पीएम मोदी ने ब्रिजिटल नेशन पुस्तक का विमोचन किया

पुस्तक "ब्रिजिटल नेशन" के विमोचन के दौरान प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ-



नई दिल्ली। देश की सोशल और बिज़नेस लीडरशिप को हमेशा प्रेरित और ऊर्जावान करने वाले रतन टाटा जी, उनकी इस विरासत को आगे बढ़ाने वाले एन चंद्रशेखरन जी, रूपा जी, देवियों और सज्जनों! रतन टाटा जी, चंद्रशेखरन जी से मिलना, उनके साथ चर्चा करना हमेशा एक नया अनुभव देता है। इन पर देश की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक को लीडरशिप देने की जिम्मेदारी है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी के बावजूद, स्माइल और स्ट्रेस फ्री, ये कैसे रहते हैं, मुझे लगता है, आने वाले समय में इस पर भी एक किताब चंद्रशेखरन जी को लिखनी चाहिए। और हां, इस आईडिया का मेरा कोई पेटेंट भी नहीं है। आप बिना किसी स्ट्रेस के ये काम कर सकते हैं! साथियों, वो किताब लिखेंगे या नहीं, ये मैं नहीं कह सकता लेकिन स्माइल और स्ट्रेस फ्री माइंड से क्या होता है! उसका परिणाम ब्रिजिटल नेशन के रूप में हमारे सामने है। पाजिटिविटी, क्रिएटिविटी और कंस्ट्रक्टिव माइंडसेट से देश की समस्याओं के समाधान के लिए सोच निकल सकती है, उसका ये परिणाम है। यही पाजिटिविटी, यही ऑप्टिमिस्म अपने टैलेंट और रिसोर्सेज पर यही विश्वास नए भारत की सोच है। मुझे विश्वास है कि ये किताब एस्पिरेशनल इंडिया को तो इंस्पायर करेगी ही, समाज के कुछ प्रोफेशनल पेसिमिस्ट को भी नई एप्रोच और नए आउटलुक के लिए प्रोत्साहित करेगी। मैं चंद्रशेखरन जी और रूपा जी को इस विजनरी डॉक्युमेंट के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये किताब ऐसे समय में आई है, जब टेक्नोलॉजी को डेमोनाइज़ करने की एक बहुत बड़ी कोशिश हो रही है। डर का एक माहौल खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। विशेषतौर पर भारत के कॉन्टेक्स्ट में टेक्नोलॉजी को हमारे डेमोग्राफिक डिविडेंड के लिए चुनौती के रूप में पेश करने की कोशिश हो रही है। इस किताब में सरकार के उस विजन को और मजबूत किया है, जिसके मुताबिक टेक्नोलॉजी जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का नहीं। टेक्नोलॉजी एक ब्रिज है, डिवाइडर नहीं। टेक्नोलॉजी और टैलेंट, फ़ोर्स मल्टीप्लायर हैं, थ्रेट नहीं। टेक्नोलॉजी, एस्पिरेशन और अचीवमेंट के बीच का ब्रिज है। टेक्नोलॉजी, डिमांड और डिलीवरी के बीच का ब्रिज है। टेक्नोलॉजी, गवर्नमेंट और गवर्नेंस के बीच का ब्रिज है। टेक्नोलॉजी, सबके साथ को सबके विकास से जोड़ने वाला सेतु है। साथियों, यही भावना बीते 5 वर्ष के हमारे कार्यकाल में रही है और यही भविष्य के लिए हमारी अप्रोच है। इस किताब में बेहतरीन तरीके से बताया गया है कि अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबॉटिक्स जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी कैसे डेवलपमेंट के टूल के रूप में, एड के रूप में मदद करने वाली है। यही बात मैं अपन अनुभवों के आधार पर भी कह सकता हूं। बीते 5 वर्षों में टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन से भारत में गवर्नेंस को कैसे रिफॉर्म और ट्रांसफॉर्म किया है, इसको आप महसूस कर पा रहे हैं। ये सब कैसे हो पा रहा है, इसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं।



साथियों, हमारे देश में एलपीजी गैस कनेक्शन देने की योजना, सब्सिडी देने का काम दशकों से चल रहा है। हमने जब उज्जवला योजना को लॉन्च किया तो, कई लोगों को लगा कि शायद ये भी वैसी ही योजना होगी, जैसी बनती आई हैं। लेकिन इसके लिए हमने सोच को भी बदला, अप्रोच को भी बदला और इसमें टेक्नॉलॉजी को भी इंट्रोडूस किया। साथियों, हम पहले की तरह चलते तो फिर कमेटी बनती, कमेटी बैठती रहती, अलग-अलग स्टेक होल्डर्स से बातचीत करती रहती और डेडलाइन को हम कभी मीट कर ही नहीं पाते। लेकिन कमेटी के बजाय हमने टेक्नॉलॉजी वाली अप्रोच पर भरोसा किया। डाटा इंटेलिजेंस की मदद से पहले हमने 17 हज़ार मौजूदा LPG डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर्स को लोकेट किया और फिर 10 हज़ार नए सेंटर्स बहुत कम समय में तैयार किए। इसके लिए हमने देश के हर गांव को डिजिटली मैप किया। इस डेटा को दूसरे डाटा पॉइंट,  जैसे सेल रिपोर्ट, एलपीजी पेनेट्रेशन पॉपुलेशन,  सोशिओ इकोनॉमिक कंडीशंस, सबको अनलाइज़ किया गया। लाखों गांवों से करीब 64 लाख डायवर्स डेटा प्वाइंट्स के एनालिसिस के आधार पर तय किया गया कि ये डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर कहां कहां बनने चाहिए। लेकिन हमारा काम यहीं खत्म नहीं हुआ। एक और बड़ी समस्या थी जिसका समाधान टेक्नॉलॉजी ने दिया। डैशबोर्ड पर एप्लीकेशन और डिस्ट्रीब्यूशन की रियल टाइम मॉनीटरिंग के दौरान पता चला कि बहुत सी महिलाओं की एप्लीकेशन रिजेक्ट हो रही है। क्योंकि इनके पास बैंक अकाउंट नहीं था। इस समस्या से निपटने के लिए जनधन कैंप लगाए गए और ऐसी महिलाओं के बैंक अकाउंट खोले गए। परिणाम ये हुआ कि, हमने 3 साल में 8 करोड़ कनेक्शन देने का जो लक्ष्य रखा था, उसको डेडलाइन से काफी पहले ही पूरा कर दिया गया। साथियों, ये तो बात हुई टेक्नॉलॉजी से एक्सेस बढ़ाने की। अब मैं आपको एक्सेस से बिहेवियरल चेंज लाने में टेक्नॉलॉजी का क्या रोल रहता है, इसका भी उदाहरण देता हूं। देश में हेल्थकेयर की स्थिति पर आपकी किताब में रोशनी डाली गई है। खासतौर पर, इलाज ना कराने का मेंटल ब्लॉक जो हमारे देश में गरीबी के कारण रहा है, पैसे के अभाव के कारण रहा है। आयुष्मान भारत योजना इस स्थिति को बदलने की दिशा में बहुत बड़ा रोल निभा रही है। पहले जो गरीब इस चिंता में इलाज कराने से कतराता था, कि उसका सब कुछ बिक जाएगा, वो अब अस्पताल पहुंचने लगा है। वो गरीब जो पहले प्राइवेट हॉस्पिटल के दरवाज़े पर दस्तक देने से भी हिचकता था, उसको वहां एक्सेस मिला है। आज स्थिति ये है कि गरीबों में बिहेवियरल चेंज भी आया है, मेडिकल सेवाओं की डिमांड भी बढ़ी है, गरीबों का इलाज भी हो रहा है और अस्पतालों को सरकार से पैसा भी मिल रहा है। ये भी अगर संभव हो पा रहा है तो सिर्फ टेक्नॉलॉजी के माध्यम से। साथियों, इसी टेक्नॉलॉजी से आयुष्मान भारत को हेल्थकेयर के कंप्लीट पैकेज के तौर पर हम विकसित कर रहे हैं। पहले प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर फोकस होता ही नहीं था, प्राइमरी हेल्थकेयर सिर्फ सिर दर्द और पेट दर्द तक सीमित थे और टर्शियरी हेल्थकेयर पूरी तरह से एक अलग ही ट्रैक पर था। अब इसके लिए पूरे देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर तैयार किए जा रहे हैं और इनको टर्शियरी हेल्थकेयर  बेस के तौर पर विकसित किया जा रहा है। बहुत ही कम समय में अब तक 21 हज़ार से ज्यादा ऐसे सेंटर तैयार भी हो चुके हैं। आप हैरान रह जाएंगे कि इतने कम समय में, इन सेंटर्स पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों को हाइपरटेंशन, सवा करोड़ से ज्यादा डायबिटीज,डेढ़ करोड़ से ज्यादा कैंसर के केस डायग्नोज हो चुके हैं। पहले प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर्स में ये संभव ही नहीं था। अब हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर से ही ये केस आगे रैफर हो पा रहे हैं। और टर्शियरी हेल्थकेयर  नेटवर्क में वहां के डेटा के आधार पर सीधा और तेज़ इलाज संभव होने की शुरुआत हुई है। साथियों, टेक्नॉलॉजी जब ब्रिज बनती है तो हमें ट्रांसपेरेंसी और टार्गेटेड डिलीवरी का भी समाधान मिलता है। भारत में बिचौलियों और दलालों का क्या रोल था, इससे आप भली-भांति परिचित रहे हैं।


Governments run the country,


Middle-men run the governance,


इसको एक रूल मान लिया गया था। ये इसलिए होता था क्योंकि पीपल और प्रोसेस के बीच गैप था। बर्थ से लेकर डेथ तक, सर्टिफिकेशन की एक लंबी व्यवस्था थी, जिसमें सामान्य मानवी पिसता रहता था। आज जन्म से लेकर जीवन प्रमाण पत्र तक की सैकड़ों सरकारी सेवाएं ऑनलाइन हैं। आज सेल्फ़ सर्टिफिकेशन देश में नॉर्म बन रहा है। अब हम सेल्फ असेसमेंट, सेल्फ डिक्लेरेशन और फेसलेस टैक्स असेसमेंट जैसे सिस्टम की तरफ बढ़ रहे हैं। साथियों, टेक्नॉलॉजी का इफेक्टिव यूज़ कैसे चैलेंजेज  को अवसर में बदलता है, इसका एक और उदाहरण है, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक देश का सबसे बड़ा नेटवर्क, हमारी पोस्ट ऑफिस सेवा पर मोबाइल और इंटरनेट के बढ़ते प्रसार की वजह से बंद होने का खतरा था,  लाखों लोगों के रोजगार पर संकट था। लेकिन आज टेक्नॉलॉजी के कारण ही पोस्ट ऑफिस, बैंकिंग सर्विस की, डिजिटल ट्रांजेक्शन की होम डिलीवरी के सेंटर बन रहे हैं। इसी तरह गांव-गांव में ऑनलाइन सर्विस डिलिवरी देने वाला कॉमन सर्विस सेंटर नेटवर्क 12 लाख से अधिक युवाओं को रोज़गार दे रहा है। साथियों, एंटरप्राइज स्पिरिट को, एमएसएमई को मजबूत करने और उनको जॉब क्रिएशन के अहम सेंटर बनाने के लिए जो भी सुझाव किताब में दिए गए हैं, उससे भी मैं मोटे तौर पर सहमत हूं। यहां आने वाले साइलोज़ को दूर करने के लिए भी हम टेक्नॉलॉजी का व्यापक इस्तेमाल कर रहे हैं। पब्लिक प्रोक्योरमेंट के लिए Government e-Market place यानि GeM के बारे में आप जानते ही हैं। ये सरकार की डिमांड और एमएसएमई के सप्लाई इकोसिस्टम के बीच ब्रिज बना है। इस सिस्टम की सफलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल इसके माध्यम से करीब 50 हज़ार करोड़ रुपए की खरीदारी का टारगेट है। साथियों, इसी तरह स्टार्ट अप इंडिया, लोकल डिमांड और सप्लाई को, तो मेक इन इंडिया, लोकल सप्लाई और ग्लोबल डिमांड को ब्रिज कर रहा है। आपने इस किताब में डिमांड और सप्लाई में समस्याओं पर बहुत बारीकी से समझाया है। स्टार्ट अप इंडिया भी इन्हीं समस्याओं को डील कर रहा है। भारत के जो चैलेंज हैं उनको सामने रखते हुए, आइडियाज को इन्क्यूबेट कर इंडस्ट् में बदलने का ये एक प्रयास है। यही कारण है कि आज अधिक स्टार्ट अप्स टीयर-2, टीयर-3 शहरों में तैयार हो रहे हैं। साथियों, इन सभी बातों के बीच ये भी सही है कि,सिर्फ टेक्नॉलॉजी समाधान नहीं होती, ह्यूमन इंटेंशन और राइट इंटेंशन,  बहुत ज़रूरी है। यही बात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी लागू होती है। डिबेट ये नहीं होना चाहिए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से खतरा क्या है? रोबोट इंसान से स्मार्ट कब तक होगा? बल्कि डिबेट ये होना चाहिए कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ह्यूमन इंटेंशन के बीच हम ब्रिज कैसे बनाएं? अपनी स्किल्स को नई डिमांड के अनुसार अपग्रेड कैसे करें?


Let A.I. be just another Aid which is a little more sophisticated


कहने को बहुत कुछ है लेकिन अन्य लोगों को किताब पढ़ने के लिए भी मुझे समय देना है। एक बार फिर इस बेहतरीन किताब, बेहतरीन प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।


धन्यवाद!


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