आपूर्तित उपखनिजों पर राज्य सरकार द्वारा विनियमन शुल्क अधिरोपित करने हेतु उपखनिज परिहार नियमावली में संशोधन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिसमें उ प्र उपखनिज (परिहार) (अड़तालीसवां संशोधन) नियमावली-2020 के प्रख्यापन का निर्णय शामिल है। मंत्रिपरिषद ने उ प्र उपखनिज (परिहार) (अड़तालीसवां संशोधन) नियमावली-2020 के प्रख्यापन का निर्णय लिया है। वर्तमान में प्रदेश में उपलब्ध उपखनिजों यथा बालू, मोरम, बजरी, खण्डा, गिट्टी, बोल्डर आदि का खनन परिहार उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली–1963 के अध्याय-4 के अन्तर्गत ई-निविदा सह ई-नीलामी प्रणाली के माध्यम से उच्चतम् बिड के आधार पर स्वीकृत किया जा रहा है। प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों में उपखनिजों के खनन पट्टे आवेदन पत्र प्राप्त कर रायल्टी दर पर स्वीकृत होते हैं जबकि उत्तर प्रदेश राज्य में रायल्टी दर को आधार मूल्य मानकर ई-निविदा सह ई-नीलामी माध्यम से खनन पट्टे स्वीकृत हो रहे हैं। इस कारण उत्तर प्रदेश राज्य में अन्य राज्यों की तुलना में उपखनिजों की रायल्टी दर काफी अधिक होने से लेवल प्लेइंग फील्ड के अभाव में उत्तर प्रदेश का खनन व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। अपरोक्ष रूप से खनन/ क्रेशर व्यवसाय प्रभावित होने से रोजगार के अवसर भी सीमावर्ती प्रदेशों में स्थानान्तरित हो रहे हैं। उक्त के अतिरिक्त प्रदेश में खनन क्षेत्र रिक्त रहने से उन पर अवैध खनन की सम्भावना बनी रही है। प्रदेश में उपलब्ध खनिज सम्पदा का पर्याप्त दोहन न होने से अपेक्षित राजस्व प्राप्ति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम-1957 की धारा-15 के अन्तर्गत राज्य सरकार को उपखनिजों के सम्बन्ध में नियम बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। इसके प्राविधान के अन्तर्गत उ प्र उपखनिज परिहार नियमावली–1963 बनायी गई है, जिसमें अब तक 47 संशोधन हो चुके हैं। उ प्र उपखनिज (परिहार नियमावली–1963) के नियम-21 में यह प्राविधान है कि पट्टाधारक को किसी ऐसे खनिज के सम्बन्ध में, जिसे उसके द्वारा स्वीकृत खनन क्षेत्र से निकाला गया हो, पर नियमावली की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट दरों पर स्वामित्व (रॉयल्टी) का भुगतान करना होगाइस नियमावली के इकतालीसवें संशोधन में खनिज के परिवहन पर निर्बन्धन के सम्बन्ध में नियम-70 में आवश्यक प्राविधान हैं। इसके क्रम में सीमावर्ती राज्यों से आपूर्तित उपखनिजों एवं प्रदेश में उपलब्ध उपखनिजों के बाजारू मूल्यों में समानता के परिप्रेक्ष्य में सीमावर्ती राज्यों से आपूर्तित उपखनिजों पर राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अवधारित विनियमन शुल्क अधिरोपित करने हेतु उपखनिज परिहार नियमावली–1963 के नियम-21 और 70 में संशोधन किया जा रहा है।


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