भारत का पुरातत्व विभाग विशेषतौर पर अभिनन्दन का पात्र: विश्व हिन्दू परिषद

> माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, आगामी कदम यथाशीघ्र उठाए सरकार। 



नई दिल्ली, नवम्बर 9, 2019 (का ० उ ० सम्पादन)। विश्व हिन्दू परिषद् के प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि आज अत्यंत प्रसन्नता और समाधान का दिन है। शताब्दियों से चले आ रहे संघर्ष, अनेक युद्ध और असंख्य बलिदानों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय और सत्य को आज उद्घोषित किया है। 40 दिन की तथा 200 घंटे से अधिक की मैराथन सुनवाई के बाद और सब प्रकार की बाधाओं से विचलित हुए बिना दिया गया यह निर्णय विश्व के महानतम निर्णयों में से एक हैं। हिन्दू समाज लगभग  70  वर्षों के न्यायिक संघर्ष के बाद इस निर्णय की अधीरता से प्रतीक्षा कर रहा था। अन्ततः वह प्रतीक्षा पूर्ण हुई और न्याय की विजय हुई। हम सुप्रीम कोर्ट के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते है। स्वाभाविक है विश्व भर में हिन्दू समाज में अपार प्रसन्नता है। यह भी निश्चित है कि हिन्दू का मर्यादा में रहने का स्वभाव है, इसलिए यह प्रसन्नता आक्रामक नहीं होनी चाहिए। इसमें कोई पराजित नहीं हुआ है। किसी को अपमानित करने वाली बात नहीं होनी चाहिए। समाज का सौहार्द बना रहे इसका सबलोग प्रयत्न करे। आज कृतज्ञता का भी दिन है। सबसे पहली कृतज्ञता उन ज्ञात और अज्ञात राम भक्तों के लिए जिन्होंने इन संघर्षों में भाग लिया, कष्ट सहे और अनेकों ने बलिदान दिए। भारत का पुरातत्व विभाग, जिनके अनथक प्रयासों और अविवादित तकनीकी विशेषज्ञता के कारण माननीय न्यायाधीश इस महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुँच सके, विशेषतौर पर अभिनन्दन के पात्र है। वे सभी इतिहासज्ञ, अन्य विशेषज्ञ जिनके अकाट्य साक्ष्य इस निर्णय के आधार बने के प्रति हम आभार व्यक्त करते है। सभी वरिष्ठ न्यायविद एवं अधिवक्ता जिनके अनथक परिश्रम के कारण हिन्दू समाज को न्याय मिला है, का विश्व हिन्दू परिषद् अभिनन्दन करता है। वीएचपी भारत सरकार से यह अपेक्षा करेगा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार वह आगामी कदम यथाशीघ्र उठाए। यह महत्वपूर्ण निर्णय भव्य राम मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण एवं निर्णायक कदम है। विश्व हिन्दू परिषद् ये विश्वास करता है कि भगवान राम के भव्य मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण होगा। यह निश्चित है कि जैसे-जैसे यह मंदिर बनेगा, समाज में मर्यादाएं, समरसता, संगठन, हिन्दू जीवन जीने का प्रयत्न बढ़ेगा और एक सबल, संगठित, संस्कारित हिन्दू समाज विश्व में शांति और समन्वय स्थापित करने के अपने दायित्व को पूरा कर सकेगा।


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