संपादकीय भाषा को सशक्त बनाते हुए लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ को सम्बल प्रदान करें पत्रकार: जस्टिस चन्द्रमौलि
卐 मा0 जस्टिस चन्द्रमौलि कुमार प्रसाद की अध्यक्षता में पत्रकारिता से जुड़े मामलों की दूसरे दिन भी हुई सुनवाई कुल 45 मामलों की सुनवाई में 33 मामलों को किया गया निस्तारित।
卐 मर्यादा का ख्याल रखते हुए इस तरह के भ्रामक एवं अश्लील संदेशो को नहीं छापना चाहिए।
प्रयागराज (का ० उ ० सम्पादन)। मा0 जस्टिस चन्द्रमौलि कुमार प्रसाद ने बीते बुधवार को सर्किट हाउस सभागार में प्रेस पर कुठाराघात तथा पत्रकारिता के मानकों के उल्लघंन से संबंधित मामलों पर दूसरे दिन भी सुनवाई की। दो दिवसीय सुनवाई के दौरान कुल 45 प्रकरणों पर सुनवाई की गई, जिसमें से वर्ष 2018 -19 के 15 मामलों तथा वर्ष 2019 - 20 के 18 मामलों सहित कुल 33 प्रकरणों को निस्तारित करते हुए 12 प्रकरणों को स्थगित किया गया। परिषद की जांच समिति की बैठक में जनपद लखनऊ, कानपुर, इंदौर (म प्र), शोपियां (जम्मू और कश्मीर) सहित अन्य संबंधित प्रकरण शामिल किये गये। सुनवाई के दौरान जनपद कानपुर से प्रकाशित दैनिक खुलासा द विजन समाचार पत्र के मामले में सुनवाई करते हुए मा0 अध्यक्ष महोदय ने अखबार में प्रयोग की गई भाषा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की तथा सम्पादक को फटकार लगाते हुए इसे सेंसर करने हेतु संस्तुति पूर्ण पीठ को अग्रसारित किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि समाचार की भाषा का स्तर व मर्यादा तथा शब्दों का चयन समाचार की आत्मा है, इसी से समाचार की शोभा तथा मूल्य बढ़ता है। इस धारा से जुड़े लोगो का दायित्व है कि भाषा को सशक्त बनाते हुए लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ को सम्बल प्रदान करें। इसके अतिरिक्त मिर्जापुर के 'नमक और रोटी' प्रकरण पर प्रकाश डालते हुए मा0 अध्यक्ष जी ने बताया कि परिषद द्वारा हस्तक्षेप करने के उपरांत संबंधित पत्रकार को उक्त केस में निरूद्ध नहीं किया गया किन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि 'नमक और रोटी' की सत्यता की जांच होनी चाहिए और सही पाये जाने पर संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त मा अध्यक्ष जी ने अलीगढ़ के मेडिकल स्टोर पर कुट्टू ( एक प्रकार का नशीला पेय) बेचने संबंधी समाचार, आंध्र प्रदेश में पत्रकार की हत्या, आदि संबंधित प्रकरणों पर चर्चा करते हुए चिंतित भाव से कहा कि स्वच्छ पत्रकारिता के माध्यम से हमें समाज को सभ्यता की श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करना होगा। पीत पत्रकारिता को नियम या कानून में बांधकर रोकने से श्रेष्ठ है कि हमें स्वयं के अंदर यह भाव जाग्रत करना होगा कि हम समाज को एक अच्छा संदेश दे सके। मा0 अध्यक्ष ने समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले भ्रामक एवं अश्लील संदेशो पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों को अपनी जिम्मेदारी / मर्यादा का ख्याल रखते हुए इस तरह के भ्रामक एवं अश्लील संदेशो को नहीं छापना चाहिए। समाचार पत्र आम लोगों तक जरूरी समाचारों को पहुंचाने का माध्यम होता है। पत्रों को घर के बड़े बुजुर्गों के साथ ही बच्चे भी पढ़ते है। इससे बच्चों के अंदर गलत बातों का संचार हो सकता है। इसलिए हमें अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए ही कार्य को करना चाहिए। मा0 अध्यक्ष महोदय के संवेदनशील विचारों का उपस्थित पत्रकारों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया। सुनवाई के दौरान श्रीमती अनुपमा भटनागर, सचिव भारतीय प्रेस परिषद तथा मा0 सदस्य डाॅ0 बलदेव राज गुप्ता, एम0ए0 माजिद, कमल जैन नारंग, श्याम सिंह पंवर, अशोक उपाध्याय, सैय्यद रजा हुसैन रिजवी, प्रदीप कुमार जैन उपस्थित रहे।