बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना प्रदेश में अब होगी लागू

> अम्बेडकर विशेष रोजगार योजना का नाम परिवर्तित करते हुए बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना रखे जाने एवं योजना के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 1991 में निर्गत दिग्दर्शिका को अवक्रमित करते हुए नवीन दिग्दर्शिका एवं उसमें उल्लिखित मार्ग-दर्शी सिद्धान्तों (गाइडलाइंस) सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी।


> इस योजना के तहत आॅनलाइन ऋण आवेदन प्रक्रिया अपनायी जाएगी।


> लगभग 8570 लाभार्थियों के लिए रोजगार सृजन की है सम्भावना।


> योजना में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिए मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी को किया अधिकृत।



लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। मंत्रिपरिषद ने ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित अम्बेडकर विशेष रोजगार योजना का नाम परिवर्तित करते हुए बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना रखे जाने एवं योजना के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 1991 में निर्गत दिग्दर्शिका को अवक्रमित करते हुए नवीन दिग्दर्शिका एवं उसमें उल्लिखित मार्ग-दर्शी सिद्धान्तों (गाइडलाइंस) सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। योजना में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिए मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है। बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना का प्रमुख उद्देश्य, पूर्व की भांति, ग्रामीण क्षेत्रों में नवयुवकों को उद्यमिता की ओर उन्मुख करते हुए उनकी ऊर्जा को परिवार के जीविकोपार्जन, समाज तथा राष्ट्र निर्माण के उपयोगी बनाना, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय संसाधन को विकसित कर सतत रोजगार उपलब्ध कराना, ग्रामीण आबादी का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन रोकना तथा शहरी क्षेत्र के संसाधनों पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार में कमी लाना है। पूर्व की भांति यह योजना प्रत्येक वर्ग, जाति और धर्म के लोगों के लिए है। सरकार की समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप प्रस्तावित परियोजनाओं में लाभान्वित होने वाले व्यक्तियों में अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थी न्यूनतम 23 प्रतिशत एवं दिव्यांग लाभार्थियों हेतु 05 प्रतिशत क्षैतिज (होरिजाॅन्टल) अर्थात अनुसूचित जाति/जनजाति में 05 प्रतिशत एवं सामान्य में 05 प्रतिशत लाभार्थी होंगे। अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग श्रेणी के लाभार्थी उपलब्ध न होने की दशा में या अपवादित मामलों में इस न्यूनतम सीमा के शिथिलीकरण का अधिकार उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का होगा। इस योजना के अन्तर्गत पूर्व में अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पर्वतीय क्षेत्र के लाभार्थियों को प्रति इकाई लागत का 33 प्रतिशत अथवा अधिकतम 10,000 रुपए तथा अन्य लाभार्थियों के लिए 25 प्रतिशत अथवा अधिकतम 7,500 रुपए तक राज्य सहायता शासकीय अनुदान देय था। संशोधित व्यवस्था में अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग को 35 प्रतिशत अनुदान अथवा अधिकतम 70,000 रुपए (जो भी कम हो) तथा सामान्य जाति को 25 प्रतिशत अथवा अधिकतम 50,000 रुपए (जो भी कम हो) तक ऋण अनुदान दिया जाएगा। संशोधित व्यवस्था में उन्हीं लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया जाएगा, जिनके परिवार की समस्त स्रोतों से वार्षिक आय 02 लाख रुपए से अधिक न हो। लाभार्थी के चयन की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु 65 वर्ष होगी। अन्य किसी योजना जैसे मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना इत्यादि के अन्तर्गत ऋण प्राप्त लाभार्थी इस योजना के पात्र नहीं होंगे। इस योजना के तहत आॅनलाइन ऋण आवेदन प्रक्रिया अपनायी जाएगी। यह ग्राम्य विकास विभाग की वेबसाइट तकण्नचण्दपबण्पद पर प्रस्तुत की जाएगी। जब तक आॅन लाइन आवेदन प्रक्रिया प्रदेश व जिला स्तर पर पूर्ण रूप से लागू नहीं हो जाती, तब तक आवेदकों के आवेदन पत्र हार्ड काॅपी में व्यक्तिगत रूप से अथवा पंजीकृत डाक से प्राप्त किये जा सकते हैं। चयन प्रक्रिया जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा की जाएगी। इस योजना में संशोधित व्यवस्था के तहत कृषि उत्पादन आयुक्त के स्थान पर आयुक्त, ग्राम्य विकास की अध्यक्षता में टास्क फोर्स समिति गठित की जाएगी। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में योजना के क्रियान्वयन हेतु 50 करोड़ रुपये का बजट प्राविधानित है। इसके माध्यम से अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्यांग श्रेणी के लगभग 3570 लाभार्थी तथा सामान्य श्रेणी के लगभग 05 हजार लाभार्थी, कुल लगभग 8570 लाभार्थियों के लिए रोजगार सृजन की सम्भावना है। 


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