भारत सरकार द्वारा अस्वीकृत योजनाओं को पुनः स्वीकृति हेतु भेजा जाये: मुख्य सचिव

> मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत नवीन परियोजनाओं प्रस्तावों की स्वीकृति हेतु भारत सरकार को यथाशीघ्र भेजने के दिये निर्देश।


> प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत अल्पसंख्यक कल्याणार्थ परियोजनाओं के अनुमोदन विषयक राज्य स्तरीय समिति की बैठक संपन्न।


> प्राइमरी स्कूलों में आवश्यकतानुसार कक्षों की संख्या प्राथमिकता के आधार पर बढ़ायी जाये।



लखनऊ (का ० उ ० सम्पादन)। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत नवीन परियोजनाओं प्रस्तावों को अनुमोदन प्रदान करते हुये स्वीकृति हेतु भारत सरकार को यथाशीघ्र भेजने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने पूर्व में राज्य स्तरीय समिति की बैठक में अनुमोदित परियोजनायें, जिन्हें अभी तक भारत सरकार द्वारा स्वीकृति नहीं दी गई है, उन्हें पुनः स्वीकृति हेतु भेजा जाये। उन्होंने अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में स्मार्ट क्लास रूम की स्थापना के सम्बन्ध में निर्देश दिये कि पूर्व में स्थापित स्कूलों में उपयोगिता की जांच कर स्मार्ट क्लास रूम का सदुपयोग सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने कहा कि योजनान्तर्गत स्कूलों में कम्प्यूटर लैब स्थापित कराने से पूर्व सम्बन्धित जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करा लें कि वहां कम्प्यूटर टीचर उपलब्ध हों। मुख्य सचिव ने यह निर्देश बीते शुक्रवार को योजना भवन में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत अल्पसंख्यक कल्याणार्थ परियोजनाओं के अनुमोदन विषयक राज्य स्तरीय समिति की बैठक में दिये। उन्होंने यह भी कहा कि योजना अन्तर्गत सद्भाव मण्डप के निर्माण हेतु स्थल चयन के समय पंचायती राज विभाग से समन्वय कर ऐसी जगह निर्माण कराया जाये जहां पर इस प्रकार के भवन न हो। उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूलों में आवश्यकतानुसार कक्षों की संख्या प्राथमिकता के आधार पर बढ़ायी जाये। उन्होंने कहा कि परियोजना के अन्तर्गत स्थापित होने वाली सोलर स्ट्रीट लाइट की गुणवत्ता एवं रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाये। राजेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत निर्मित इण्टर कॉलेजों, आईटीआई, पॉलीटेक्निक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं उपकेन्द्रों में आधुनिक बायो-ट्वायलेट स्थापित कराने में स्वच्छ भारत मिशन के मानकों का पालन किया जाये। उन्होंने कहा कि जिन बालिका विद्यालयों में चहारदीवारी न हो या मरम्मत योग्य हो, उन्हें भी प्रस्ताव में शामिल किया जाये। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के अन्तर्गत नवीन स्कूलों का प्रस्ताव तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि उस क्षेत्र में पूर्व से स्कूल स्थापित न हो। राजकीय इण्टर कॉलेजों एवं राजकीय बालिका कॉलेजों के प्रस्तावों के सम्बन्ध में इनके निर्माण के उपरान्त पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर संचालित करने हेतु योजना बनाने के लिये निर्देशित भी किया। प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग मनोज सिंह द्वारा 02 भागों में परियोजनाओं के प्रस्ताव समिति के अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किये गये। प्राथमिक भाग में 2095.50 लाख रुपये से 825 स्मार्ट क्लास, 2574 लाख रुपये से 11 सद्भाव मण्डप, 420 लाख रुपये से 03 कॉमन सर्विस सेण्टर, 2604 लाख रुपये लागत से 52 अतिरिक्त कक्षा-कक्ष, पुस्तकालय एवं बैठक हाल, 219.96 लाख रुपये से 04 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का उच्चीकरण, 270.32 लाख रुपये से 12 कम्प्यूटर लैब, आईटी लैब, साइंस लैब, 980.06 लाख रुपये से 70 शौचालय ब्लॉक की स्थापना, 829.64 लाख रुपये से 2413 सोलर स्ट्रीट लाइट, 3849.44 लाख रुपये से 982 बायो ट्वायलेट, 2291.70 लाख रुपये के 1051 फर्नीचर के प्रस्ताव शामिल थे। इसके अतिरिक्त द्वितीय भाग में कुल 12 विभागों से 724 इकाइयों के कुल लागत रु 62596.58 लाख की परियोजनायें सम्मिलित थीं। इनमें आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक हॉस्पिटल, प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी स्कूल, वर्किंग वूमेन हास्टल, नवीन आईटीआई, आईटीआई का उच्चीकरण, राजकीय इण्टर कॉलेजों की स्थापना, हैण्डपम्प, पाईप पेयजल परियोजना की स्थापना, आंगनबाड़ी केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना, उच्चीकरण एवं रोगी आश्रय स्थलों का निर्माण, राजकीय नलकूपों का निर्माण, पशु चिकित्सालय का उच्चीकरण एवं पशु सेवा केन्द्रों की स्थापना तथा विद्युत सब स्टेशन एवं लाइन शिफ्टिंग के प्रस्ताव सम्मिलित थे। इनकी मानक लागत के सम्बन्ध में सभी विभागों से यह अपेक्षा की गई कि वह अपने विभागीय नार्मस के अनुसार अद्यतन दरों से मानक लागत उपलब्ध करा दें। पेयजल परियोजनाओं के सम्बन्ध में जलशक्ति विभाग से अपेक्षा की गई कि इसके अनुमोदन के लिये पेय जल विभाग से राज्य स्तरीय परियोजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) से अनुमोदन प्राप्त कर यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाये। नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना तथा उच्चीकरण को छोड़कर जनपद पीलीभीत तथा अयोध्या में रोगी आश्रय स्थलों के निर्माण पर सहमति प्रदान की गयी। बैठक में अल्पसंख्यक बाहुल्य ऐसे क्षेत्र जो प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत पूर्व से चिन्हित नहीं हैं, के ऐसे पिछड़े क्षेत्र जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल तथा अन्य बुनियादी सुविधायें पिछड़ेपन के मानक में आती हैं, उन क्लस्टरों का चयन किया गया। इनमें जनपद कुशीनगर, प्रयागराज, महराजगंज, संत कबीरनगर, गोरखपुर, प्रतापगढ़, लखनऊ तथा कानपुर देहात के विभिन्न अल्पसंख्यक बाहुल्य क्लस्टर सम्मिलित हैंपूर्व चयनित 23 परियोजनाओं में स्थल परिवर्तन के सम्बन्ध में जनपदों से प्राप्त प्रस्तावों को भी अनुमोदित किया गया। बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा अराधना शुक्ला, प्रमुख सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी, प्रमुख सचिव व्यावसायिक शिक्षा श्रीमती एस राधा चौहान, प्रमुख सचिव नियोजन आमोद कुमार सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।


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