आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगा : श्री नरेन्द्र मोदी

आयुष्मान भारत योजना संकटमोचक बनकर आई, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए लाभार्थी: पीएम


> लॉकडाउन में जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए : पीएम


> जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है : पीएम


> देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ देशवासियों की सेवाशक्ति भी इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है : पीएम


> अपनी रोजमर्रा की कमाई की बचत में से, हर रोज़, जरुरतमंदों को खाना खिला रहे हैं देशवासी : पीएम


> सेवा भाव में लगे लोगों, संगठनों और संस्थाओं का तहेदिल से अभिनन्दन करता हूँ : श्री नरेन्द्र मोदी


> इस महामारी पर, जीत के लिए हमारे ये विशेष इनोवेशन भी बहुत बड़ा आधार है : पीएम


> इस संकट की सबसे बड़ी चोट, अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है : पीएम


> रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं : पीएम


> हर जिले में क्वारंटाइन केन्द्रों की व्यवस्था करना, सभी की टेस्टिंग, चेक अप, उपचार की व्यवस्था करना, ये सब काम लगातार  बड़ी मात्रा में चल रहे हैं : पीएम


> पूर्वी भारत के विकास से ही, देश का संतुलित आर्थिक विकास संभव : पीएम


> केंद्र सरकार के फैसलों से गाँवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएँ खुली हैं : पीएम


> लोग, अब, इन लोकल प्रोडक्ट्स को ही खरीद रहे हैं, और वोकल फॉर लोकल को प्रमोट भी कर रहे हैं : पीएम


> आयुष मंत्रालय ने माय लाइफ माय योग नाम से अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग उसकी प्रतियोगिता शुरू की है, देशवासी इसका हिस्सा बन सकते हैं: पीएम


> आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी है, देशभर में इलाज करवा सकते हैं लाभार्थी : पीएम


> एक करोड़ आयुष्मान भारत लाभार्थियों में से 70 प्रतिशत लोगों की सर्जरी की गई, जिनका इलाज सामान्य दवाएं से संभव नहीं था : पीएम


> इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें : पीएम


>>>> प्रधानमंत्री मोदी ने बताया एक सीक्रेट


>>> पीएम से हुई बातचीत में विश्व के अनेक नेताओं ने योग और आयुर्वेद से कोरोना उपचार के बारे में पूछा।


>>>> प्रधानमंत्री मोदी ने किया आह्वान


>>> माय लाइफ माय योग अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, हिस्सेदार बनें देशवासी।


>>>> प्रधानमंत्री मोदी ने जताई आशा


>>> मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।


>>> ऐसे दृश्य जो प्रदूषण में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकीछवि देखने को मिली क्या हम इसे बनाये रख सकते हैं। 


>>>> प्रधानमंत्री मोदी ने की अपील


>>> इस पर्यावरण दिवस पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए संकल्प अवश्य लें।



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नई दिल्ली (पी आई बी)। मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार। कोरोना के प्रभाव से हमारी ‘मन की बात’ भी अछूती नहीं रही है। जब मैंने पिछली बार आपसे ‘मन की बात’ की थी, तब, पैसेंजर ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी। इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है। ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। दो गज की दूरी का नियम हो, मुँह पर मास्क लगाने की बात हो, हो सके वहाँ तक, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो, हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है। हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है। हमारे देश में चुनौतियाँ भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला। कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है। जो नुकसान हुआ है, उसका दुःख हम सबको है। लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है। इतने बड़े देश में, हर-एक देशवासी ने, खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम पीपल ड्रिवेन है। साथियों, देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ, एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है – वो है - देशवासियों की सेवाशक्ति। वास्तव में, इस माहामारी के समय, हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है, कि, सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है, और, हमारे यहाँ तो कहा गया है – सेवा परमो धर्म: जिसका अर्थ है कि सेवा स्वयं में सुख है, सेवा में ही संतोष है। आपने देखा होगा, कि, दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई डिप्रेशन, या तनाव, कभी नहीं दिखता। उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है। साथियों, हमारे डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब, जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है। ‘मन की बात’ में भी मैंने उसका जिक्र किया है। सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है। ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी मोहन। सी मोहन जी मदुरै में एक सलून चलाते हैं। अपनी मेहनत की कमाई से इन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रूपये बचाए थे, लेकिन, इन्होंने ये पूरी राशि इस समय जरुरतमंदों, ग़रीबों की सेवा के लिए, खर्च कर दी। इसी तरह, अगरतला में, ठेला चलाकर जीवनयापन करने वाले गौतमदास जी अपनी रोजमर्रा की कमाई की बचत में से, हर रोज़, दाल-चावल खरीदकर जरुरतमंदों को खाना खिला रहे हैं। पंजाब के पठानकोट से भी एक ऐसा ही उदाहरण मुझे पता चला। यहाँ दिव्यांग, भाई राजू ने, दूसरों की मदद से जोड़ी गई, छोटी सी पूंजी से, तीन हजार से अधिक मास्क बनवाकर लोगों में बांटे। भाई राजू ने, इस मुश्किल समय में, करीब 100 परिवारों के लिए खाने का राशन भी जुटाया है। देश के सभी इलाकों से महिला स्वयं सहायता समूह के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियाँ इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं। गांवों में, छोटे कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियाँ, हर दिन हजारों की संख्या में मास्क बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं। साथियो, ऐसे कितने ही उदाहरण, हर दिन, दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं। कितने ही लोग, खुद भी मुझे नमो ऐप्प और अन्य माध्यमों के जरिए अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं। कई बार समय की कमी के चलते, मैं, बहुत से लोगों का, बहुत से संगठनों का, बहुत सी संस्थाओं का, नाम नहीं ले पाता हूँ। सेवा-भाव से, लोगों की मदद कर रहे, ऐसे सभी लोगों की, मैं प्रशंसा करता हूँ, उनका आदर करता हूँ, उनका तहेदिल से अभिनन्दन करता हूँ। मेरे प्यारे देशवासियों, एक और बात, जो, मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में नवाचार। तमाम देशवासी गाँवों से लेकर शहरों तक, हमारे छोटे व्यापारियों से लेकर स्टार्ट अप तक, हमारी लैब्स कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, नए-नए तरीके इज़ाद कर रहे हैं, नए-नए नवाचार कर रहे हैं। जैसे, नासिक के राजेन्द्र यादव का उदाहरण बहुत दिलचस्प है। राजेन्द्र जी नासिक में सतना गाँव के किसान हैं। अपने गाँव को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए, उन्होंने, अपने ट्रेक्टर से जोड़कर एक सैनिटाइज़ेशन मशीन बना ली है, और ये इनोवेटिव मशीन बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है। इसी तरह, मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े पाइपलाइन  लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं। इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासेस, वीडियो क्लासेस, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है। कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में, जो, काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नज़र है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है। हजारों सालों की मानव-जाति की यात्रा, लगातार, इनोवेशन से ही इतने आधुनिक दौर में पहुँची है, इसलिए, इस महामारी पर, जीत के लिए हमारे ये विशेष इनोवेशन भी बहुत बड़ा आधार है। साथियो, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई का यह रास्ता लंबा है। एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज ही नहीं है, जिसका, कोई पहले का अनुभव ही नहीं है, तो ऐसे में, नयी-नयी चुनौतियाँ और उसके कारण परेशानियाँ हम अनुभव भी कर रहें हैं। ये दुनिया के हर कोरोना प्रभावित देश में हो रहा है और इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है। हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो, और इस संकट की सबसे बड़ी चोट, अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है। उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा, शब्दों में नहीं कही जा सकती। हममें से कौन ऐसा होगा जो उनकी और उनके परिवार की तकलीफों को अनुभव न कर रहा हो। हम सब मिलकर इस तकलीफ को, इस पीड़ा को, बांटने का प्रयास कर रहे हैं, पूरा देश प्रयास कर रहा है। हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र हो, राज्य हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हों - हर कोई, दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं। लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों से, और बसों से, सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटाइन केन्द्रों की व्यवस्था करना, सभी की टेस्टिंग, चेक अप, उपचार की व्यवस्था करना, ये सब काम लगातार चल रहे हैं, और, बहुत बड़ी मात्रा में चल रहे हैं। लेकिन, साथियो, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है। आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, हम, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं। जिस पूर्वी हिस्से में, देश का ग्रोथ इंजन बनने की क्षमता है, जिसके श्रमिकों के बाहुबल में, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाने का सामर्थ्य है, उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है। पूर्वी भारत के विकास से ही, देश का संतुलित आर्थिक विकास संभव है। देश ने, जब, मुझे सेवा का अवसर दिया, तभी से, हमने पूर्वी भारत के विकास को प्राथमिकता दी है। मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में, इस दिशा में, बहुत कुछ हुआ है, और अब प्रवासी मजदूरों को देखते हुए बहुत कुछ नए कदम उठाना भी आवश्यक हो गया है, और, हम लगातार उस दिशा में आगे बढ़ रहें हैं। जैसे, कहीं श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम हो रहा है, कहीं स्टार्ट अप्स इस काम में जुटे हैं, कहीं माइग्रेशन कमीशन बनाने की बात हो रही है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे भी गाँवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएँ खुली हैं। ये फैसले, इन स्थितियों के समाधान के लिए हैं, आत्मनिर्भर भारत के लिए हैं, अगर, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर होते, हमारे कस्बे, हमारे जिले, हमारे राज्य, आत्मनिर्भर होते, तो, अनेक समस्याओं ने, वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने खड़ी हैं। लेकिन, अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ना मानव स्वभाव है। तमाम चुनौतियों के बीच मुझे खुशी है, कि, आत्मनिर्भर भारत पर, आज, देश में, व्यापक मंथन शुरू हुआ है। लोगों ने, अब, इसे अपना अभियान बनाना शुरू किया है। इस मिशन का नेतृत्व देशवासी अपने हाथ में ले रहे हैं। बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है, कि, उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी, एक पूरी लिस्ट बना ली है। ये लोग, अब, इन लोकल प्रोडक्ट्स को ही खरीद रहे हैं, और वोकल फॉर लोकल को प्रमोट भी कर रहे हैं। मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिले, इसके लिए, सब कोई, अपना-अपना संकल्प जता रहा है। बिहार के हमारे एक साथी, श्रीमान् हिमांशु ने, मुझे नमो ऐप्प पर लिखा है कि, वो, एक ऐसा दिन देखना चाहते हैं जब भारत, विदेश से आने वाले आयात को कम से कम कर दे। चाहे पेट्रोल, डीजल, ईंधन का आयात हो, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स का आयात हो, यूरिया का आयात हो, या फिर, खाद्य तेल का आयात हो। मैं, उनकी भावनाओं को समझता हूँ। हमारे देश में कितनी ही ऐसी चीजें बाहर से आती हैं, जिन पर हमारे ईमानदार कर दाता का पैसा खर्च होता है, जिनका विकल्प हम आसानी से भारत में तैयार कर सकते हैं। असम के सुदीप ने मुझे लिखा है कि वो महिलाओं के बनाए हुए लोकल बैम्बू प्रोडक्ट्स का व्यापार करते हैं, और उन्होंने तय किया है, कि, आने वाले 2 वर्ष में, वे, अपने बैम्बू प्रोडक्ट्स को एक ग्लोबल ब्रांड बनायेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगा। मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक सीक्रेट जरुर आज बताना चाहूँगा -  विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ के सम्बन्ध में होती है। कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ कैसे मदद कर सकते हैं ! साथियो, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जल्द ही आने वाला है। योग जैसे-जैसे लोगों के जीवन से जुड़ रहा है, लोगों में, अपने स्वास्थ्य को लेकर, जागरूकता भी लगातार बढ़ रही है। अभी कोरोना संकट के दौरान भी ये देखा जा रहा है कि हॉलीवुड से हरिद्वार तक, घर में रहते हुए, लोग योग पर बहुत गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। हर जगह लोगों ने ‘योग’ और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में, और ज्यादा, जानना चाहा है, उसे, अपनाना चाहा है।  कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी, या तो ऑनलाइन योगा क्लासेज से जुड़ गए हैं या फिर ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं। सही में, योग - कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी सबके लिए अच्छा है। साथियो, कोरोना संकट के इस समय में योग - आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये वायरस, हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम को सबसे अधिक प्रभावित करता है। योग में तो रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं। ये टाइम टेस्टेड तकनीक हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है। कपालभाती और अनुलोम-विलोम, प्राणायाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे। लेकिन भस्त्रिका, शीतली, भ्रामरी जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं। वैसे, आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। आयुष मंत्रालय ने माय लाइफ माय योग नाम से अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग उसकी प्रतियोगिता शुरू की है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक वीडियो बना करके अपलोड करना होगा। इस वीडियो में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है। मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए। साथियो, हमारे देश में, करोडों-करोड़ ग़रीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें। इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी। कुछ ही दिन पहले, आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज का मतलब क्या होता है, मालूम है? एक करोड़ से ज्यादा मरीज़, मतलब, नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो टोटल जनसंख्या है, उससे, दो गुना लोगों को, मुफ्त में, इलाज दिया गया है। अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रुपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते। आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए हैं। मैं, आयुष्मान भारत के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ। आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी है। पोर्टेबिलिटी ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती। इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वही सुविधा, तमिलनाडु में मिलती। इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती हैं। साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं। इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की सर्जरी की गई है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है। मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग, उसको भी, इसी तरह आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला है। केलेनसांग को इतनी छोटी उम्र में दिमाग की गंभीर बीमारी हो गई। इस बच्चे के पिता दिहाड़ी-मज़दूर हैं, और माँ बुनाई का काम करती हैं। ऐसे में बच्चे का इलाज़ कराना बहुत कठिन हो रहा था। लेकिन, आयुष्मान भारत योजना से अब उनके बेटे का मुफ्त इलाज हो गया है। कुछ इसी तरह का अनुभव पुडुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है। उनके लिए भी आयुष्मान भारत योजना संकटमोचक बनकर आई है। अमूर्था वल्ली जी के पति की हार्ट अटैक से दुखद मृत्यु हो चुकी है।  उनके 27 साल के बेटे जीवा को भी हार्ट की बीमारी थी। डॉक्टरों ने जीवा के लिए सर्जरी की सलाह दी थी, लेकिन, दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले जीवा के लिए, अपने खर्च से, इतना बड़ा ऑपरेशन करवाना संभव ही नहीं था, लेकिन, अमूर्था वल्ली ने अपने बेटे का आयुष्मान भारत योजना में रजिस्ट्रेशन करवाया और नौ दिनों बाद, बेटे जीवा के हार्ट की सर्जरी भी हो गई। साथियो, मैंने आपको सिर्फ तीन-चार घटनाओं का जिक्र किया। आयुष्मान भारत से तो ऐसी एक करोड़ से अधिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। ये कहानियाँ जीते-जागते इंसानों की हैं, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए हमारे अपने परिवारजनों की है। आपसे मेरा आग्रह है, कभी समय मिले तो ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करियेगा, जिसने आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना इलाज कराया हो। आप देखेंगे कि जब एक गरीब बीमारी से बाहर आता है, तो उसमें गरीबी से लड़ने की भी ताकत नजर आने लगती है। और मैं, हमारे देश के ईमानदार कर दाता से कहना चाहता हूँ आयुष्मान भारत योजना के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, संतोष मिला है, उस पुण्य के असली हकदार आप भी हैं, हमारा ईमानदार कर दाता भी इस पुण्य का हकदार है। मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ़, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में सुपर साइक्लोन अम्फान का कहर देखा। तूफ़ान से अनेकों घर तबाह हो गए। किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है - प्रशंसनीय है। संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है। साथियो, एक तरफ़ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ़, देश के कई हिस्से टिड्डियों या लोकस्ट के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ़ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे। मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मनाएगीI विश्व पर्यावरण दिवस पर इस साल की थीम है - बायो डाइवर्सिटी यानी जैव - विविधिता I वर्तमान परिस्थितियों में यह थीम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है I  लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ़्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैव-विविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है I आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर–शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं I  अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही हैं I मेरी तरह आपने भी सोशल मीडिया में ज़रूर इन बातों को देखा होगा, पढ़ा होगा। बहुत लोग कह रहे हैं, लिख रहे हैं, तस्वीरें साझा कर रहे हैं, कि, वह अपने घर से दूर-दूर पहाड़ियां देख पा रहे हैं, दूर-दूर जलती हुई रोशनी देख रहे हैं।  इन तस्वीरों को देखकर, कई लोगों के मन में ये संकल्प उठा होगा क्या हम उन दृश्यों को ऐसे ही बनाए रख सकते हैं I इन तस्वीरों नें लोगों को प्रकृति के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी दी है I नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक़ मिले, आसमान भी साफ़-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं I मेरे प्यारे देशवासियो, हम बार-बार सुनते हैं जल है तो जीवन है - जल है तो कल है, लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। वर्षा का पानी, बारिश का पानी - ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है। गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं I पाँच दिन - सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वही जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें। मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है I इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी I मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर्यावरण दिवस पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे I हाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा। साथियो, हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है I  हमें इस लड़ाई को कमज़ोर नहीं होने देना है I हम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है I कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है। आपको, आपके परिवार को, कोरोना से अभी भी उतना ही गंभीर ख़तरा हो सकता है I हमें, हर इंसान की ज़िन्दगी को बचाना है, इसलिए, दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी ज़रूर रखेंगे  I इसी विश्वास के साथ, आपके उत्तम स्वास्थ्य के लिए, मेरी, हार्दिक शुभकामनायें हैं I अगले महीने, फिर एक बार, मन की बात अनेक नए विषयों के साथ जरुर करेंगे।


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