बेहतर डिज़ाइन और सुंदर लुक के लिए पसंद किए जा रहे हैं बिठूर की ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए फेसमास्क

प्रधानमंत्री जी के ‘लोकल टू ग्लोबल’ को चारितार्थ कर रहा है आईआईटी - परिवर्तन – ई-स्पिन का सहयोग


बिठूर की ग्रामीण महिलाओं ने आईआईटी कानपुर की मदद से आर्थिक स्वावलंबन की कमान संभाली


> आईआईटी कानपुर की टीम ने उन्नत भारत अभियान के तहत आईआईटी कानपुर द्वारा गोद लिए गए बिठूर के ग्रामों का भ्रमण कर ईश्वरगंज गाँव के सिलाई केंद्र की संचालिका को चुनकर फेस मास्क बनाने हेतु उन्हें चयनित किया। 


> राधा हरीश के विडियो को उन्नत भारत अभियान टीम ने उन महिलाओं को दिखाकर ट्रेन किया जिन्हें फेसमास्क सिलाई के लिए चुना गया था।


> एन 95 की क्षमता के काफी करीब है इन मास्कों का पार्टीकुललेट फ़िल्टर : ई-स्पिन संस्थापक, संदीप पाटिल



कानपुर (का उ सम्पादन)। कोरोना महामारी में बहुत से ग्रामीणों का काम छिन गया है। कानपुर शहर के इर्द - गिर्द के ग्रामों से हजारों आदमी जो हर रोज़ शहर आकर काम करता था या कुछ पैदावार बेचकर घर चलाने का खर्चा लेकर लौटता था, आज घर पर ही पड़ा है। बहुत से जवान लड़के दूर दराज़ के शहरों से भी लौट रहे हैं। पता नहीं कब कारखाने फिर चलेंगे और बाज़ार रफ्तार पकड़ेगी, यह चिंता उनके चेहरों पर साफ नज़र आती है। इसी बेबसी के माहौल में आईआईटी कानपुर की एक टीम ने बिठूर के उन ग्रामों का भ्रमण किया जिन्हें उन्नत भारत अभियान के तहत आईआईटी कानपुर ने गोद ले रखा है। सिलाई करने वाली महिलाओं को मास्क बनाने का ऑफर दिया गया। आईआईटी के मास्क विशेष फ़िल्टर युक्त थे,और डिज़ाइन ऐसी थी कि नाक और मुँह को एन 95 मास्क की तरह ढकती थी। इस मास्क को तैयार करने के लिए सिलाई में दक्ष महिलाओं की जरूरत थी। 5 गाँव में अलग-अलग जगह सैंपल बनाने को दिये गए। अंत में इस काम के लिए चुना गया प्रिया को जो ईश्वरीगंज गाँव में सिलाई केंद्र भी चलाती हैं। उनसे तरह तरह के फेसमास्क सैंपल तैयार कराये गए, और धीरे शीरे एक पर्फेक्ट मास्क बन कर तैयार हुआ। अब निश्चय किया गया है  कि यह मास्क आईआईटी कानपुर में बांटे जाएंगे। यह भी तय हुआ कि डिमांड होने पर प्रिया बाहर भी सप्लाइ कर सकेंगी। किन्तु लॉकडाउन में मैटेरियल की उपलब्धता भी एक चुनौती थी। उस समय आईआईटी के साथ खड़ा हुए परिवर्तन के सदस्य। उन्होंने अपने फैक्ट्री स्टॉक में रखे कपड़े और अन्य सामान उपलब्ध कराये और प्रिया को मार्केट से जोड़ देने का हौसला दिया। यह स्पष्ट था कि बड़ी संख्या में मास्क बनाने के लिए बहुत सी महिलाएं चाहिए थी और उनकी सही ट्रेनिंग भी कराने की चुनौती थी। अब प्रश्न था सोश्ल ड़िसटेन्सिंग रखते हुये ट्रेनिंग कैसे दी जाए। इसके लिए आईआईटी कानपुर की मदद राधा हरीश जी ने की। उन्होंने स्टेप-बाइ-स्टेप गाइड तैयार करी और उसे विडियो पर उतारा। उस विडियो को उन्नत भारत अभियान टीम ने उन महिलाओं को दिखाकर ट्रेन किया जो सिलाई के लिए चुनी गई थी। धीरे धीरे एक दर्जन महिलाएं जुड़ गईं और महिलाओं कि यह टीम उत्साहपूर्वक आगे बढ़ चली। आज यह मास्क अपनी बेहतर डिज़ाइन और सुंदर लुक के लिए पसंद किए जा रहे हैं। आईआईटी स्थित ई-स्पिन,जो कि स्वासा ब्रांड के एन 95 मास्क बनाती है, के संस्थापक संदीप पाटिल ने कहा कि इस मास्क का पार्टीकुललेट फ़िल्टर एन 95 की क्षमता के काफी करीब है। इसके कारण यह मास्क बहुत अच्छी क़्वालिटी के हैं। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो अभय करंडीकर ने कहा ‘मुझे खुशी है कि उन्नत भारत अभियान के प्रयास से हमारे गोद लिए गाँव में महिलाएं मास्क की कमी को पूरा करके अपना आर्थिक विकास कर रही हैं। साथ में एक सामाजिक सशक्तीकरण की प्रक्रिया भी अब कानपुर के इन ग्रामों से शुरू हो गई है। इस वक्त महिलयों के पास ऑर्डर लगे हुये हैं और वे हर रोज़ 500 मास्क बना रही हैं। बिठूर की इन ग्रामीण महिलाओं की मेहनत और आईआईटी - परिवर्तन – ई-स्पिन का सहयोग प्रधानमंत्री जी के ‘लोकल टू ग्लोबल’ को चारितार्थ कर रहा है। इस पूरे कार्यक्रम की सूत्रधार रीता सिंह ने कहा ‘बहुत जल्द ही हम लोग एक प्रॉडक्शन और ट्रेनिंग सेन्टर इस गाँव में खोलना चाहते हैं और उम्मीद है कि सरकार का ग्राम्य विकास विभाग भी इस काम में सहयोग करेगा। उन्होने बताया कि इस प्रोजेक्ट में आईआईटी के प्रो संदीप संगल, प्रो जे रामकुमार, प्रो शिखर झा, ओम प्रकाश, राधा हरीश और रेणु सिंह का और परिवर्तन की रेणु शाह, रेणु गुप्ता और मंजु सराफ़ जी का योगदान रहा।


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