राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र का 7वां सम्मेलन लखनऊ में हुआ आयोजित

> चुनावों में मतदान का लगातार बढ़ता प्रतिशत दर्शाता है कि लोगों का लोकतंत्र में विश्वास बढ़ा है: लोकसभा अध्यक्ष


> भारत के संसदीय लोकतंत्र के विकास में उत्तर प्रदेश की रही है विशिष्ट भूमिका: उ प्र विधानसभा अध्यक्ष


> हमें उन देशों की मदद के लिए आगे आना होगा, जो लोकतंत्र स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हैं: मुख्यमंत्री



लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत प्रक्षेत्र के सभापति एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बीते गुरूवार को यहां उत्तर प्रदेश विधानसभा भवन में 7वें राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन-2020 के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र हमारे राष्ट्र की आत्मा है। भारत लोकतंत्र के मूल्यों की स्थापना करते हुए विश्व का नेतृत्व कर रहा है। भारत का संविधान लोकतंत्र का रक्षक है। राज्यसभा, लोकसभा, विभिन्न राज्यों के विधानमण्डल, निर्वाचन के माध्यम से जनप्रतिनिधियों को चुनना यह सब हमारे लोकतंत्र का प्रतीक हैं। चुनावों में मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, जो दर्शाता है कि लोगों का विश्वास लोकतंत्र में बढ़ा है। इससे जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी बढ़ी है। उन्हें हर हाल में जनाकांक्षाओं पर खरा उतरना होगा, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधि को उच्च स्थान प्राप्त है। श्री बिरला ने कहा कि उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्वविख्यात है। इस प्रदेश ने स्वतंत्रता आन्दोलन में देश का नेतृत्व किया है। उत्तर प्रदेश ने देश को बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री भी दिए। प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपनी तहजीब के लिए जानी जाती है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत में राजनीतिक बहुलवाद मौजूद है। इसके अलावा धर्म, बोली, खान-पान इत्यादि की विविधता से उपजी अनेकता में एकता हमारे लोकतंत्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को जनता की समस्याओं को सदन के अन्दर नियमों तथा परम्पराओं के साथ प्रभावी ढंग से रखना चाहिए, ताकि लोगों को प्रभावी समाधान मिले। उन्होंने कहा कि सदन लोकतंत्र का मन्दिर है। यहां पर मिलने वाली वाक्स्वतंत्रता हमारे लोकतंत्र को मजबूत करती है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी हैं कि वे संसदीय परम्पराओं और नियमों का पालन करते हुए मर्यादित ढंग से अपने दायित्वों का निर्वाह करें। श्री बिरला ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का यह दायित्व है कि वे सरकार को जनता की आकांक्षाओं से अवगत कराए। उन्हें कानून बनाने में भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभानी चाहिए। संसद और विधानमण्डल जनता के प्रति जवाबदेह बनें। जनप्रतिनिधिगण को अपनी बातें संसदीय समितियों के माध्यम से भी रखनी चाहिए। नीति निर्धारण तथा उनके अनुपालन में भी भूमिका निभानी चाहिए। साथ ही, बजटीय प्रावधानों की समय-समय पर समीक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।



लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बजट का उपयोग समाज के अन्तिम व्यक्ति की भलाई के लिए करना चाहिए, ताकि उसका जीवन आसान बन सके। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संसदीय परम्पराओं का स्तर ऊपर उठाने का भी काम करना चाहिए। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों के अधिकारों को सीमित करने पर विचार करने की बात भी कही। उन्होंने सदन को निर्बाध रूप से चलाने पर चर्चा किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में आवश्यक कानून भी बनाया जाएगा, ताकि सदन निर्बाध रूप से चल सके और उपलब्ध समय का सदुपयोग हो सके। उन्होंने सदस्यों द्वारा सदन में व्यक्त किए गए विचारों पर सरकार के ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का केन्द्र है। भारत के संसदीय लोकतंत्र के विकास में इस क्षेत्र की विशिष्ट भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में बिहार में आयोजित राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के छठे सम्मेलन से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश में एसडीजी के क्रियान्वयन पर विधानसभा का विशेष सत्र 02 अक्टूबर, 2019 को आयोजित किया गया था, जो 36 घण्टे तक अनवरत चला था। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र के 7वें सम्मेलन का आयोजित करने का अवसर उत्तर प्रदेश को मिला है। लखनऊ में आयोजित किया जा रहा यह सम्मेलन लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के विकास को नई दिशा प्रदान करने में सफल होगा। यह संघ काफी लम्बे समय से विभिन्न देशों के विधायी सदनों और उनके सदस्यों के बीच परस्पर समझ एवं सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहा है। यह संघ संसदीय क्षेत्र में रचनात्मक भूमिका का निर्वहन करता है। हम सब को विश्व संसदीय समाज के सिद्धान्त के निकट लाता है और विश्व की विधायी संस्थाओं को लोककल्याण की दिशा में अग्रसर रहने की प्रेरणा देता है। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ, राष्ट्रमण्डल देशों में संसदीय लोकतंत्र के प्रस्तावक के रूप में उभरा है। दस दशकों से भी अधिक समय से विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से यह संघ राष्ट्रमण्डल के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देने तथा लोकतंत्र को सुसाध्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह हमारे लिए सुखद अनुभूति है कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की इस भूमिका को सभी ने एक मत से स्वीकार किया है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत राष्ट्रमण्डल का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारत ने हमेशा राष्ट्रमण्डल के लोकतांत्रिक मूल्यों, आदर्शों और सिद्धान्तों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है, क्योंकि भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना भी राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की भावना के अनुरूप है जिसमें देश की एकता और अखण्डता, स्वतंत्रता, पंथनिरपेक्षता, भाईचारा, समानता और न्याय समाहित है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरा है। भारतीय लोकतंत्र में संसद और राज्य विधानमण्डल सर्वोच्च प्रतिनिधिक निकाय हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी के साथ आमजन की खुशहाली के लिए काम करना होगा। अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता है। यहां खान-पान, रहन-सहन, जाति, मत-पंथ, भाषा सहित अनेक क्षेत्रों में विभिन्नता पाई जाती है। ऐसे में 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश में सभी को एक साथ लेकर चलना चुनौतियों से भरा है परन्तु हमारे देश ने सर्वसम्मति से तालमेल स्थापित करके अपनी अनेकता और विविधता को अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली में बड़ी सफलतापूर्वक समायोजित कर लिया है और विश्व में शान्ति और सौहार्द का सन्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान होने वाले विचार-विमर्श एवं अनुभवों के आदान-प्रदान से ऐसे ठोस निष्कर्ष निकलेंगे, जो लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारी प्राथमिकता सदन में जनता के विश्वास को बनाए रखना और उसे निरन्तर सुदृढ़ करने की होनी चाहिए। जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों, अपने राज्यों, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों को उचित प्लेटफॉर्म/ सदन में उठाना चाहिए और उनपर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नीति निर्धारण में जनप्रतिनिधियों को सरकार की मदद करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश सरकार की यह प्राथमिकता है कि ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन हो जिनका लाभ समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नागरिकों को मूलभूत सुवधिाएं प्रदान करने और उनके जीवन को गरिमापूर्ण बनाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों के प्रति गम्भीरता से कार्य कर रही है।



मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कोई भी देश वैश्विक चुनौतियों से अकेले सफलतापूर्वक निपटने की आशा नहीं कर सकता। जलवायु, परिर्वतन, ऊर्जा, सुरक्षा, सामाजिक-आर्थिक विकास, गरीबी, भुखमरी आदि चुनौतियों का सामना करने के लिए मिल-जुल कर कार्य करना आवश्यक है। ऐसे में राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ अपने सदस्य देशों को मूलभूत समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त करने और उन समस्याओं के समाधान पर आम सहमति बनाने का सार्थक आधार प्रदान करता है। योगी ने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ के आदर्शों को सभी देशों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके सदस्य देशों की विविधताओं और अनुभवों से प्रेरणा लेकर हमें उन देशों की मदद के लिए आगे आना होगा, जो लोकतंत्र स्थापित करने और उसे मजबूत करने की दिशा में अग्रसर हैं। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टण्डन ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के इस ऐतिहासिक भवन में बड़ी संख्या में उच्चकोटि की बहसें हुईं, जो लोकतंत्र के लिए उदाहरण हैं। उत्तर प्रदेश देश की राजनीति का शीर्ष स्थल रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र निरन्तर मजबूत हो रहा है और अब एक नई दिशा की ओर अग्रसर है। इस अवसर पर नेता विरोधी दल राम गोविन्द चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश के संसदीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ द्वारा लोकतांत्रिक प्रणालियों को और अधिक मजबूत बनाने की उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आयोजित ऐसे सम्मेलन सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमण्डल देशों की संसदों के पारस्परिक विचार विनिमय और अनुभवों के आदान-प्रदान से लोकतांत्रिक प्रणाली को जनकल्याणार्थ कार्य करने में सुगमता होगी। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के अन्त में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने सभी उपस्थित अतिथियों/ सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय असेम्बली कैमरून की उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ कार्यकारी समिति की सभापति सुश्री एमिलिआ मोन्जोवा लिफाका, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राज्य विधानमण्डलों से आए पीठासीन अधिकारीगण, राज्य निकायों के महासचिव तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया।


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