उच्च न्यायालय के न्यायपालिका के अधीनस्थ न्यायालयों को खोलने के लिए तौर-तरीकों के संबंध में नए दिशा - निर्देश जारी 

न्यायालयों के कामकाज के बारे में तंत्र अथवा तौर-तरीकों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारी के साथ की जाएगी चर्चा


> जेआईटीएसआई वीडियो कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर का उपयोग रिमांड अथवा अन्य न्यायिक कार्य के उद्देश्य के लिए, जहां भी आवश्यक हो किया जा सकता है।


> जमानत अथवा प्रत्याशित जमानत (एंटीसिपेटरी बेल) आवेदन प्राप्त करने के लिए समर्पित ईमेल या लिखित तर्कों को प्राप्त करने के लिए जिला न्यायालय के समर्पित ईमेल तंत्र जारी रहेगा।


> पीठासीन अधिकारी कोर्टरूम में पक्षकारों की उपस्थिति को तब तक नहीं रोकेंगे जब तक कि कुछ बीमारी से पीड़ित न हो।


> जिला प्रशासन, सीएमओ व जिला न्यायाधीश अपने विचार के अनुरूप जिला न्यायालय अथवा बाहरी अदालत को बंद कर सकते हैं।


> कोर्ट कैंपस का सेनिटाइजेशन कोर्ट्स खोलने की एक पूर्व शर्त है, प्रतिदिन न्यायलय परिसर की स्वच्छता सुनिश्चित करेंगे जिलाधिकारी। 


> न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जाँच प्रशासनिक अधिकारियों की सहायता से की जाएगी सुनिश्चित।


> जिला न्यायाधीश, जिला प्रशासन के परामर्श से, दैनिक आधार पर कन्टेनमेंट जोन के संबंध में खतरे के स्तर और स्थिति का निर्धारण करेंगे।


> अधिवक्ताओं अथवा अभियोगियों की सहायता के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन जिला न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी।


> न्यायालयों की इलेक्ट्रॉनिक वर्किंग के सम्बन्ध में पैरालीगल वालंटियर्स की आवश्यक सहायता लेकर  किया जाए: इलाहबाद उच्च न्यायलय



इलाहबाद (का उ सम्पादन)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार जनरल अजय कुमार श्रीवास्तव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी जिला न्यायाधीशों अथवा ओएसडी को बुधवार 3 जून को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं जिनमें अधिकतर नए आदेश हैं व कुछ पूर्व में निर्गत आदेश जारी रहने के निर्देश दिए गए हैं। माननीय न्यायालय द्वारा इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के न्यायपालिका के अधीनस्थ न्यायालयों को खोलने के लिए तंत्र अथवा  तौर-तरीकों के संबंध में नए दिशा - निर्देशों को संप्रेषित करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया गया है। इन निर्देशों के हिसाब से सभी न्यायालयों (न्यायाधिकरणों सहित) को इलाहाबाद में उच्च न्यायालय के न्यायपालिका के अधीनस्थ, समय-समय पर जारी मौजूदा प्रावधानों, नियमों, दिशा निर्देशों और परिपत्रों के अनुसार न्यायिक कार्य और प्रशासनिक मामलों को लेने के लिए खोलेंगे। दिनांक 30 मई, 2020 को दिशा निर्देश पत्र संख्या 484 / इंफ़्रा सेल:  इलाहाबाद जोकि मामलों की वरीयता के बारे में है का सख्ती से पालन किया जाएगा। जैसे ही न्यायिक अथवा प्रशासनिक कार्य पूरा हो जाता है, न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय कर्मचारियों को कृपया कोर्ट परिसर छोड़ने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। प्रत्येक जिले में न्यूनतम एक या दो न्यायालयों की पहचान जेआईटीएसआई सॉफ्टवेयर (LAN संस्करण) के माध्यम से न्यायालय की कार्यवाही के संचालन के लिए की जाएगी। जेआईटीएसआई मीट वेबसाइट (https://meet.jit.si/) के माध्यम से न्यायालय की कार्यवाही संचालित करने के लिए भी संभावना का पता लगाया जा सकता है। विचाराधीन कैदी के संबंध में रिमांड अथवा अन्य न्यायिक कार्य केवल वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया जाएगा। रिमांड अथवा अन्य न्यायिक कार्य के लिए जेआईटीएसआई वीडियो कॉन्फ्रेंस सॉफ्टवेयर का उपयोग उक्त उद्देश्य के लिए भी किया जा सकता है, जहां भी आवश्यक हो। न्यायिक सेवा केंद्र (केंद्रीकृत फाइलिंग काउंटर) का उपयोग अधिवक्ताओं अथवा  याचियों से नए मामले अथवा आवेदन प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। ऐसे सभी मामले अथवा आवेदन सीआईएस में पंजीकृत किए जाएंगे। आवेदन में उनके मोबाइल नंबर सहित अधिवक्ता अथवा  अभियोगी का विवरण होगा। यदि पंजीकरण में कोई दोष आता है तो सम्बंधित परामर्शदाता को सूचित किया जा सकता है। कंप्यूटर अनुभाग सभी कानून सलाहकार जो न्यायिक सेवा केंद्र से संपर्क कर रहा है को eCourts ऐप के कामकाज के बारे में भी सूचित करेगा ताकि वे उपरोक्त मामलों अथवा सूचीबद्ध सूची को उपरोक्त ऐप के माध्यम से देख सके। जमानत अथवा प्रत्याशित जमानत (एंटीसिपेटरी बेल) आवेदन प्राप्त करने के लिए समर्पित ईमेल या लिखित तर्कों को प्राप्त करने के लिए जिला न्यायालय के समर्पित ईमेल तंत्र जारी रहेगा। उचित दूरी वाले अधिवक्ताओं के लिए केवल 4 कुर्सियों को सोशल डिस्टन्सिंग के साथ कोर्ट रूम में रखा जाएगा। मास्क उन सभी लोगों द्वारा उपयोग किया जाएगा जो अदालत कक्ष में प्रवेश करते हैं। कोर्ट रूम के दरवाजे पर सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी। रीडर, क्लर्क आदि सामाजिक अथवा भौतिक दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। केवल ऐसे सीखे गए अधिवक्ता, लिटिगैंट को न्यायालय परिसर में आना चाहिए, जिनके मामले सूचीबद्ध हैं। जैसे ही लर्नड काउंसल्स के मामले पूरे हो जाएंगे, वे कोर्ट परिसर छोड़ देंगे। पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव कदम उठाएगा कि शारीरिक दूरी के दिशा निर्देशों को सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय की कार्यवाही के लिए एक समय में न्यूनतम संख्या में पक्षकार अथवा वकील कोर्ट रूम में मौजूद हों। इसके अलावा, पीठासीन अधिकारी इस मामले में पक्षकारों की उपस्थिति को तब तक नहीं रोकेंगे जब तक कि कुछ बीमारी से पीड़ित न हों, लेकिन, व्यक्तियों को अदालत कक्ष में या उन बिंदुओं पर रोक लगाने की शक्ति होगी, जहां से अधिवक्ताओं द्वारा बहस को संबोधित किया जाता है। न्यायालयों के कामकाज के बारे में तंत्र अथवा तौर-तरीकों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारी के साथ चर्चा की जाएगी। न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं और वादकारियों के प्रवेश को विनियमित करने के लिए उनसे आवश्यक सहायता ली जा सकती है। तंत्र के संबंध में पूरी जानकारी जिला न्यायालयों की स्थानीय वेबसाइट पर पोस्ट की जा सकती है और प्रिंट मीडिया में प्रसारित की जा सकती है। जहाँ भी न्यायालय परिसर के अंतर्गत कोई कन्टेनमेंट जोन आता है, ऐसे न्यायालय दिनांक 02.03.2020 के रेसोलुशन के साथ पढ़े जाने वाले, दिनांक 25.03.2020 के न्यायालय के रेसोलुशन के अनुसार बंद रहेंगे तब तक जब तक संबंधित जिला न्यायालय या बाहरी कोर्ट कन्टेनमेंट जोन में बानी हुई है। इसके बाद, वर्तमान योजना लागू होगी। इस संबंध में आवश्यक रिपोर्ट, जिला न्यायाधीशों द्वारा जिला प्रशासन से नियमित आधार पर प्राप्त की जाए। जहाँ संबंधित जिला प्रशासन अथवा सीएमओ का विचार है कि जिला अथवा आउटलाइंग कोर्ट कैंपस को किसी विशेष अवधि के लिए बंद किया जाना चाहिए और  या जिला न्यायाधीश का यह विचार है कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट अथवा आउटलाइंग कोर्ट को विशेष अवधि के लिए बंद किया जाए, फिर उक्त अवधि के लिए जिला न्यायालय अथवा बाहरी अदालत को बंद किया जा सकता है और विशिष्ट कारणों का उल्लेख करने वाली एक सूचना इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भेजी जा सकती है। परिसर को खोलने से पहले, जिला न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट, अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ अथवा सीएमएस की सहायता से पूरे न्यायालय परिसर की सफाई के साथ पूर्ण स्वच्छता (चिकित्सा दिशा निर्देशों के अनुसार) को सुनिश्चित करेंगे। जिला अधिकारी प्रतिदिन परिसर की स्वच्छता सुनिश्चित करेंगे। कोर्ट कैंपस का सेनिटाइजेशन कोर्ट्स खोलने की एक पूर्व शर्त है, जिसे मेडिकल दिशा निर्देशों के अनुसार सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है। कोर्ट एंड कोर्ट कैंपस में इस तरह के सैनिटाइजेशन का काम नहीं किया जाता है, इस तरह के कोर्ट ज्यूडिशियल वर्क के लिए नहीं खोले जाने चाहिए। इससे संबंधित जिला न्यायाधीश जिला न्यायालयों को नहीं खोलेंगे और जल्द से जल्द विस्तृत रिपोर्ट के साथ जिला प्रशासन और उच्च न्यायालय को सूचित करेंगे। न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जाँच जिला मजिस्ट्रेट, अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ अथवा  सीएमएस की सहायता से भी सुनिश्चित की जाएगी। जिला न्यायाधीश, जिला प्रशासन के परामर्श से, दैनिक आधार पर कन्टेनमेंट जोन के संबंध में खतरे के स्तर और स्थिति का निर्धारण करेंगे। जिला जज अथवा पी.ओ. न्यायिक पक्ष में माननीय सर्वोच्च न्यायालय अथवा इलाहाबाद के उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे और कोविड - 19 के संबंध में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी सभी दिशा निर्देश का पालन करेंगे। दिशा निर्देशों के आधार पर स्थानीय स्तर पर न्यायालयों के कामकाज का तंत्र भी लोकप्रिय हो सकता है और मीडिया, आधिकारिक वेबसाइट, बार एसोसिएशन और अन्य माध्यमों से नियमित रूप से जिला न्यायाधीशों द्वारा प्रचार किया जा सकता है। लैंडलाइन अथवा मोबाइल नंबरों का उल्लेख करने वाले अधिवक्ताओं अथवा अभियोगियों की सहायता के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन जिला न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी और उसी को मजबूत किया जाएगा। इस तरह की सुविधा के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पैरा लीगल वालंटियर्स की सेवाएं ली जा सकती हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संबंधित को इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से काम करने वाले न्यायालय के बारे में हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगा और इसे पैम्फलेट, मीडिया कवरेज और अन्य मोड के माध्यम से लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। प्रिंट मीडिया में अपील के माध्यम से काम करने वाले न्यायालय के पूर्ण स्थानीय तंत्र का मुद्रण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। पैरालीगल वालंटियर्स की आवश्यक सहायता ली जाए। सदस्य सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों के लिए आवश्यक धनराशि जारी करने और आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए जिलावार सूचित किया जा सकता है। पुरुष वकील के लिए अदालती कार्यवाही के दौरान ड्रेस कोड सफेद शर्ट और हल्के रंग का पतलून और लेडी काउंसल्स, सोबर पोशाक होगी। न्यायिक अधिकारियों को कोट और गाउन पहनने से छूट दी गई है। जिला न्यायाधीशों द्वारा नियमित आधार पर निर्धारित मामलों अथवा आवेदनों की संख्या, फीड बैक आदि की दैनिक समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उपरोक्त दिशा निर्देश अगले आदेश तक 08.06.2020 से लागू होंगे। इसलिए, यह आप से अनुरोध किया जाता है कि अनुपालन सुनिश्चित करें।


Popular posts from this blog

उ प्र सहकारी संग्रह निधि और अमीन तथा अन्य कर्मचारी सेवा (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, 2020 प्रख्यापित

उ0प्र0 सरकारी सेवक (पदोन्नति द्वारा भर्ती के लिए मानदण्ड) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन को मंजूरी

कोतवाली में मादा बंदर ने जन्मा बच्चा