निःस्वार्थ भाव से किया गया परिश्रम मनुष्य को यशस्वी बनाता है: योगी आदित्यनाथ
> महापुरुषों ने अनुशासन को प्राथमिकता दी है: मा ० राज्यपाल
> सन् 1932 में ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की: योगी आदित्यनाथ
लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते मंगलवार को जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह के समापन पर पारितोषिक वितरण समारोह में कुल 715 छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में विकसित करने के लिए विजन डॉक्यूमेण्ट 'साधना पथ' स्मारिका एवं 'गोरक्ष प्रभा' वार्षिक पत्रिका का भी विमोचन किया गया। दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मा ० राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा बच्चों के भावी जीवन के लिए उपयोगी होती है। पुरस्कार से प्रेरणा मिलती है। उन्होंने शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क विकसित होता है। इसके लिए भोजन, खेल, स्वच्छता, शिक्षा आदि आवश्यक है। मा ० राज्यपाल ने स्कूलों, कॉलेजों के प्राचार्यों से कहा कि वे समय-समय पर छात्राओं का हीमोग्लोबीन अवश्य चेक कराएं और यदि उनमें कोई एनीमिक पाया जाता है, तो उसका इलाज कराएं। उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य से बच्चों को सभी क्षेत्रों में सफलता मिलेगी। राज्य सरकार शिक्षा के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। पूरे विश्व में प्रतिस्पर्धा है, इसके लिए विद्यार्थियों को सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के साथ तैयार होना होगा। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं की शिक्षा में असमानता नहीं होनी चाहिए। आनन्दीबेन ने कहा कि जीवन में अनुशासन का होना आवश्यक है। महापुरुषों ने अनुशासन को प्राथमिकता दी है। इसके साथ ही, अध्ययन की भी आदत डालनी चाहिए और विषय के अलावा अन्य लाभकारी पुस्तकों का भी अध्ययन करना चाहिए। हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए। उन्होंने पानी बचाने पर चर्चा करते हुए कहा कि जल का हमारे जीवन में काफी महत्व है। उन्होंने बेहतर पर्यावरण के दृष्टिगत प्लास्टिक का प्रयोग न करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कार से अच्छा इंसान बनता है। अच्छाई-बुराई की आदत घर से ही पनपती है। इसलिए बच्चों को सर्वदा अच्छाई की आदत डालनी चाहिए। अभिभावक बच्चों के विषय चयन हेतु दबाव न डालें, बल्कि उनकी इच्छा के अनुरूप विषय व दिशा चुनने दें।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के विकास के उद्देश्य से सन् 1932 में ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद में राष्ट्र एवं समाज को समर्पित ज्ञानवान नागरिक तैयार करने का प्रयास किया जाता है। वर्ष 1950 में गोरखपुर विश्वविद्यालय की आधारशिला में ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ का योगदान रहा। वर्तमान में शिक्षा परिषद की 04 दर्जन शिक्षण संस्थाएं संचालित हैं। उन्होंने कहा कि सिटी ऑफ नॉलेज के तौर पर विकसित करने के लिए विजन डॉक्यूमेण्ट 'साधना पथ' का विमोचन किया गया है। भारत के राष्ट्रपति जी ने शिक्षा परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 तक गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में विकसित करने का आह्वान किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रतिवर्ष 04 से 10 दिसम्बर तक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाता है। उन्होंने कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता, निःस्वार्थ भाव से किया गया परिश्रम मनुष्य को यशस्वी बनाता है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद राष्ट्र व समाज के कल्याण हेतु समर्पित ज्ञानवान नागरिक बनाने की दिशा में निरन्तर अग्रसर है। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, विद्यालयों के प्राचार्य, छात्र-छात्राएं सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।