प्रेजेंटशन के माध्‍यम से हिन्दी भाषा पत्रों के विभिन्‍न प्रारूपों के बारे में विस्‍तृत जानकारियां प्रदान की

卐 उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न।

卐 ई-आफिस में हिंदी में कार्य करने का व्‍यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

卐 भाषा परंपरा हिंदी और हिंदवी के रूप में 13वीं सदी में सूफी साधक अमीर खुसरों के काव्‍य में प्रस्‍फुटित होती है: मुख्य राजभाषा अधिकारी, उ म रे

卐 राजभाषा नीति के अनुसार व्‍यावहारिक और सुबोध हिंदी का प्रयोग करना चाहिए: सहायक निदेशक, राजभाषा 


प्रयागराज। उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में दिनांक 27 फरवरी, 2020 को हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्‍य राजभाषा अधिकारी एवं प्रधान मुख्‍य वाणिज्‍य प्रबंधक महेन्‍द्र नाथ ओझा ने कहा कि हिंदी को आधुनिक भाषा के रूप में पूरी तरह समर्थ बनाना हम सबका युगीन दायित्‍व है। हिंदी और उर्दू के समन्वित स्‍वरूप को ही हिन्‍दुस्‍तानी कहा जाता है। भारत के संविधान में हिंदी को देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्‍यम बनाने की परिकल्‍पना की गई है। इस परिकल्‍पना को साकार बनाने के लिए संविधान में परिगणित सभी भारतीय भाषाओं के शब्‍दों और अभिव्‍यक्तियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। श्री ओझा ने कहा कि आज के आधुनिक परिदृश्‍य में हिंदी को उच्‍च शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, अनुसंधान, संचार, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों से संबंधित शक्ति के साहित्‍य की भाषा बनाना है। हमारी भाषा परंपरा मूर्धन्‍य ऋषियों की सृजनात्‍मकता द्वारा निर्मित है। हमारी भाषाओं और बोलियों का उद्गम लोक और लोक की विधाएं हैं इसीलिए इसमें मिट्टी की खुशबू है तथा स्‍वाभाविक सहजता है। इसीलिए राजभाषा को इसी सहजता और सरलता में ढालना होगा। उन्‍होंने बताया कि वेद आज भी विश्‍व के प्राचीनतम, लेकिन सर्वश्रेष्‍ठ ग्रंथ हैं। यही भाषा परंपरा हिंदी और हिंदवी के रूप में 13वीं सदी में सूफी साधक अमीर खुसरों के काव्‍य में प्रस्‍फुटित होती है। मीर, गालिब, तुलसीदास जैसे महान रचनाकार इसी साझी भाषिक परंपरा के प्रतिनिधि हैं। इस अवसर पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए उप मुख्‍य राजभाषा अधिकारी श्री शैलेन्‍द्र कुमार सिंह ने कहा कि उत्‍तर मध्‍य रेलवे में हिंदी में बहुत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है। हिंदी को सरल और सहज बनाए रखने के साथ-साथ इसके मानक स्‍वरूप पर भी ध्‍यान देना होगा तथा इस हेतु भाषा तकनीक और अन्‍य आधुनिक प्रविधियों का ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रयोग करना चाहिए। श्री सिंह ने उपस्थित कर्मचारियों से अनुरोध किया कि उन्‍हें वर्तनी आदि के शुद्ध प्रयोग पर ध्‍यान देना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्‍य आयकर आयुक्‍त कार्यालय, प्रयागराज के सहायक निदेशक, राजभाषा हरी कृष्‍ण तिवारी ने कहा कि राजभाषा का समुचित प्रयोग-प्रसार सुनिश्चित करने के लिए हमें अपने राजभाषा संबंधी संवैधानिक दायित्‍वों को पूरे मनोयोग से निभाना चाहिए और इसके वैधानिक प्रावधानों और नियमों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। इसके लिए राजभाषा नीति के अनुसार व्‍यावहारिक और सुबोध हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। श्री तिवारी ने उपस्थित कर्मचारियों को प्रजेंटेशन के माध्‍यम से राजभाषा के संवैधानिक प्रावधानों, राजभाषा अधिनियम और राजभाषा नियम की विशद जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में महेन्‍द्र नाथ ओझा ने माँ सरस्‍वती के चित्र पर माल्‍यार्पण एवं दीप प्रज्‍जवलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। कार्यशाला में वरिष्‍ठ राजभाषा अधिकारी चन्‍द्र भूषण पाण्‍डेय ने कर्मचारियों को कंप्‍यूटर पर हिंदी टाइपिंग, राजभाषा अधिकारी  यथार्थ पाण्‍डेय ने प्रेजेंटशन के माध्‍यम से पत्रों के विभिन्‍न प्रारूपों के बारे में विस्‍तृत जानकारियां प्रदान की तथा आयकर आयुक्‍त कार्यालय के वरिष्‍ठ अनुवाद अधिकारी श्री मकरध्‍वज मौर्य ने यूनिकोड तथा मल्‍टी मीडिया में हिंदी के प्रयोग और सीनियर इंजीनियर/आईटी कृष्‍ण कांत सिंह ने ई-आफिस में हिंदी में कार्य करने का व्‍यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यशाला में विभिन्‍न विभागों के कर्मचारी उपस्थित थे। कार्य्रक्रम का संचालन एवं धन्‍यवाद ज्ञापन राजभाषा अधिकारी यथार्थ पाण्‍डेय द्वारा किया गया।

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