देश ही नहीं बल्कि दुनिया का चमड़ा शहर कहलाता है कानपुर: रामनाथ कोविंद

> भारत और विदेशों के शोधकर्ताओं और पेशेवरों के लिए एक उत्कृष्ट मंच साबित होगा आईसीआरएसीसीआईटी 2019


> भारत की दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की यात्रा के पीछे प्रौद्योगिकी का योगदान: महामहीम 


> कानपुर में मानवता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है एलिम्को: श्री रामनाथ कोविंद


> नवाचार का भाव विद्यार्थियों में अंगीकृत हो: उप मुख्यमंत्री उ प्र


> यूनिवर्सिटी अब पूरी तरह से हो चुकी है डिजिटल: चेयरमैन पीएसआईटी



कानपुर (का ० उ ० सम्पादन)।  शनिवार 30 नवंबर को पीएसआईटी कालेज ऑफ हायर एजुकेशन, कानपुर में दो दिवसीय इण्टरनेशनल कान्फ्रेन्स :- रीसेन्ट एडवान्समेन्ट इन कम्प्यूटर साइंस, कम्युनिकेशन एण्ड इन्फोरमेशन टेक्नोलॉजी का उदघाटन संस्थान के भव्य ऑडीटोरियम में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद, प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद, विशिष्ट अतिथि राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल एवं उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, प्रो0 विनय कुमार पाठक, कुलपति, डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं पीएसआईटी संस्थान के चेयरमैन श्री प्रणवीर सिंह द्वारा किया गया। सर्वप्रथम पीएसआईटी संस्थान के चेयरमैन प्रणवीर सिंह, ने मुख्य अतिथि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रथम महिला सविता कोविंद एवं विशिष्ट अतिथि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल एवं उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा एवं प्रो0 विनय पाठक कुलपति – डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ का स्वागत किया। संस्थान के चेयरमैन प्रणवीर सिंह ने सभी अतिथिओं का सहदय आभार प्रकट किया एवं कान्फेन्स में आये हुए सभी डेलीगेन्टस को नवीन टेक्नोलाजी एवं कम्प्यूटर सांइस पर प्रस्तुत किये जाने विचारों एवं सुझावों के लिए शुभकामनायें दीं। उन्होने बताया कि इण्डस्ट्री और शिक्षा के बीच की दूरी को टेक्नोलॉजी का उपयोग कर, कैसे कम किया जाये, इस पर भी विचार होगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश के राष्ट्रपति एक सहज, सरल, मृदभाषी, गरीबों के लिए प्रयत्नशील एवं द्विपक्षीय संबंधों में परिपक्व व्यक्ति हैं। श्री सिंह ने राज्य्पाल आनंदीबेन पटेल की कहा कि उनका कॉलेजों को गोद लेने का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी अब पूरी तरह से डिजिटल हो चुकी है। यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन कई महत्वपूर्ण विषय जिनमें थ्रीडी प्रिंटिंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, हाइपर लूप, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, वर्चुअल स्पेस ट्रिप्स आदि पर अध्ययन व अनुभव करने का स्वर्णिम अवसर है। श्री सिंह ने आगे कहा कि संस्थान के विद्यार्थी टॉप एमएनसी में प्लेस हो रहे हैं। क्वालिटी एजुकेशन की  बदौलत कम समय में पीएसआईटी आगे आया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा कि पीएसआईटी दिन प्रतिदिन विशेषग्यता के कारण जाना जा रहा है। उन्होंने बताया कि वो दूसरी बार संस्थान पधारे हैं और कॉलेज की प्लेसमेंट काफी अच्छी है। डॉ शर्मा ने उम्मीद जताई कि नवाचार  विद्यार्थियों में अंगीकृत हो। उप मुख्यमंत्री बोले कि सूचना प्रौद्योगिकी और मैन्युफैक्चरिंग में प्रदेश काफी आगे आ रहा है। भारत के महामहीम ने इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि, मुझे कानपुर में रहना पसंद है, केवल इसलिए नहीं कि यह मेरा शहर है। मुझे यह पसंद है क्योंकि यह शहर परंपरा और आधुनिकता का सच्चा संगम है। यह इस संदर्भ में है कि मुझे पीएसआईटी, कानपुर में आयोजित होने वाले कंप्यूटर विज्ञान, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी में हालिया उन्नति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के लिए यहां आने पर गर्व महसूस हो रहा है। देश के कुछ प्रतिभाशाली युवा दिमागों को संबोधित करना मेरा सौभाग्य है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, इस महान शहर के जीन में तकनीक बहुत बुनी गई है। युगों से, कानपुर का हमेशा प्रौद्योगिकी की उन्नति के साथ एक अनोखा संबंध रहा है। एक या दूसरी तरह की तकनीक इस शहर को बीसवीं सदी में महान ऊंचाइयों तक ले गई। कपड़ा उद्योग में इसकी उत्कृष्टता ने इसे "पूर्व के मैनचेस्टर" के रूप में नाम दिया, जब इसकी मिलों ने दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा की। टेक्सटाइल बूम के कारण यहाँ कई उद्योग स्थापित हुए, जिससे शहर एक औद्योगिक केंद्र बन गया। यह धीरे-धीरे एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन गया और इसे उत्तर प्रदेश की "वाणिज्यिक राजधानी" कहा जाने लगा। टेक्सटाइल बूम के बाद, यह चमड़े की तकनीक रही है जो इस शहर की रीमेक है। अब इसे "दुनिया का चमड़ा शहर" कहा जाता है। नगर के विभिन्न संस्थानों की उपलब्धता के बारे  बोलते हुए राष्ट्रपति बोले कि, प्रौद्योगिकी और उद्योग के साथ इस संबंध को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि शहर इंजीनियरिंग शिक्षा में कुछ बेहतरीन नामों का घर रहा है। शहर के बारे में विशेष रूप से अद्वितीय है कि भौतिक शिक्षा के लिए इसकी खोज हमेशा उन्नत शिक्षा के साथ तालमेल रखने के लिए एक निर्धारित प्रयास के साथ होती है। दुनिया में कौन आईआईटी, कानपुर की प्रतिभा को नहीं जानता है? इस महान संस्थान के साथ-साथ सीखने का एक समान महत्वपूर्ण केंद्र मौजूद है, हारकोर्ट बटलर तकनीकी संस्थान (एचबीटीआई), जो अब एक पूर्ण विश्वविद्यालय बन गया है। अन्य संस्थानों के एक मेजबान हैं जिन्होंने उत्कृष्ट इंजीनियरों और वैज्ञानिकों का उत्पादन किया है। पीएसआईटी भी शहर की इस विरासत को समृद्ध करता है। मैं इस सम्मेलन के आयोजन के लिए संस्थान को बधाई देता हूं। मुझे यकीन है कि यह भारत और विदेशों के शोधकर्ताओं और पेशेवरों के लिए एक उत्कृष्ट मंच साबित होगा जो विभिन्न डोमेन में नवीनतम विकास पर चर्चा करेगा।



देश की अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति बोले, मुझे प्रौद्योगिकी की दुनिया आकर्षक लगती है, क्‍योंकि प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख प्रतीक है। आजादी के समय एक गरीब राष्ट्र से दुनिया की सबसे तेज और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की यात्रा प्रौद्योगिकी के लिए धन्यवाद के रूप में हुई है। जैसा कि हम 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखते हैं, हम फिर से अपनी भूमिका निभाने वाली प्रौद्योगिकी के लिए तत्पर हैं। हमें आर्थिक ताकत देने के अलावा, ज्ञान के नए रूपों ने समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है। इसके अलावा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति जीवन के सभी क्षेत्रों में एक महान तुल्यकारक रही है। प्रौद्योगिकी, हालांकि, सिर्फ एक उपकरण है। यह आग हो या बिजली, यह एक महान नौकर है लेकिन एक बुरा स्वामी है। यह शहर तकनीक के साथ-साथ विराम देने की शक्तियों का भी गवाह रहा है। जब आप नवीनतम तकनीकी प्रगति पर विचार-विमर्श करते हैं, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि मानवता के निहितार्थों को ध्यान में रखें। कानपुर में मानवता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। दशकों से, आर्टिफिशियल लिम्ब्स मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलिम्को) ने पुनर्वास प्रौद्योगिकी के निर्माण में विकलांग लोगों की मदद की है, जिसमें निरंतर प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भविष्य की प्रौद्योगिकी के बारे में उदाहरण सहित बताते हुए उन्होंने कहा कि, हमें बताया गया है कि हम चौथी औद्योगिक क्रांति की उम्र में प्रवेश कर रहे हैं। फ्यूचुरलॉजिस्ट हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में एक बुनियादी बदलाव की कल्पना करते हैं क्योंकि डिजिटल और इन्फोटेक क्रांति साइबर, भौतिक और जैविक डोमेन के अभिसरण का मार्ग प्रशस्त करती है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स और 3 डी प्रिंटिंग पहले से ही वास्तविकता में बदल रही है जो कभी विज्ञान कथा के पन्नों में थी। हम इस बात की बहुत आशा करते हैं कि इससे मानव जीवन में सर्वांगीण सुधार होगा। हालांकि, प्रौद्योगिकी के डर भी हैं। दशकों तक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक शिक्षाविदों का विषय था, लेकिन अब यह वास्तविक हो गया है। एआई के सभी लंबे समय से पोषित फलों के बजाय, प्रारंभिक प्रभाव नौकरी के नुकसान के संदर्भ में है क्योंकि मशीनें मानव भूमिकाओं पर कब्जा कर रही हैं। अब तक के सभी तकनीकी क्रांतियों ने हमें सुधार के लिए महान उपकरण दिए हैं, लेकिन एक महान मूल्य पर। कानपुर में वायु प्रदूषण एक स्पष्ट प्रमाण है। लेकिन मैं एक आशावादी हूं। मैं इस तथ्य पर दिल से ध्यान देता हूं कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाले महान दूरदर्शी हमेशा मानवीय चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहे हैं। राष्ट्रपति ने इस कॉन्फ्रेंस से आशा व्यक्त करते हुए कहा कि, मुझे यकीन है कि आप सभी दो दिनों के लिए उत्साहपूर्ण और फलदायक मंथन के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। छात्रों को भी दिग्गजों से सीखने का एक शानदार अवसर मिलेगा। मैं एक बार फिर सम्मेलन के आयोजकों को बधाई देता हूं और आप सभी की सफलता की कामना करता हूं।



उदघाटन समारोह के पश्चात संस्थान द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथिओं को मोमेन्टों (प्रतीक चिन्ह) देकर सम्मानित किया गया, राष्ट्रपित एंव अतिथिओ के साथ ग्रुप फोटो सेशन भी हुआ।उदघाटन समारोह के पश्चात विभिन्न पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया एवं इस दौरान विषय विशेषज्ञों एवं शोधकर्ताओं द्वारा विभिन्न तकनीकी विषयों पर शोधपत्रों को भी प्रस्तुत किया गया। शिवम भसीन, सिंगापुर एवं डॉ० शाद अहमद, ओमान, ने अपने व्याख्यान में भारत में हो रही नवीन टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा की, वहीं प्रो० उलरच फेंक, जर्मनी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा टेक्नोलॉजी के एडवांसमेन्ट पर अपने विचार दिये। इसके बाद टेक्नीकल सेशन में रचना पुरी , मनमोहन शुक्ला, डॉ0 कथिवरन कन्नन एसआरएम चेन्नई, डॉ अब्दुल हन्नान चौधरी बांग्लादेश एवं नीरज नांरग ओरिकिल ने टेक्नोलॉजी के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपयोग एवं भविष्य में प्रयोग की जाने वाली कई टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा की, उन्होने अपने अपने देशों जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, ओमान आदि में प्रयोग किये जाने वाली टेक्नोलॉजी एवं भविष्य में होने वाले आधुनिक वदलाव पर गहनता से अवगत कराया, साथ ही यह भी कहा कि भारत तकनीकी रूप से सक्षम है और विश्व के अग्रणी देशों में से एक है, जहाँ तकनीकी मेधा की बहुतायत है। टेक्निकल सेशन के दौरान विषय विशेषज्ञों ने अपने व्यख्यान में कहा कि जिस तरह हवा, पानी एवं जल की जरूरत है उसी तरह आईटी भी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। टेक्निकल एडवांसमेन्ट जैसे आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स जैसी तकनीक ने इन्फ्रास्ट्रक्चर, निर्माण कार्य में प्रगति प्रदान की है और बहुत से लोगों के रोजगार में बढोतरी की है। कान्फेन्स के प्रथम दिन पीएसआईटी की वाईस चेयरपर्सन निर्मला सिंह, प्रबंध निदेशक शेफाली राज, एसोसियेट वाईस प्रेसीडेन्ट अभिजीत सिंह, संयोजक डॉ0 शिवानी कपूर, सह संयोजक डॉ उदयभान त्रिवेदी, डॉ0 एपीएस भदोरिया के अलावा अलावा कई राज्यों / विदेशों के तकनीकी संस्थानों के निदेशक, स्टूडेन्टस एवं जिले के सीनीयर प्रशासनिक अधिकारी आदि मौजूद रहे।


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