हम समस्याओं को टालते नहीं हैं और न ही समस्याओं को पालते हैं: नरेन्द्र मोदी

न सरकार का दवाब हो, न सरकार का अभाव हो



> तीन तलाक़ का निर्णय राजनीति के तराजू से तौलने का निर्णय नहीं है 
> गत 5 वर्ष में भारत सरकार ने खत्म किये 1450 कानून
> ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस तो एक पड़ाव है, मेरी मंजिल तो है ईज़ ऑफ़ लिविंग
>100 लाख करोड़ रूपए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे
> हम चीफ़ ऑफ़ डिफेन्स - सीडीएस की करेंगे व्यवस्था 
> लकी कल के लिये लोकल प्रोडक्ट पर देना है बल  
 


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले पर गॉर्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करते हुए।
 



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त 2019 को 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली स्थित लालकिले की प्राचीर पर तिरंगा झंडा फहराते हुए।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लाल किले की प्राचीर से 73 वें स्वतंत्रता दिवस पर सम्बोधन का मूल पाठ 



मेरे प्यारे देशवासियो,
स्वतंत्रता के इस पवित्र दिवस पर, सभी देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं।
आज जब देश आजादी का पर्व मना रहा है, उसी समय देश के अनेक भागों में अति वर्षा के कारण, बाढ़ के कारण लोग कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। कइयों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं उनके प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता हूं । 
 
इस नई सरकार को दस हफ्ते भी नहीं हुए हैं, लेकिन दस हफ्ते के छोटे से कार्यकाल में भी सभी क्षेत्रों में, सभी दिशाओं में हर प्रकार के प्रयासों को बल दिया गया है, नये आयाम दिए गए हैं और सामान्य जनता ने जिन आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं के साथ हमें सेवा करने का मौका दिया है। दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही अनुच्छेद 370 का हटना, 35A का हटना सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।दस हफ्ते के भीतर-भीतर हमारे मुस्लिम माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनानाए आतंक से जुड़े कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन करके उसको एक नई ताकत देने का, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संकल्प को और मजबूत करने का काम,  हमारे किसान भाइयों-बहनों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपया किसानों के खाते में ट्रांसफर करने का एक महत्वपूर्ण काम आगे बढ़ा है। मेडिकल एजुकेशन को पारदर्शी बनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कानून हमने बनाए हैंए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। अगर 2014 से 2019 आवश्यकताओं की पूर्ति का दौर था तो 2019 के बाद का कालखंड देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का कालखंड है, 21वीं सदी का भारत आने वाले पांच साल के कार्यकाल को आगे बढ़ाने का एक खाका हम तैयार करके एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। सबका साथ-सबका विकास का मंत्र ले करके चले थे, लेकिन पांच साल के भीतर-भीतर ही देशवासियों ने सबके विश्वास के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया। ये सबका विश्वास ही पांच सालों में पैदा हुआ जो हमें आने वाले दिनों में और अधिक सामर्थ्य के साथ देशवासियों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। लोकतंत्र का सही स्वरूप इस चुनाव में नजर आ रहा था। अगर इस देश में, हम सती प्रथा को खत्म कर सकते हैं, हम भ्रूण हत्या को खत्म करने के कानून बना सकते हैं, अगर हम बाल-विवाह के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, हम दहेज में लेन-देन की प्रथा के खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं, तो क्यों न हम तीन तलाक के खिलाफ भी आवाज उठाएं और इसलिए भारत के लोकतंत्र की स्पीरिट को पकड़ते हुये, हमारी मुस्लिम बहनों के अंदर भी एक नया विश्वास पैदा हो, भारत की विकास यात्रा में वे भी सक्रिय भागीदार बनें, इसलिये हमने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। हम समस्याओं को टालते भी नहीं हैं और न ही हम समस्याओं को पालते हैं। अब समस्याओं को टालने का भी वक्त नहीं है,  अब समस्याओं का पालने का भी वक्त नहीं है। जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, नई सरकार बनने के बादए 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्छेद 370 और 35। को हटाने का काम भारत के दोनों सदनों ने राज्यसभा और लोकसभा नेए दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। पिछले 70 साल में इन व्यवस्थाओं ने अलगाववाद को बल दिया है, आतंकवाद को जन्म दिया हैए परिवारवाद को पोसा है और एक प्रकार से भ्रष्टाचार और भेदभाव की नींव को मजबूती देने का ही काम किया है।  हमारे देश के जनजातीय समूहों को, जतपइंसे को जो अधिकार मिलते हैं, वो उनको भी मिलने चाहिए। वहां हमारे कई ऐसे समाज और व्यवस्था के लोग चाहे वह गुर्जर हों, बकरवाल हों, गद्दी हों, सिप्पी हों, बाल्टी हों - ऐसी अनेक जनजातियांए उनको राजनीतिक अधिकार भी मिलने चाहिए। भारत विभाजन हुआ, लाखों-करोड़ों लोग विस्थापित होकर आये उनका कोई गुनाह नहीं था लेकिन जो जम्मू-कश्मीर में आकर बसे, उनको मानवीय अधिकार भी नहीं मिले, नागरिक के अधिकार भी नहीं मिले। अब देश का, जम्मू-कश्मीर का सामान्य नागरिक भी दिल्ली सरकार को पूछ सकता है। उसको बीच में कोई रुकावटें नहीं आएंगी। यह सीधी-सीधी व्यवस्था आज हम कर पाए हैं।  राजनीति के गलियारों में चुनाव के तराजू से तोलने वाले कुछ लोग 370 के पक्ष में कुछ न कुछ कहते रहते हैं। जो लोग 370 के पक्ष में वकालत करते हैं, उनको देश पूछ रहा हैए अगर ये अनुच्छेद 370 यह 35A इतना महत्वपूर्ण थाएइतना अनिवार्य थाए उसी से भाग्य बदलने वाला था तो 70 साल तक इतना भारी बहुमत होने के बावजूद आप लोगों ने उसको परमानेंट क्यों नहीं कियाघ् टेम्पोरेरी  क्यों बनाए रखा? अगर इतना कन्विक्शन था, तो आगे आते और परमानेंट कर देते। लेकिन इसका मतलब यह हैए आप भी जानते थेजो तय हुआ है, वह सही नहीं हुआ है, लेकिन सुधार करने की आप में हिम्मत नहीं थी, इरादा नहीं था। राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगते थे। मेरे लिए देश का भविष्य ही सब कुछ है, राजनीतिक भविष्य कुछ नहीं होता है। मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि आज हर हिन्दुस्तानी कह सकता है. वन नेशन वन कोंस्टीटूशन और हम सरदार साहब का एक भारत-श्रेष्ठ भारत, इसी सपने को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं। जीएसटी  के माध्यम से हमने  वन टैक्स उस सपने को साकार किया है। उसी प्रकार से पिछले दिनों ऊर्जा के क्षेत्र में वन नेशन, वन ग्रिड, इस काम को भी हमने सफलतापूर्वक पार किया। उसी प्रकार से वन नेशन, वन मोबिलिटी कार्ड - इस व्यवस्था को भी हमने विकसित किया है। और आज देश में व्यापक रूप से चर्चा चल रही है, एक देश, एक साथ चुनाव। यह चर्चा होनी चाहिए, लोकतांत्रिक तरीके से होनी चाहिए और कभी न कभी एक भारत-श्रेष्ठ भारत के सपनों को साकार करने के लिए और भी ऐसी नई चीजों को हमें जोड़ना होगा। आज हिन्दुस्तान में करीब-करीब आधे घर ऐसे हैं, जिन घरों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। आज मैं लाल किले से घोषणा करता हूं कि हम आने वाले दिनों में जल-जीवन मिशन को आगे ले करके बढ़ेंगे। यह जल-जीवन मिशन, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम इस जल-जीवन मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है। जल संचय हो, जल सिंचन हो, वर्षा की बूंद-बूंद पानी को रोकने का काम हो, समुद्री पानी को या वेस्ट वॉटर को ट्रीटमेंट करने का विषय हो, किसानों के लिए पर ड्रॉप मोर क्रॉप, माइक्रो इरीगेशन का काम हो, पानी बचाने का अभियान हो, पानी के प्रति सामान्य से सामान्य नागरिक सजग बने, संवेदनशील बने, पानी का महत्व समझें, हमारे शिक्षा कर्मों में भी बच्चों को भी बचपन से ही पानी के महत्व की शिक्षा दी जाए। पानी संग्रह के लिए, पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए हम लगातार प्रयास करें और हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ें कि पानी के क्षेत्र में पिछले 70 साल में जो काम हुआ है, हमें 5 साल में चार गुना से भी ज्यादा उस काम को करना होगा। जल संचय का यह अभियान, जैसे स्वच्छता का अभियान चला था, जन सामान्य का अभियान बनना चाहिए। जनसंख्या विस्फोट हमारे लिएए हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करता है। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद उसको बाहर निकालने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। हर स्तर पर ईमानदारी और पारदर्शिता को बल मिलेए इसके लिए भी भरसक प्रयास किए गए हैं। सरकार में बैठे हुए अच्छे-अच्छे लोगों की छुट्टी कर दी गई।  सामाजिक जीवन में बदलाव होना चाहिए, उसके साथ-साथ व्यवस्थाओं को चलाने वाले लोगों के दिल-दिमाग में भी बदलाव बहुत अनिवार्य होता है। सरकार का दवाब नहीं होना चाहिए लेकिन साथ-साथ जहां मुसीबत के पल हों, तो सरकार का अभाव भी नहीं होना चाहिए। न सरकार का दवाब हो, न सरकार का अभाव हो, लेकिन हम सपनों को लेकर आगे बढ़ें। गत 5 वर्ष में एक प्रकार से मैंने प्रतिदिन एक गैर-जरूरी कानून खत्म किया था। देश के लोगों तक शायद यह बात पहुंची नहीं होगी। हर दिन एक कानून खत्म किया था, करीब-करीब 1450 कानून खत्म किये थे। अभी सरकार को 10 हफ्ते हुएए अभी तो इन 10 हफ्तों में 60 ऐसे कानूनों को खत्म कर दिया है। ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में पहले 50 में पहुंचने का सपना है, उसके लिये कई रिफॉर्म करने की जरूरत होगी, कई छोटी-मोटी रुकावटें हैं। ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस तो एक पड़ाव हैए मेरी मंजिल तो है ईज़ ऑफ़ लिविंग - सामान्य मानव के जीवन में उसको सरकारी काम में कोई मशक्कत न करनी पड़े, उसके हक उसको सहज रूप से मिले और इसलिए हमें आगे बढ़ने की जरूरत है, हम उस दिशा में काम करना चाहते हैं।
हमने तय किया है कि इन कालखंड में 100 लाख करोड़ रुपया आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए लगाए जाएंगे, जिससे रोजगार भी मिलेगा, जीवन में भी नई व्यवस्था विकसित होंगी। बदलते हुए मिजाज को, बदलते हुए वक्त को हमें समझना होगा और उसी प्रकार से ग्लोबल बेंचमार्क के साथ हमें अपने देश को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ - क्लीन एनर्जी  होए गैस बेस्ड इकॉनमी हो, गैस ग्रिड हो, ई-मोबिलिटी  हो, ऐसे अनेक क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ना है।



 
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी हमें हमेशा ऊंचे निशान रखने चाहिए और हमने रखा है। लेकिन वो हवा में नहीं है। आजादी के 70 साल बाद हम दो ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी पर पहुंचे थेए 70 साल की विकास यात्रा ने हमें दो ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी पर पहुंचाया था। लेकिन 2014 से 2019ए पांच साल के भीतर-भीतर हम लोग दो ट्रिलियन से तीन ट्रिलियन पहुंच गए, एक ट्रिलियन डॉलर हमने जोड़ दिया। अगर पांच साल मेंए 70 साल में जो हुआ उसमें इतना बड़ा जम्प लगाया तो आने वाले पांच साल में हम 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बन सकते है, और ये सपना हर हिन्दुस्तानी का होना चाहिए। हमारी समुद्री संपत्तिए ठसनम इकॉनमी इस क्षेत्र को हम बल दें। हमारे मछुआरे भाइयों-बहनों को हम ताकत दें। हमारे किसान अन्नदाता हैए ऊर्जादाता बनें। हमारे किसानए ये भी एक्सपोर्टर क्यों न बनें। दुनिया के अंदर हमारे किसानों के द्वारा पैदा की हुई चीजों का डंका क्यों न बजे। इन सपनों को ले करके हम चलना चाहते हैं। हमारे देश को एक्सपोर्ट बढ़ाना ही होगाए हम सिर्फ दुनिया, हिन्दुस्तान को बाजार बना करके देखे, हम भी दुनिया के बाजार में पहुंचने के लिए भरसक प्रयास करें। हमारा देश टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए दुनिया के लिए अजूबा हो सकता है, लेकिन किसी न किसी कारण से जितनी तेजी से हमें वह काम करना चाहिए, वो हम नहीं कर पाए हैं। आइये, हम सभी देशवासी तय करें कि हमें देश के टूरिज्म पर बल देना है। जब टूरिज्म बढ़ता है, कम से कम पूंजीनिवेश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। विश्व भी भारत की पोलिटिकल स्टेबिलिटी को बड़े गर्व और आदर के साथ देख रहा है। हमारे लिए गर्व का विषय है कि महंगाई को कंट्रोल करते हुए हम विकास दर को बढ़ाने वाले एक महत्वपूर्ण समीकरण को ले करके चले हैं। कभी विकास दर तो बढ़ जाती है, लेकिन महंगाई कंट्रोल में नहीं रहती है। कभी महंगाई बढ़ जाती है तो विकास दर का ठिकाना नहीं होता है। लेकिन यह ऐसी सरकार है जिसने महंगाई को कंट्रोल भी किया और विकास दर को आगे भी बढ़ाया। हमारे निवेशक ज्यादा कमाएं, हमारे निवेशक ज्यादा निवेश करें, हमारे निवेशक ज्यादा रोजगार पैदा करें - इसको प्रोत्साहन देने के लिए हम पूरी तरह से आगे आने को तैयार हैं। वेल्थ क्रिएट नहीं होगी तो वेल्थ डिस्ट्रीब्यूट भी नहीं होगी। अगर वेल्थ डिस्ट्रीब्यूट नहीं होगी तो देश के गरीब आदमी की भलाई नहीं होगी। और इसलिए तो वेल्थ क्रिएशन, यह भी हमारे जैसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण अहमियत रखता है और उसको भी हमें आगे ले जाना है। जो लोग वेल्थ क्रिएट करने में लगे हैं, मेरे लिए वह भी हमारे देश की वेल्थ हैं। उनका सम्मान और उनका गौरव इस कदम को नई ताकत देगा।

भारत आतंक फैलाने वालों के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ रहा है। विश्व के किसी भी कोने में आतंक की घटना मानवतावाद के खिलाफ छेड़ा हुआ युद्ध है। इसलिए यह आह्वान है कि विश्वभर की मानवतावादी शक्तियां एक हों। आतंकवाद को पनाह देने वालेए आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाले, आतंकवाद को मगचवतज करने वाले, ऐसी सारी ताकतों को दुनिया के सामने उनके सही स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए दुनिया की ताकत को जोड़कर आतंकवाद को नष्ट करने के प्रयासों में भारत अपनी भूमिका अदा करें, हम यही चाहते हैं। मैं आज लाल किले से अफगानिस्तान के मेरे मित्रों कोए जो चार दिन के बाद 100वीं आजादी का उत्सव मनाने जा रहें हैं, अनेक-अनेक शुभकानाएं देता हूं। हमारे सैनिकों नेए हमारे सुरक्षा बलों नेए सुरक्षा एजेंसियों ने बहुत प्रशंसनीय काम किया है। संकट की घड़ी में भी देश को शांति देने के लिए यूनिफार्म में खड़े हुए सब लोगों ने आज अपने जीवन की आहूति देकर हमारे कल को रोशन करने के लिए जीवन खपाया है। मैं उन सबको सैलूट करता हूं। मैं उनको नमन करता हूं। लेकिन समय रहते रिफार्म की भी बहुत आवश्यकता होती है। आज जैसे दुनिया बदल रही है, आज युद्ध के दायरे बदल रहे हैं, रूप-रंग बदल रहे हैं। आज जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी ड्रिवेन व्यवस्थाएं बन रही हैं, तब भारत को भी टुकड़ों में भी सोचने से नहीं चलेगा। हमारी पूरी सैन्यशक्ति को एकमुश्त होकर एक साथ आगे बढ़ने की दिशा में काम करना होगा। जल, थल, नभ में से एक आगे रहे दूसरा दो कदम पीछे रहेए तीसरा तीन कदम पीछे रहे, तो नहीं चल सकता। तीनों एक साथ एक ही ऊंचाई पर आगे बढ़ें। तालमेल अच्छा हो, सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप हों, विश्व में बदलते हुए युद्ध के और सुरक्षा के माहौल के अनुरूप हो, इन बातों को ध्यान में रखते हुए आज मैं लाल किले से एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा करना चाहता हूं। इस विषय के जो जानकार हैं, वह बहुत लम्बे अर्से से इसकी मांग करते रहे हैं। आज हमने निर्णय किया है कि अब हम चीफ़ ऑफ़ डिफेन्स - सीडीएस की व्यवस्था करेंगे और इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं को शीर्ष स्तर पर प्रभावी नेतृत्व मिलेगा। हिन्दुस्तान की सामरिक दुनिया की गति में ये सीडीएस एक बहुत अहम और रिफॉर्म करने का जो हमारा सपना है, उसके लिए बल देने वाला काम है। 130 करोड़ देशवासियों के हृदय में महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप, देश की आजादी के दीवानों के सपनों के अनुरूप आजादी के 75 साल और गांधी के 150 साल, इस पर्व को हमारी प्रेरणा का महान अवसर बना करके हमें आगे बढ़ना है। मैंने इसी लाल किले से 2014 में स्वच्छता के लिए बात कही थी। 2019 में कुछ ही सप्ताह के बाद, मुझे विश्वास है, भारत अपने-आपको ओडीएफ़ कर पाएगा। मेरे प्यारे देशवासियो, मैं एक छोटी-सी अपेक्षा आज आपके सामने रखना चाहता हूं। इस 02 अक्तूबर को हम भारत को सिंगल यूज़ प्लास्टिक, क्या इससे देश को मुक्ति दिला सकते हैं। हम निकल पड़ें, टोलियां बना करके निकल पड़े स्कूल, कॉलेज  हम सब पूज्य बापू को याद करते हुए और घर में प्लास्टिक हो - सिंगल यूज़ प्लास्टिक या बाहर चौहराएं पर पड़ा हो, गंदी नाली में पड़ा हो, वह सब इकट्ठा करें, नगरपालिकाएं, महानगर-पालिकाएं, ग्राम पंचायत सब इसको जमा करने की व्यवस्था करें। हम प्लास्टिक को विदाई देने की दिशा में 2 अक्टूबर को पहला मजबूत कदम उठा सकते हैं क्या? आइए मेरे देशवासियो, हम इसको आगे बढ़ाएं।और फिर मैं स्टार्ट-अप वालों को, तकनीशियन को, उद्यमियों को आग्रह करता हूं कि हम इन प्लास्टिक के रीसायकल के लिये क्या करें? एक बोर्ड  यह भी लगा दीजिये, कृपा करके हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा न करें। दीवाली पर जहां हम लोगों को भांति-भांति के गिफ्ट देते हैं, क्यों न इस बार और हर बार कपड़े के थैले लोगों को गिफ्ट करें, ताकि कोई कपड़े का थैला लेकर मार्किट जायेगा, तो आपकी कंपनी की विज्ञापन भी होगी। जूट के थैले हों, मेरे किसानों को मदद करेगाए कपड़े के थैले होंए मेरे किसान को मदद मिलेगी। छोटे-छोटे काम हैं। गरीब.विधवा मां जो सिलाई करती होगी, उसको मदद करेगा यानी हमारा छोटा सा निर्णय भी सामान्य मानव के जीवन में किस प्रकार से बदलाव ला सकता है, हम उस दिशा में काम करें। आज हमें गर्व है कि हमारा रूपए-कार्ड सिंगापुर में चल रहा है, हमारे रूपए-कार्ड आने वाले दिनों में और देशों में भी चलने वाला है। हमारा एक डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बड़ी मजबूती के साथ उभर रहा हैए लेकिन हमारे गांव में, छोटी-छोटी दुकानों में भी, हमारे शहर के छोटे-छोटे मॉल में भी हम क्यूं न डिजिटल पेमेंट पर बल दें आइए ईमानदारी के लियेए ट्रांसपेरेंसी के लिये और देश की इकॉनमी को ताकत देने के लिये हम डिजिटल पेमेंट को अपनाएं। और मैं तो व्यापारियों को कहूंगाए आप इवंतक लगाते हैं ज्यादातर गांव में जाओगे व्यापारियों के बोर्ड होते हैं - आज नकद-कल उधार। मैं चाहता हूं कि अब तो हमें बोर्ड लगाया जाना चाहिए डिजिटल पेमेंट को हां नकद को ना, यह एक माहौल बनाना चाहिए। मैं बैंकिंग क्षेत्र से आग्रह करता हूं, मैं व्यापार जगत के लोगों से आग्रह करता हूं कि आइये हम इन चीजों पर बल दें। मेरे प्यारे देशवासियो आज मैं आपसे एक छोटी-सी मांग कर रहा हूं - क्या आप तय कर सकते हैं कि 2022 आजादी के 75 साल के पहले हम अपने परिवार के साथ भारत के कम से कम 15 टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाएंगे। क्यों न हमारे देश में 100 ऐसे बढि़या टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करें, क्यों न हर राज्य में 2 या 5 या 7 टॉप क्लास टूरिस्ट डेस्टिनेशन तैयार करें टारगेट करके तैयार करें। हम तय करें- हमारे नार्थ-ईस्ट में इतनी प्राकृतिक संपदा है लेकिन कितनी यूनिवसिर्टीज होंगी जो अपना टूरिस्ट डेस्टिनेशन नार्थ-ईस्ट को बनाती हैंघ् ज्यादा कंट्रीब्यूट नहीं करना पड़ता है। आपको 7 दिनए 10 दिन निकालने हैं लेकिन देश के भीतर ही निकालिए। हम जिस प्रकार से केमिकल का उपयोग कर रहे हैं केमिकल फ़र्टिलाइज़र का उपयोग कर रहे हैं पेस्टिसाइड का उपयोग कर रहे हैं। हम हमारी इस धरती मां को तबाह कर रहे हैं। पूज्य बापू ने हमें रास्ता दिखाया है क्या हम 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत, 25 प्रतिशत अपने खेत में यह केमिकल फ़र्टिलाइज़र को कम करेंगे, हो सके तो मुक्तिकर अभियान चलाएंगे। आप देखिए देश की कितनी बड़ी सेवा होगी। मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, हमारे देश के प्रोफेशनल्स टेक्नोलॉजी उनकी आज पूरी दुनिया में गूंज है। उनके सामर्थ्य की चर्चा है। लोग उनका लोहा मानते हैं। अंतरिक्ष हो, टेक्नोलॉजी हो, हमने नये मुकाम प्राप्त किए हैं। हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारा चंद्रयान तेजी से चांद के उस छोर की ओर आगे बढ़ रहा है, जहां अब तक कोई नहीं गया है। हमारे वैज्ञानिकों की सिद्धि है। उसी प्रकार से खेल के मैदानों में हम बहुत कम नजर आते थे। आज दुनिया के खेल के मैदानों में मेरे देश के 18-20 सालए 22 साल के बेटे-बेटियां हिन्दुस्तान का तिरंगा झंडा फहरा रही हैं। कितना गर्व होता है। देश के खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आजादी के 75 साल, गांधी के 150 साल और भारत के संविधान के 70 साल हो गए हैं। बाबा साहेब अम्बेडकर के सपने और यह वर्ष महत्वपूर्ण है, गुरू नानक देव जी का 550वां पर्व भी है। आइये, बाबा साहेब अम्बेडकर, गुरू नानक देव जी की शिक्षा को ले करके हम आगे बढ़ें और एक उत्तम समाज का निर्माण, उत्तम देश का निर्माण, विश्व की आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप भारत का निर्माण हमें करना है। 



 
आइये, हम मिल करके देश को आगे बढ़ाएं। इसी एक अपेक्षा के साथ, मैं फिर एक बार देश के लिए जीने वाले, देश के लिए जूझने वाले, देश के लिए मरने वाले, देश के लिए कुछ कर-गुजरने वाले हर किसी को नमन करते हुए मेरे साथ बोलिये -
जय हिन्द।
जय हिन्द।
भारत माता की जय
भारत माता की जय
वन्दे मातरम।
वन्दे मातरम।
बहुत-बहुत धन्यवाद।


 


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