46 फल व सब्जियों को मण्डी अधिनियम की अधिसूचना से किया गया पृथक

> मण्डी शुल्क के स्थान पर, राज्य सरकार द्वारा तय किया गया सेवा शुल्क (यूजर चार्ज) ही देय होगा।


> मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम में संशोधन के निर्णय को अध्यादेश के माध्यम से लागू किये जाने का लिया फैसला।



लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार 6 मई को उनके सरकारी आवास पर सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिनमें मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी (संशोधन), अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। इसके तहत 46 फल व सब्जियों को मण्डी अधिनियम की अधिसूचना से पृथक कर दिया गया है। इन फल व सब्जियों में आम, सेब, हरी मटर, केला, अनार, पत्ता गोभी-फूल गोभी, मौसम्बी, अंगूर, पपीता, तरबूज, संतरा, बैगन, खीरा, कद्दू, लौकी, गाजर, अरवी, अमरूद, मूली, पेठे वाला कद्दू, भिण्डी, परवल, कच्चा कटहल, करेला, किन्नू, खरबूज, शकरकन्द, चीकू, लीची, आँवला, कुन्दरू, नाशपाती, जिमीकन्द, टिण्डा, बेर, माल्टा, आडू, हरी लोबिया, पका कटहल, चकोतरा, लोकाट, खुबानी, ब्रोकली, सिंघाड़ा, ग्रेप फ्रूट शामिल हैं। इससे इन फल व सब्जियों का व्यापार पूरे प्रदेश में निर्बाध रूप से चल सकेगा तथा ग्राम्य स्तर से किसानों से खरीद भी हो सकेगी। ऐसा करते समय मण्डी परिसर में भी इन फल व सब्जियों के विपणन की सुविधा किसानों के लिए उपलब्ध रहेगी तथा वहां आने पर उन्हें मण्डी शुल्क के स्थान पर, राज्य सरकार द्वारा तय किया गया सेवा शुल्क (यूजर चार्ज) ही देय होगा। जिन फल-सब्जियों को अधिसूचना से बाहर किया जा रहा है, उससे मण्डी परिषद को लगभग 124. 58 करोड़ रुपए वार्षिक राजस्व की हानि सम्भावित है, जिसे मण्डी परिषद अन्य अधिसूचित जिन्सों में प्रवर्तन करते हुए बढ़ाने का प्रयास करेगा। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम, 1964 की धारा - 7(2)(ख), 7(क)(3), 7(ङ), 9(क), 17(3)(ग) में संशोधन का निर्णय भी लिया गया है। उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम में इन संशोधनों से विशिष्ट प्रकार के लाइसेंसी, व्यापारियों, विपणन स्थलों को मण्डी परिषद के बाहर ही किसानों से खरीद की व्यवस्था हो सकेगी। साथ ही, वेयर हाउस, साइलो, शीतगृह जैसे स्थानों को मण्डी घोषित करने की व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सकेगा तथा विपणन की सुविधा बेहतर बनाने के लिए उप स्थल संचालित करने वाले व्यापारियों से यूजर चार्जेज, सेवा शुल्क वसूलने की व्यवस्था हो सकेगी। इसके अतिरिक्त मण्डी अधिनियम में संशोधन से एकीकृत लाइसेंस को ग्राम स्तर पर अपनी सुविधानुसार क्रय करने की सुविधा देने तथा पूर्व अनुमति के स्थान पर ऐसे क्रय स्थानों को मात्र सूचनार्थ उपलब्ध कराने की व्यवस्था व कृषक-उपभोक्ता विपणन व्यवस्था को बढ़ाने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र व मण्डी परिषद द्वारा कृषक-उपभोक्ता बाजार विकसित करने की व्यवस्था हो सकेगी। यह निर्णय कोविड 19 के संक्रमण के परिप्रेक्ष्य में फल-सब्जी मण्डी को विकेन्द्रीकृत कर कृषि उपज को स्थानीय स्तर पर अथवा किसानों के डोर स्टेप पर क्रय करने की व्यवस्था को आगे बढ़ाने एवं मण्डियों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। यह निर्णय किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषक हित में बाजार को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में भी सहायक होंगे। मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी अधिनियम में संशोधन के निर्णय को अध्यादेश के माध्यम से लागू किये जाने का फैसला भी लिया है।


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