महिला आयोग की अध्यक्ष ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वक्तव्य की कड़े शब्दो में की निंदा


उ प्र राज्य महिला आयोग की मा अध्यक्ष श्रीमती विमला बाथम


लखनऊ (का उ)। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अवगत कराया है कि कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा राजकीय बाल गृह (बालिका), कानपुर नगर की बालिकाओं के गर्भाधारण सम्बन्धी संवेदनशील विषय पर बिना तथ्यों की जानकारी किए गैर जिम्मेदाराना तरीके से बयान दिया गया है, जो बालिका गृह की बालिकाओं की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा है कि मैं श्रीमती प्रियंका के इस वक्तव्य की कड़े शब्दो में निंदा करती हूँ। उ प्र राज्य महिला आयोग द्वारा इस विषय का स्वतः संज्ञान लेकर जनपदीय अधिकारियों से निरन्तर वार्ता कर वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त किए जाने के साथ ही आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किये जा रहे हैं। जिला प्रशासन कानपुर नगर द्वारा निरन्तर प्रकरण से सम्बन्धित जानकारी दी जा रही है, जिसमें स्पष्ट किया गया है गृह की सभी गर्भवती बालिकाएं गृह में प्रवेश के समय गर्भवती थीं। उनके वक्तव्य में इस घटना को पूर्व में घटित अन्य घटनाओं के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया गया है। यह वक्तव्य पूर्णतयाः भ्रामक एवं लक्ष्यविहीन है व सुनियोजित तरीके से बालिकाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने का कुत्सित प्रयास है, जिससे जनसामान्य में बहुत ही गलत संदेश गया है। श्रीमती प्रियंका द्वारा वास्तविकता को नकारते हुए जिला प्रशासन पर निराधार आरोप लगाया गया है जो कि निन्दनीय है। वस्तुस्थिति यह है कि उन्हें बालिका गृह में निरूद्ध उक्त कोरोना पीड़ित बालिकाओं व गर्भवती बालिकाओं के उपचार हेतु शासन प्रशासन द्वारा किये जा रहे सकारात्मक प्रयासों का समर्थन करते हुए जन हित में उक्त दिए गए वक्तव्य का खंडन करना चाहिए।आपको बता दें कि रविवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मसले पर बयान दिया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखा, कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह में 57 बच्चियों को कोरोना की जांच होने के बाद एक तथ्य आया कि 2 बच्चियां गर्भवती निकलीं और एक को एड्स पॉजिटिव निकला। प्रियंका गांधी ने लिखा कि मुजफ्फरपुर (बिहार) के बालिका गृह का पूरा किस्सा देश के सामने है। यूपी में भी देवरिया से ऐसा मामला सामने आ चुका है। ऐसे में पुनः इस तरह की घटना सामने आना दिखाता है कि जांच के नाम पर सब कुछ दबा दिया जाता है लेकिन सरकारी बाल संरक्षण गृहों में बहुत ही अमानवीय घटनाएं घट रही हैं।


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