एमएसएमई को सम्मिलित करते हुए 3 लाख करोड़ रुपये के व्यापार के लिए कोलैटरल फ्री आटोमेटिक लोन्स की सुविधा होगी
एमएसएमई सहित व्यवसाय हेतु :
> एमएसएमई सहित व्यवसाय हेतु कारोबारियों और श्रमिकों के लिए 2500 करोड़ रुपये का ईपीएफ समर्थन भी दिया जाएगा।
> इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज के ठेकेदारों को छूट के लिए 90,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी इंजेक्शन।
> नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी के लिए 45,000 करोड़ रुपये की पार्शियल क्रेडिट गारंटी स्कीम 2.0
> रेरा) के तहत रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण और समापन तिथि का विस्तार किया गया है।
इस आर्थिक पैकेज के तहत 3 लाख करोड़ रुपये के व्यापार के लिए कोलैटरल फ्री आटोमेटिक लोन्स, एमएसएमई को सम्मिलित करते हुए प्रदान किये जाएंगे। एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का सबोर्डिनेट डेब्ट भुगतान भी होगा। एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश शामिल है। एमएसएमई की नई परिभाषा होगी। 200 करोड़ रुपये तक का वैश्विक टेंडर रद्द किए जाएंगे जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। एमएसएमई के लिए अन्य हस्तक्षेप भी होंगे। 3 और महीनों के लिए कारोबारियों और श्रमिकों के लिए 2500 करोड़ रुपये का ईपीएफ समर्थन भी दिया जाएगा। 3 महीने के लिए बिजनेस और वर्कर्स के लिए ईपीएफ का योगदान घटा दिया गया है जोकि 6750 करोड़ रुपए के अल्ले पल्ले है। नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी / हाउसिंग कम्पनीज / माइक्रो फाइनेंस इंस्टीटूशन्स के लिए 30,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी सुविधा दी जायेगी। नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी के लिए 45,000 करोड़ रुपये की पार्शियल क्रेडिट गारंटी स्कीम 2.0 लागू की गई। DISCOMs (इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज) के ठेकेदारों को छूट के लिए 90,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी इंजेक्शन उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के तहत रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण और समापन तिथि का विस्तार किया गया है। टीडीएस / टीसीएस कटौती के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी समेत अन्य प्रत्यक्ष कर उपाय किये गए हैं।