कोविड काल में भी है भगवत गीता के उपदेशों की प्रांसगिकता

> "कोविड - 19 एवं भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं की प्रासंगिकता" विषय पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित।


> भगवत गीता के श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान मिल है जो कभी न कभी इंसान के सामने खड़ी होती है : प्रमुख, इस्कॉन मंदिर कानपुर


> मुख्य वक्ता प्रो एम पी सिन्हा ने सात्विक, राजस एवं तामस् तीनों प्रकार की प्रवृत्तियों पर डाला प्रकाश।



कानपुर (का उ सम्पादन)। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि महिला महाविद्यालय किदवई नगर के अंग्रेजी विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार 23 जून 2020 को प्रातः 11:00 बजे से "कोविड - 19 एवं भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं की प्रासंगिकता" विषय पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ। तत्पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ बी आर अग्रवाल द्वारा मुख्य अतिथियों इस्कॉन मंदिर कानपुर के प्रमुख संत दीनानाथ गोपालदास, मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष अंग्रेजी प्रो एम पी सिन्हा तथा डीन फैकल्टी ऑफ आर्ट्स सीएसजेएम विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त विभागाध्यक्षा अंग्रेजी प्रो नूतन कुलश्रेष्ठ, गर्वनमेन्ट पीजी कॉलेज जीरापुर राजगढ एमपी, अन्य वक्ता सेवानिवृत्त अर्थशास्त्री प्रो सीपी त्रिपाठी, स्टेट विश्वविद्यालय प्रयागराज उत्तर प्रदेश से सम्बंध प्रो रावेन्द्र सिंह एवं एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष ह्यूमिनिटिज एण्ड मैनेजमेंट साइंस विभाग डॉ सुधीर नारायण सिंह का स्वागत किया। वेबिनार का विषय प्रवर्तन कार्यक्रम की सचिव डॉ निशि सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन इस्कॉन मंदिर के संत दीनानाथ गोपाल दास द्वारा हआ। इस अवसर पर उन्होंने जीवन का उचित प्रबन्धन करने के सम्बंध में मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि भगवत गीता के 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान मिल जाता है जो कभी न कभी हर इंसान के सामने खड़ी हो जाती है। यदि हम इन श्लोकों का अध्ययन नियमित करें तो हम इस कोविड काल में हर समस्या का हल बगैर किसी मदद के निकाल सकते हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो एम पी सिन्हा ने सात्विक, राजस एवं तामस् तीनों प्रकार की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला एवं बताया कि सात्विक गुण अपनाने से मनुष्य को सुख मिलता है और समाज को भी उचित दिशा देने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त प्रो सिन्हा ने भगवत गीता के अन्तर्गत दी गई तीन प्रमुख शिक्षाओं धर्म, अनुशासित कर्म एवं आत्म ज्ञान पर प्रकाश डाला। उन्होंने ये तीनों ही शिक्षाओं को अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को धारण करने का सुझाव दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो नूतन कुलश्रेष्ठ ने अपने वक्तव्य में भगवत गीता के दूसरे अध्याय में दी गई मन को शांत एवं नियंत्रित करने की ध्यान रूपी कला पर प्रकाश डाला। प्रो सीपी त्रिपाठी ने भगवत गीता में वर्णित कर्म योग के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो सुधीर नारायण सिंह ने ध्यान योग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के समापन सत्र में प्राचार्या एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ बी आर अग्रवाल ने सभी वक्ताओं के वक्तव्यों के मुख्य बिंदुओं को रेखाकिंत किया एवं कोविड काल में भगवत गीता के उपदेशों की प्रांसगिकता के हर बिन्दु पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में भगवत गीता ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें ऊर्जावान एंव हर परिस्थितयों के सामने डटकर मुकाबला करने की प्रेरणा देती है। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी की कोऑडिनेटर डॉ नीता मिश्रा के द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ निशि सिंह एवं तकनीकी सहायक कार्यक्रम सचिव श्रीमती दीपाली निगम द्वारा किया गया। वेबिनार को आयोजित करने मे अंग्रेजी विभाग की प्रवक्ताओं डॉ पारूल अवस्थी, डॉ इन्दू मिश्रा, डॉ अर्चना त्रिवेदी, एवं आई क्यूएसी समिति के सदस्यों डॉ अल्का कटियार, डॉ संगीता सितानी, डॉ प्रतिभा श्रीवास्तव, डॉ ममता दीक्षित एवं श्रीमती दीपाली निगम का सहयोग रहा।


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