समाज के निम्न एवं मध्यम वर्ग के लोगों को विलेखों पर कम रजिस्ट्री शुल्क प्रभार्य होने से राहत प्राप्त होगी


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिसमें स्टाम्प शुल्क के विलेखों में रजिस्ट्रीकरण शुल्क की प्रभार्यता विलेख के मूल्य पर अधिकतम 01 प्रतिशत निर्धारित किए जाने हेतु रजिस्ट्रीकरण शुल्क की सारणी में संशोधन का निर्णय लिया गया है। मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य में मूल्यानुसार स्टाम्प शुल्क की देयता से सम्बन्धित विलेखों में रजिस्ट्रीकरण शुल्क की प्रभार्यता विलेख के मूल्य पर अधिकतम 01 प्रतिशत निर्धारित किए जाने हेतु दिनांक 08 दिसम्बर, 2015 से प्रख्यापित रजिस्ट्रीकरण शुल्क की सारणी में संशोधन करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में राज्य में रजिस्ट्रीकृत होने वाले विलेखों पर प्रभार्य रजिस्ट्री शुल्क की सारणी लागू की गई थी, जिसमें विलेख के मूल्य के अनुसार 02 प्रतिशत किन्तु अधिकतम 20 हजार रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया था। इस प्रणाली के सम्बन्ध में यह संज्ञान में आया कि इसमें कम मूल्य के विलेखों पर शुल्क की दर बड़े मूल्य के विलेखों पर देय शुल्क से ज्यादा हो गयी है। इस सम्बन्ध में देश के अधिकांश राज्यों द्वारा इस व्यवस्था से अलग विलेखों के रजिस्ट्रीकरण में मूल्य के अनुसार 01 प्रतिशत का रजिस्ट्री शुल्क बिना किसी अधिकतम सीमा के लागू किया गया है। इसी व्यवस्था को उ प्र राज्य में भी लागू किए जाने के लिए वर्ष 2015 में लागू की गयी फीस सारणी में अपेक्षित संशोधन किया जा रहा है। रजिस्ट्री शुल्क 01 प्रतिशत किए जाने से समाज के निम्न एवं मध्यम वर्ग के लोगों को उनके कम मूल्य के विलेखों पर कम रजिस्ट्री शुल्क प्रभार्य होने से राहत प्राप्त होगी तथा बड़े मूल्य के विलेखों पर समुचित रजिस्ट्री शुल्क प्राप्त हो सकेगा।


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