रिय मामले हैं, जबकि 1,47,195 रोगियों को देश में ठीक किया गया है और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। इस बीच, संक्रमण के कारण अब तक 8,498 मौतें भी हुई हैं। भारत का रिकवरी रेट 18 मई को 38.39 प्रतिशत था और वर्तमान में यह 49.21 प्रतिशत हो गया है। वर्तमान में रिकवर होने वाले मरीजों की संख्या सक्रिय रोगियों की संख्या से अधिक है, ये स्थिति हमारे कोरोना योद्धाओं के कारण ही संभव हो पायी है इसलिए उन्हें सम्मान देकर उनका साहस बढ़ाएं। इस महत्वपूर्ण समय में, सीडीएपी सदस्यों ने आईआईटी कानपुर द्वारा कई प्रयासों का समर्थन किया और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपने तरीके से योगदान देने का आश्वासन दिया। प्रो के एस वेंकटेश ने आईआईटी कानपुर की खाद्य वितरण पहल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस गतिविधि के एक हिस्से के रूप में, 10 किलो वजन वाले कच्चे राशन पैकेटों को ईंट भट्टों पर कार्यरत कामगारों के मध्य वितरित किया गया। यह कच्चा राशन नानकारी और अन्य जगहों की सामुदायिक रसोई में भी भेजा गया। 6000 किलो से अधिक इस कच्चे राशन के वितरण से लगभग 600 परिवारों का भरण पोषण हुआ है। दूसरी तरफ, सीडीएपी सेल सदस्य और आईआईटी कानपुर कंप्यूटर सेण्टर के सत्यम गुप्ता ने लॉकडाउन के दौरान कोविड 19 पर आधारित डब्ल्यूएचओ प्रशिक्षण से प्रमाण पत्र प्राप्त किये थे। कोविड -19 से बचने के उपायों पर इस प्रशिक्षण से उन्हें अन्य के बीच जागरूकता फैलाने में मदद मिली है। वर्तमान में आईआईटी कानपुर में कोविड -19 के खिलाफ कई शोध चल रहे हैं। जिसमें कम लागत वाले वेंटिलेटर का विकास, संस्थान के विशेषज्ञ करीब 2 महीने से दो प्रकार के टीके विकसित करने पर शोध कर रहे हैं। इन टीकों की शीघ्र एनिमल टेस्टिंग भी शुरू हो जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो इसके अगले 4 महीने में इंसान पर इस टीके का परीक्षण किया जाएगा। ऐसे कठिन और अनिश्चित समय में, सीडीएपी ने जमीनी स्तर पर लोगों को संभालने के लिए समर्थन व्यक्त किया और आईआईटी कानपुर परिसर में विकलांग समुदाय के लिए एक बाधा मुक्त और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।


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