सुभाष पालेकर स्पिरिचुअल फार्मिंग विधि का प्रयोग करके लाभान्वित हो रहे हैं देश के किसान

> उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियां सिखाई जाएंगी।


कानपुर (का० उ० सम्पादन)। आईआईटी कानपुर के खचा-खच भरे प्रेक्षाघर में 200 से अधिक वैज्ञानिकों, छात्रों और किसानों ने एक साथ बैठकर पद्मश्री से सम्मानित डॉ सुभाष पालेकर का व्याख्यान बड़े ही रुचि से सुना और सराहा। डॉ पालेकर ने वर्तमान में चर्चित तकनीकि को किसानों और मनुष्य जाति के लिए घातक बताते हुए कहा कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताये तरीके सिर्फ व्यवसाइयों को लाभ देते हैं और किसानो को क़र्ज़ के जाल में फँसा देते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी ने किसानों को संकर / जीएम बीज देकर प्रजनन किया है जो प्रजनन नहीं कर सकता है, रासायनिक उर्वरकों के साथ गोबर के प्रतिस्थापन ने इनपुट लागत में वृद्धि की है। इसने किसानों को बाहर के इनपुट पर भी निर्भर बना दिया है। उन्होंने वैज्ञानिकों को चुनौती देते हुए कहा कि हम प्रकृति के विपरीत नहीं जा सकते और यह प्रकृति का नियम है कि मानव नवनिर्मित करने की छमता नहीं रखता।  देश के 50 लाख किसान विशेषतः महाराष्ट्र, आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में सुभाष पालेकर स्पिरिचुअल फार्मिंग (एसपीएसएफ) विधि का प्रयोग करके लाभान्वित हो रहे हैं। उन्नत भारत अभियान, आईआईटी कानपुर के संचालक प्रो संदीप संगल ने बताया कि संस्थान डॉ पालेकर के साथ मिलकर एक क्लस्टर बनाएगा जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियां सिखाकर खेती कराई जाएगी।  कार्यक्रम की संचालिका रीता सिंह ने बताया की उन्नत भारत अभियान कानपुर के तहत आईआईटी कानपुर ने जिन पांच गाओं को गोद  लिया है, वहाँ डॉ पालेकर के मार्गदर्शन में कार्य कार्यान्वित होगा। इस प्रोजेक्ट मैं नाबार्ड की भी मदद ली जाएगी। नाबार्ड की डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट मैनेजर सुमन शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। कार्यक्रम में आईआईटी के डीन प्रो वाय एन सिंह, प्रो रामकुमार, प्रो राजीव गुप्ता और विवेक चतुर्वेदी उपस्थित थे।

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