उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया इण्डो–इरानियन वेबिनार का उद्घाटन

"स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिपेक्ष्य” विषय पर इण्डो–इरानियन वेबिनार आयोजित


> प्रो नीलिमा गुप्ता ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्यों के संबंध में कराया अवगत। 


> भारत और ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति एवं इससे सम्बन्धित अन्य परिस्थितियाँ मिलती जुलती : आनंदी बेन पटेल


> 11 विदेशी देशों के 24 प्रतिभागी बने वेबिनार का हिस्सा


> समुदायों को खतरों और आपदाओं से बचाने के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट की आवश्यकता प्रबल : डॉ अली मम्हरी


> 10 प्रतिशत कोविड-19 संक्रमित मरीजों में पाचन तंत्र से संबंधित लक्षण बिना रिसपेरिटरी लक्षणों के पाए गए : प्रो के के तलवार


> प्रो एन के गांगुली ने 'स्मार्ट डायग्नोस्टिक इण्टरप्रेटिंग क्लीनिकल ट्रायल्स एण्ड वैक्सीन्स - कोविड-19' विषय पर व्याख्यान दिया।


> क्लीनिकल एपिडोमोलॉजी, एक्टिव सर्विलांस, ह्यूमन  साइकोलॉजी और एंटीबाडी टेस्टिंग में हो रहा है शोध : डॉ नय्येरेह अमीनीसानी


> वेबिनार हेतु इन संस्थानों ने कराया पंजीकरण


भारत वर्ष के प्रदेशों से विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, संस्थानों, अस्पतालों से विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों, चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्वास्थ्यकर्मियों ने पंजीकरण कराया है। प्रमुख विश्वविद्यालय, संस्थान व अस्पताल जिन्होंने व्याख्यान का लाभ लेने हेतु पंजीकरण कराया है वो हैं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (लखनऊ), एसजीपीजीआईएमएस (लखनऊ), विहारिगल कॉलेज फॉर होम एंड सोशल साइंस (कोलकाता), बनस्थली विद्यापीठ, (राजस्थान), सेंट हॉपकिंस अकादमी (कोलकाता), केपीसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (कोलकाता), पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (पश्चिम बंगाल), मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर), एपीएस यूनिवर्सिटी रीवा (मध्य प्रदेश), भारती कॉलेज (दिल्ली) यूनिवर्सिटी, एसजीपीजीआई लखनऊ, यूपीयूएमएस (सैफई), यूआईपीएस पंजाब यूनिवर्सिटी (चंडीगढ़), क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (बैंगलोर), देहरादून इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (देहरादून), मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (कर्नाटक), सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज डीम्ड विश्वविद्यालय (लेह) केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख, एसजीआरआरयू , देहरादून, एचएनबीजीयू गढ़वाल विश्वविद्यालय, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय भटिंडा, जे पी विश्वविद्यालय (छपरा) बिहार, एस्टुरीन बायोलॉजी रीजनल सेंटर, जेडएसआई गोपालपुर गंजम ओडिशा, सीसीएएस एमपीयूएटी (उदयपुर), कुमाऊं विश्वविद्यालय (नैनीताल), जम्मू विश्वविद्यालय, गीतांजलि विश्वविद्यालय (उदयपुर), वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वेल्लोर) तमिलनाडु, आईसीएआर कृषि विज्ञान केंद्र (गंगावती कोप्पल) कर्नाटक, सह्रदय कॉलेज ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, (कोडारा) त्रिशूर, केरल (कालीकट विश्वविद्यालय से संबद्ध)। डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय डॉ अम्बेडकर नगर, इंदौर मध्य प्रदेश, आईसीएफएआई , विश्वविद्यालय सिक्किम आदि।


क्राइसिस मैनेजमेंट के चार भाग हैं -


1. भविष्यवाणी 


2. रोकथाम 


3. इंटरवेंशन 


4. रिकवरी



राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने शनिवार 30 मई को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा आयोजित ’स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिप्रेक्ष्य’ इण्डो-ईरानियन वेबिनार को सम्बोधित किया।


कानपुर (का उ सम्पादन)। शनिवार 30 मई को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेस द्वारा स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र, भारतीय दूतावास, तेहरान और ईरान के साथ मिलकर "स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड-19 का उभरता परिपेक्ष्य" पर इण्डो - इरानियन वेबिनार (Indo-Iranian Webinar on Evolving Perspective of Covid-19: Health and Global Landscape) आयोजित किया गया। इस वेबिनार का सजीव प्रसारण सायं 4:00 बजे से फेसबुक पर वेलनेस कान पेज पर हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने वेबिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। साथ ही साथ कोविड-19 महामारी से लड़ने एवं लॉकडाउन अवधि में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्यों के संबंध में सभी को बताया। इस वेबिनार का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की मा राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन उदबोधन में कहा कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक परिदृश्य में परिवर्तन आया है। कोरोना का वायरस विभिन्न देशों में अलग - अलग प्रकार से व्यवहार कर रहा है। कोई उपचार एक देश में प्रभावी है, वह दूसरे देश में प्रभावी नहीं है अतः सभी देशों को वैश्विक परिदृश्य में आपस में सर्पक स्थापित कर इस बीमारी के प्रबंधन, उपचार, वैक्सीन इत्यादि के बारे में जानकारी करना एवं उसको एक दूसरे में बाँटना अत्यन्त आवश्यक है। भारत और ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति एवं इससे सम्बन्धित अन्य परिस्थितियाँ मिलती जुलती हैं। दोनो देश कोरोना के सम्बन्ध में जानकारी का आदान प्रदान कर इस बीमारी के विरूद्व लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो अभय कुमार सिंह, निदेशक, स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र, भारतीय दूतावास, तेहरान, ईरान ने कहा कि भारत और ईरान दोनों में श्रेष्ठ चिकित्सक एवं चिकित्सा विज्ञानी हुए हैं। दोनों देश आपस में जानकारी साझा कर कोविड-19 संक्रमण से अच्छे प्रकार से लड़ सकते हैं। इस व्याख्यान हेतु विदेश एवं देश से कुल 4,932 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। विदेशों से पंजीकरण इस प्रकार है - इजिप्ट 05, जर्मनी 01, सउदी अरब 02, नेपाल 03, आयरलैण्ड 02, हांगकांग 01, श्रीलंका 02, यूएई 01, ईरान 01, बांग्लादेश 01, पाकिस्तान 03 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। प्रतिभागियों में 47.1 प्रतिशत विद्यार्थी हैं, 33.4 प्रतिशत संकाय सदस्य, 7.2 प्रतिशत रिसर्च स्कालर, 12.3 प्रतिशत प्रोफेशनल्स (चिकित्सक इत्यादि) व अन्य हैं। ईरान के वक्ता डॉ अली मम्हरी ने क्राइसिस मैनेजमेंट - एप्रोचेज टू कोरोना वायरस क्राइसिस पर बोलते हुए बताया कि हम आसानी से देख सकते हैं कि कोरोना वायरस ने मानव जीवन के सामान्य क्रम को बाधित कर दिया है। यह संसाधनों व जरूरतों के बीच संतुलन को नष्ट अथवा कम कर विकार और अशांति बढ़ाता है। इस स्थिति के तहत एक मजबूत प्रबंधन और अच्छे निर्णय की आवश्यकता होती है। जितने अधिक कुशल लोग और तैयार लोग होंगे उतनी ही तेजी से वे कठिन परिस्थितियों का प्रबंधन कर सकते हैं और कुशल प्रबंधन से हानि भी कम होगी। ऐसी स्थिति में रिश्तों को बनाए रखने और समुदायों को खतरों और आपदाओं से बचाने के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट की आवश्यकता है। क्राइसिस मैनेजमेंट के द्वारा समाज के दीर्घकालिक अस्तित्व और सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। क्राइसिस के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि क्राइसिस सभी व्यवस्थित और स्थिर तत्वों की अचानक अशांति है। क्राइससि मैनेजर कठिन परिस्थितियों में समाज की स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं क्योंकि क्राइसिस पुरानी संरचनाओं और पैटर्न को बाधित करता है। उन्होंने कहा कि सभी समाज अथवा संस्थाओं को कोविड-19 के संबंध क्राइसिस मैनेजमेंट एवं योजनाओं को समझना अत्यंत आवश्यक है। प्रो के के तलवार, पद्मभूषण ने कोविड - 19 के असामान्य लक्षण विषय पर पर बोलते हुए बताया कि यद्यपि कोरोना वायरस श्वसन तंत्र पर प्रभाव डालता है और सामान्य लक्षण, बुखार, खांसी, सांस फूलना हैं लेकिन बहुत सी रिपोर्ट आयी हैं जिनमें यह पता लगा है कि कोरोना वायरस संक्रमण से हृदय, तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, गुर्दा, आंखों व त्वचा से संबंधित लक्षण मिले हैं। हृदय रोग से संबंधित लक्षण 15 - 20 प्रतिशत मरीजों में हो सकते हैं। इन मरीजों में मायोकार्डायटिस, हार्ट फ्लेयोर, एक्यूट कोरोनरी सिण्ड्रोम इत्यादि के लक्षण मिल सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति में न्यूरोलाजिकल लक्षण जैसे कि सर दर्द, इनसेफलाइटिस, स्ट्रोक इत्यादि मिल सकते हैं। कोविड-19 से संबंधित पाचन तंत्र के लक्षणों में भूख कम लगना, डायरिया, उल्टी आना, पेट में दर्द होना प्रमुख हैं। 10 प्रतिशत कोविड - 19 संक्रमित मरीजों में पाचन तंत्र से संबंधित लक्षण बिना रिसपेरिटरी लक्षणों के पाए गए हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीजों में किडनी में एक्यूट ट्यूबलर नेक्रोसिस भी पायी गयी है। भारत के वक्ता प्रो एन के गांगुली, पदभूषण ने 'स्मार्ट डायग्नोस्टिक इण्टरप्रेटिंग क्लीनिकल ट्रायल्स एण्ड वैक्सीन्स - कोविड-19' विषय पर व्याख्यान देते हुए कोरोना इंफेक्शन से कोविड-19 के उपचार के लिए दवाओं, संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन्स के संबंध में बताया। ईरान के वक्ता डॉ मोहसिन आजिमी नेहद ने 'कोविड-19: प्रिवेनशन एण्ड कंट्रोल स्ट्रेटजी इन नेशबूर' विषय पर बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने एवं नियंत्रित करने के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि नेसाबूर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में रिकवरी रेट 90 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि नेसाबूर में एक्टिव सर्विलांस, फ्रेंडली एटमासफियर और रीजनल अस्पतालों पर फोकस कर कोरोना के विरूद्ध लड़ाई लड़ी जा रही है। ईरान की वक्ता डॉ नय्येरेह अमीनीसानी ने 'कोविड-19 : आनगोइंग रिसर्च टापिक्स इन नेशबूर' विषय पर बताया कि नेसाबूर में कोरोना  संक्रमण से संबंधित निम्न विषयों पर शोध हो रहा है जैसे क्लीनिकल एपिडोमोलॉजी, एक्टिव सर्विलांस, ह्यूमन  साइकोलॉजी और एंटीबाडी टेस्टिंग हैं। उन्होंने बताया कि डिप्रेशन एवं डिस्ट्रेस से संबंधित शोध के लिए फोन काल आमंत्रित किए गए और गंभीर व्यक्तियों को मनोचिकित्सक या साइकोलाजिस्ट के पास भेजा गया। एंटीबाडी टेस्टिंग में कोरोना संक्रमित मरीज में दो हफ्ते बाद IgM, IgG टेस्टिंग की गयी। हेल्थ वर्करस में एंग्जायटी का एसेसमेंट किया गया। उन्होंने कहा कि नौजवानों व गर्भवती महिलाओं में रिस्क का असेसमेंट किया गया। उन्होंने कहा कि हम लोग इस संबंध में नेशनल स्टडी का भी प्रस्ताव दे रहे हैं। भारत के वक्ता प्रो रवि कान्त, पदमश्री ने 'कोरोना वायरस इन्फेक्शन मैनेजमेंट स्टडीज इन इण्डिया' विषय पर बोलते हुए बताया कि भारतवर्ष में हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन व एजीथ्रोमाइसिन दवाएं कोरोना वायरस संक्रमण से गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति के उपचार में प्रयोग में लायी जा रही हैं। लेकिन वर्तमान में डब्लूएचओ ने क्लोरोक्वीन & हाइड्राक्सी क्लोरोक्वीन (+/- एजीथ्रोमाइसिन) को कोविड-19 के उपचार या प्रोफाइलेक्सिस में उपचार हेतु मना कर दिया है। इसके साथ ही साथ एण्टीवायरल दवाओं में सामान्य रूप प्रयुक्त होने वाली दवाएं हैं- लोपिनवीर, रटनवीर, रेमेडिसविर, उमेइफेनोविर और फेविपिरवीर हैं। उन्होंने बताया कि इन एण्टी वायरल दवाओं को भी डब्लूएचओ ने कोविड-19 के उपचार या प्रोफाइलिक्सिस के लिए प्रयोग में लाने से मना कर दिया है। इम्युनोमोडुलेटर में टोसीलिज़ुमाब, इंटरफेरॉन-बी -1 दवाएं प्रयोग में लायी जा रही थीं। अब डब्लूएचओ ने इन दवाओं को भी प्रयोग में लाने से मना कर दिया है। प्रो रविकांत ने टेक होम मैसेज देते हए बताया कि रोकथाम इष्ट चिकित्सा है। व्याख्यान के बाद प्रतिभागियों ने वक्तागणों से अपने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। इस वेबिनार में धन्यवाद ज्ञापन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेस के कोआर्डिनेटर डॉ प्रवीन कटियार किया। 


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