प्रौद्योगिक क्षमता के अतिरिक्त, इसरो का विज्ञान एवं विज्ञान की शिक्षा में भी है योगदान
> डॉ विक्रम साराभाई जन्मशताब्दी कार्यक्रम के तहत पीएसआईटी प्रागंण में राकेट के आकार का एक मॉडल बनाकर आसमान की ओर छोड़ा गया।
स्पेस प्रदर्शनी का अवलोकन करते वैज्ञानिक एवं मैनेजर भू–केन्द्र सचिदानंद साहू एवं वैज्ञानिक एस के श्यामकृष्ण पाण्डेय।
कानपुर (का ० उ ० सम्पादन)। पीएसआईटी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग, कानपुर एवं इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एण्ड कमांड नेटवर्क, इण्डियन इस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेन्सिंग के संयुक्त तत्वाधान में डॉ विक्रम साराभाई जन्मशताब्दी कार्यक्रम के दूसरे दिन स्पेस प्रर्दशनी अंतरिक्ष में भारत विषय पर पेंटिंग एवं स्केचिंग, इन्ट्रेक्टिव सेशन, पोस्टर मेंकिग एवं अंतरिक्ष के विषय में हिन्दी एवं अंग्रेजी में आशुभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वैज्ञानिक एवं मैनेजर भू–केन्द्र, लखनऊ सचिदानंद साहू ने अपने इन्ट्रेक्टिव सेशन में बताया कि अंतरिक्ष में इसरो के चमत्कार से विश्व भी हैरान है, इसरो ने जिस तरह से सफलता पर सफलता पाई है, आज विश्व भी, भारत के साथ काम करने की इच्छा रख रहा है। इसरो ने सबसे छोटे से सबसे मुश्किल सैटेलाईट की सफलतापूर्वक लॉचिंग कर कई रिकार्ड बनाये है। चंद्रयान 02 से पहले कलामसेट 02 और मंगलयान 02 के लिए भी इसरो जाना जाता है। उन्होनें अपने एक्सपर्ट लेक्चर में सबसे पहले एक इसरो से संबंधित वीडियो को दिखाया गया, इसके बाद उन्होनें इसरो के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिक क्षमता के अतिरिक्त, इसरो ने देश में विज्ञान एवं विज्ञान की शिक्षा में भी योगदान दिया है। भविष्य की तैयारी प्रौद्योगिकी में आधुनिकता बनाए रखने की कुंजी है, जैसे-जैसे देश की आवश्यकताएं एवं आकांक्षाएं बढ़ती हैं, इसरो अपनी प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने व बढ़ाने का प्रयास करता है। उन्होंने विभिन्न सैटेलाईट एवं विकास और उनके अनुभवों के बारें में बताया। विभिन्न स्कूलों के छात्र छात्राओं ने भी, ड्राइंग शीट पर, अंतरिक्ष के बारें में पेन्टिग एवं स्केच और पोस्टर मेंकिंग के माध्यम से एसएलवी, पीएसएलवी, जीएसएलवी, जीएसएलवी-एमके आदि को बनाया। संस्थान के प्रागंण में राकेट के आकार का एक मॉडल बनाकर आसमान की ओर छोड़ा गया, यह करीब आसमान में 200 फीट के उपर तक गया। स्टूडेन्टस ऐसा मॉडल देकर, अचंभित दिखे। आशुभाषण कार्यक्रम में स्टूडेन्टस को अंतरिक्ष से जुड़े टॉपिक जैसे विक्रम साराभाई एक महान संस्थापक, विक्रम साराभाई भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के जनक, इसरो का चद्रंयान मिशन, भारत में उपग्रह संचार का महत्व एवं भारत की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना पर स्टूडेन्टस को 3 से 4 मिनट का समय दिया गया, जिस पर छात्र - छात्राओं ने दिये गये विषय पर अपने विचार रखे। उन्न्त भारत अभियान के तहत एसएलडी, भावपुर के कक्षा 08 के छात्र प्रयास त्रिपाठी ने चंद्रयान पर अपने विचार रखे कहा कि इसरो ने चन्द्रमा पर कदम रखकर, विश्व के साथ बराबरी की है, चंद्रयान पर पता लगाया कि वहाँ जीवन संभव है क्योकि वहाँ बर्फ के रूप में जल असीमित है। अभिशांत त्रिपाठी कक्षा 8 ने कहा कि जिस तरह भारत की जनसंख्या बढ रही है वहीं इसरो के मंगलयान मिशन से मंगल पर रहने की उम्मीदें भी बढ़ती दिख रही हैं। मंगलयान भी भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। किसी भी देश के लिए स्पेस एजेंसी का बहुत महत्व होता है, क्योकि वह टेक्नोलॉजी एवं आधुनिक तौर पर विश्व के साथ जुड़ती है। कार्यक्रम के दूसरे दिन निदेशक, पीएसआईटी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ अजीत कुमार एवं एन शुक्ला ने आये हुए अतिथिओं का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर इस्ट्रेक, इसरो के वैज्ञानिक जिनमें प्रमुख रूप से लखनऊ के वैज्ञानिक एवं मैनेजर भू–केन्द्र सचिदानंद साहू, लखनऊ के वैज्ञानिक एस के श्यामकृष्ण पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।