बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों के साथ-साथ कानपुर में कोई भी पानी के लिए परेशान न हो : मंत्री, जल शक्ति विभाग 

> ग्रामीण क्षेत्रों में खराब हैण्डपम्पों को दुरूस्त करने के निर्देश।


> पशु पक्षियों के लिए हैण्डपम्पों के पास चरही निर्माण कराने के निर्देश।


> अटल भूजल योजना के तहत चयनित 10 जनपदों में जल संचयन के कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश।


> जो जनपद कोविड-19 से मुक्त हैं, वहां तत्तकाल कार्य शुरू कराये जायें : डॉ महेन्द्र सिंह 


> भूगर्भ जल (प्रबन्धन और विनियमन) अधिनियम 2019 में आवश्यकता के अनुसार संशोधन करने के लिए निदेशक भूगर्भ जल को दी हिदायत।


> एसटीपी परियोजनाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाकर ऑनलाइन अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाये: मंत्री, जल शक्ति विभाग 



लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ महेन्द्र सिंह ने गर्मी के मौसम को देखते हुए बुन्देलखण्ड एवं उसके समान समस्या वाले जनपदों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कारवाई करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में खराब हैण्डपम्पों को दुरूस्त करने की कार्रवाई प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने को कहा है। उन्होंने पेयजल आपूर्ति एवं अन्य निर्माण कार्यो को करते वक्त कोरोना -19 से बचाव के निर्देशों तथा सोशल डिस्टेन्सिग का कडाई से अनुपालन भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने गत वर्षों की भाँति संकटग्रस्त गाँवों में टैंकर के माध्यम से पयेजल पहुँचाने के लिए भी तत्काल कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिये हैं। जलशक्ति मंत्री बुधवार 22 अप्रैल को माल एवेन्यू स्थित जल निगम के फील्ड हास्टल में लद्यु सिंचाई, ग्रामीण पेयजल एवं नमामि गंगे विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी के कारण बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों के साथ-साथ सोनभद्र, मिर्जापुर, कानपुर, मथुरा, आगरा, तथा अन्य जनपदों में पेयजल की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन जनपदों में कोई भी पानी के लिए परेशान न हो, इसके लिए विभागीय अधिकारी युद्ध स्तर पर जुट जाएँ। उन्होंने पशु पक्षियों के लिए हैण्डपम्पों के पास चरही निर्माण कराने के भी निर्देश दिये। डॉ महेन्द्र सिंह ने लद्यु सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए बुन्देलखण्ड के चैकडैम व तालाबों का कार्य आगामी 20 मई तक तथा ब्लास्ट कूपों का कार्य 30 जून 2020 तक हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिये। इसके साथ ही पूरा किये गये कार्यो का थर्ड पार्टी सत्यापन तथा जीयो-टैंगिग कराने की हिदायत दी। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 19-20 के चैकडैम, ब्लास्टकूप, तालाबों के लक्षित कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि अधूरे कार्यों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जायेगी। जलशक्ति मंत्री ने अटल भूजल योजना के तहत चयनित 10 जनपदों में जल संचयन के कार्यों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अधिकारी परिणाम देने की आदत डाले। उदासीनता अथवा लापरवाही को गम्भीरता से लिया जायेगा। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबन्धन और विनियमन) अधिनियम 2019 के प्राविधानों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिये। इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस अधिनियम में आवश्यकता के अनुसार संशोधन करने के लिए निदेशक भूगर्भ जल को हिदायत दी। उन्होंने इच्छुक स्वंयसेवी संस्थाओं को जल संचयन के कार्यो में भागीदारी के लिए प्रेरित करने के भी निर्देश दिये। नमामि गंगे के कार्यों की समीक्षा करते हुए डॉ महेन्द्र सिंह ने लम्बित प्रकरणों के समाधान के लिए संबन्धित विभागों से समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो जनपद कोविड-19 से मुक्त है, सम्बन्धित जिलाधिकारी से वार्ताकर तत्तकाल कार्य शुरू कराये जाये। इसके अलावा प्रदूषित पानी गंगा में न गिरे, इसको टैप कराने की कार्यवाही करायी जाये। इसके अलावा एसटीपी परियोजनाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाकर ऑनलाइन अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाये। जल शक्ति मंत्री ने नदियों के किनारे स्थित कल कारखानों में स्थापित सी0ई0टी0पी0 के संचालन की स्थिति तथा उनसे निकलने वाले उत्प्रवाह के गुणवत्ता की निगरानी गहनता से करने के निर्देश दिये। उन्होंने संचालित परियोजनाओं में खासतौर से यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये कि कोई भी परियोजना टाइम ओवर रन की स्थिति में न पहुँचे, यदि कोई समस्या हो तो उसके लिए कार्य योजना बनाकर परियोजना को निर्धारित अवधि में पूरा किया जाने का हर संभव प्रयास किया जाये। उन्होनें यह भी कहा कि मथुरा जनपद के लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाये। बैठक में मौजूद प्रमुख सचिव, लघु सिंचाई, भूगर्भ जल एवं नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये की मा मंत्री द्वारा दिये गये निर्देर्शो का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। इसके साथ ही निर्माणाधीन परियोजनाओं के कार्यों को निर्धारित समय में पूरा कराये जाये। उन्होंने पेयजल संकट से ग्रस्त जनपदों में पेयजल आपूर्ति के लिए कारगर रणनीति तैयार कर प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित करने के निर्देश दिये। बैठक में जल निगम के प्रबन्ध निदेशक विकास गोठलवाल, अधिशाषी निदेशक राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन सुरेन्द्र राम, विशेष सचिव लघु सिंचाई जुहैर बिन सगीर, विशेष सचिव पेयजल ए दिनेश कुमार, भूगर्भ जल निदेशक वीरेन्द्र कुमार उपाध्याय, विशेष कार्यधिकारी डा हरिशचन्द्र, मुख्य अभियन्ता लघु सिंचाई राजीव कुमार जैन, अधीक्षण अभियन्ता लघु सिंचाई रवीन्द्र सिंह व अलोक सिन्हा, अनुसचिव डा ए के सिंह, सहित अन्य अधिकारी मौजद थे।


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