न भुला संकूगी स्नेह तेरा

मेरी माँ को समर्पित मेरे कुछ शब्द, कुछ भाव ! उनके साय बिताये कुछ पल आज समृतियां हैं - 


न भुला संकूगी स्नेह तेरा


मां हर पल कायम अहसास तेरा


जब दुनिया में थी मुझको लाई


पहली शिक्षक की अनमोल शिक्षा 


न मिला कोई तुमसा दूजा 


न जाने क्या क्या सिखा गई


मुझको मी शिक्षक बना गई


थी प्यार से बांधे रिश्तों की डोरी


अब लगी सरकने थोड़ी थोड़ी


मिलता सबकुछ साथ नहीं


तब समय नहीं था अब मां नहीं


कितना क्या कुछ छूट गया


ममता का धागा टूट गया


माँ तू सम्पूर्णी थी


भावों से परिपूर्ण थी 



 -      ममता सिंह (इंदौर, मध्य प्रदेश)


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