कार्यपालिका द्वारा किए जाने वाले व्यय पर नियंत्रण में वित्तीय समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका - हृदय नारायण दीक्षित


लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि संसदीय लोकतंत्र में सदन की वित्तीय समितियों की बहुत ही अहम भूमिका होती है। कार्यपालिका द्वारा किए गए व्यय पर विधायिका का प्रभावी नियंत्रण रखने के उद्देश्य से संसदीय व्यवस्था में वित्तीय समितियों का प्रादुर्भाव हुआ। यह बात बीते मंगलवार दिनांक 24.12.2019 को श्री दीक्षित ने विधान भवन में विधान सभा की लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, पंचायती राज समिति एवं प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जाँच सम्बन्धी समिति के उद्घाटन के अवसर पर कही।
श्री दीक्षित ने उपर्युक्त वित्तीय समितियों के उद्घाटन भाषण के समय कहा कि यह समितियां मुख्य रूप से कार्यपालिका द्वारा किए जाने वाले व्यय पर नियंत्रण रखने, विभिन्न विभागों की दक्षता तथा कार्य-कुशलता को बढ़ाने तथा उसमें मितव्ययिता लाने का काम एवं बजट में सुधार के लिए अपना महत्वपूर्ण सुझाव दे सकती है। विधान सभा द्वारा जो बजट पास किया जाता है तथा राजकोष के लिए दिया जाता है उस राजकोष का धन कार्यपालिका को जिस उद्देश्य के लिए दिया गया है उसका सही ढ़ंग से उसी मद में उपयोग किया जा रहा है या नहीं। इसके परीक्षण का अवसर मिलता है। श्री अध्यक्ष ने कहा कि विधान सभा में सत्ता पक्ष एक तरफ होता है, विपक्ष दूसरी तरफ होता है, बीच में अध्यक्ष होता है। सदन मे समय की कमी के कारण मामलों का सूक्ष्म विश्लेषण नहीं हो पाता है। यहां पर सत्ता और विपक्ष में भेद नहीं किया गया है। सभी मर्यादा के अन्तर्गत अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते हैं। समितियों में अधिकारियों का एक पक्ष होता है, दूसरे पक्ष में विधायकगण होते हैं। उन्हें विषयों के सूक्ष्म विश्लेषण का अवसर मिलता है। श्री दीक्षित ने बताया कि लोक लेखा समिति सदन की बहुत ही प्रभावी समिति है। यह विधान मण्डल द्वारा कार्यपालिका को दिए गए बजट पर महालेखाकार द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदनों के प्रस्तरों व वित्तीय अनियमितताओं की जांच का कार्य करती है। इसी प्रकार पंचायती राज समिति व स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जाँच सम्बन्धी समिति भी पंचायत विभाग के लेखों व स्थानीय निकाय के लेखों पर लेखा परीक्षक द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन के प्रस्तरों पर जांच का कार्य करती है। श्री दीक्षित ने बताया कि प्राक्कलन समिति का क्षेत्र अति व्यापक है। यह समिति प्राक्कलनों में मितव्ययिता लाने, प्रशासनिक संगठन में सुधार, कार्य-पटुता के बारे में अपना महत्वपूर्ण सुझाव देकर कार्यपालिका की कार्यप्रणाली में प्रभावकारी नियंत्रण एवं सुधार ला सकती है। यह समिति कार्यपालिका को वैकल्पिक नीतियों का भी सुझाव दे सकती हैं।  उन्होंने कहा कि सदन की यह समिति जितनी प्रभावी होगी उतनी ही कार्यपालिका जवाबदेह होगी और संसदीय लोकतंत्र भी मजबूत होगा। श्री अध्यक्ष ने सभी समितियों के सभापतियों से अपेक्षा की समितियों में जब भी प्रशासनिक अधिकारी साक्ष्य के लिए आते हैं, तो उनके समक्ष जो भी विषय रखा जाय, उसे शालीनता एवं सौम्यपूर्ण ढ़ंग से कहा जाय। दूसरे पक्ष की मर्यादा को भी ध्यान में रखा जाए। उन्होंने समितियों के द्वारा तैयार किये गए प्रतिवेदनों को समय से विधान सभा के समक्ष रखने की भी अपेक्षा की, जिससे प्रतिवेदनों पर विधान सभा में चर्चा होकर कार्यपालिका को जबावदेह बनाया जा सके। उद्घाटन बैठकों में लोक लेखा समिति के सभापति, महबूब अली, प्राक्कलन समिति के सभापति, ज्ञानेन्द्र सिंह, पंचायती राज समिति के सभापति, सुनील कुमार शर्मा एवं प्रदेश के स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जाँच सम्बन्धी समिति के सभापति, पंकज गुप्ता ने दीक्षित का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। बैठक में विधान सभा के प्रमुख सचिव, प्रदीप कुमार दुबे एवं अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।


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