ऑनलाइन विधिक कार्यप्रणाली व पद्धति के बारे में अधिवक्ताओं को किया प्रशिक्षित

卐 अधिवक्ताओं को ऑनलाइन न्याय प्रणाली की पूरी जानकारी व प्रशिक्षण देने के लिए विधिक व तकनीकी  प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजित।

 

卐 सुयोग्य व प्रशिक्षित अधिवक्ता राष्ट्र व समाज का मार्गदर्शक व अभिभावक होता है : श्रीराम जी

 

卐 आज तकनीक के माध्यम से ई गवर्नेंस की सभी सेवाओं को प्राप्त किया जा सकता है : एडवोकेट विवेक शुक्ला

 


 

कानपुर (का उ सम्पादन)। आज जब समाज का हर वर्ग लंबे समय से कोरोना महामारी के कारण अपने-अपने घरों में है तथा इस दौरान समाज व्यवस्था के तमाम तौर-तरीकों में बदलाव हो गया है जो कि समय के साथ आवश्यक भी है। इसी क्रम में न्यायिक प्रणाली में भी बड़ा परिवर्तन हुआ है वर्तमान समय में न केवल  माननीय उच्च व उच्चतम न्यायालय वरन जिला न्यायालय में भी मुकदमा व जमानत प्रार्थना पत्रों का निस्तारण ऑनलाइन होने लगा है। आने वाला समय तकनीक का है इसी आशय से अधिवक्ताओं को ऑनलाइन न्याय प्रणाली की पूरी जानकारी व प्रशिक्षण देने के लिए अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में एक विधिक व तकनीकी  प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन जनपद के मारुति सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य अधिवक्ताओं को वर्चुअल कोर्ट, ई कोर्ट के तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुँच व सुगमता को बनाए रखना है। कार्यशाला का उद्घाटन प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ता परिषद द्वारा नवीन आधुनिक तकनीक से अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण का जो आयोजन किया जा रहा है वो शायद देश का पहला आयोजन है। इस प्रकार के आयोजन न केवल अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण का काम करेंगे साथ ही बदली हुई परिस्थितियों में न्याय को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाएंगे। श्रीराम जी ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुयोग्य व प्रशिक्षित अधिवक्ता राष्ट्र व समाज का मार्गदर्शक व अभिभावक होता है। अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रदेश महामंत्री अश्वनी कुमार त्रिपाठी ने अधिवक्ता परिषद के कार्यों व उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा की अधिवक्ता परिषद का उद्देश्य श्रेष्ठ अधिवक्ताओं का विकास करना व समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक न्याय की सुगमता बनाना है। इस आपदा काल मे समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति के हितों के संरक्षण के लिए काम करके हम सब संविधान की मूल भावना की रक्षा के अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं।कार्यशाला में आमंत्रित मुख्य वक्ता नेशनल लॉ कॉलेज बंगलुरू के विवेक शुक्ला जोकि लीगल कंसलटेंट हैं राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय बेंगलुरु के, ने उपस्थित अधिवक्ताओं को ई- कोर्ट्स और वर्चुअल कोर्ट्स में निहित प्रक्रियाओं के बारे में समझाते हुए बताया कि टेक्नोलॉजी ने मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। आज तकनीक के माध्यम से ई गवर्नेंस की सभी सेवाओं को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय न्याय व्यवस्था भी तकनीक के इस युग में टेक्नोलॉजी का प्रयोग बेहतर और समय पर न्याय प्रदान करने की लिए कर रही है। कोविड 19 की विभीषिका ने जहाँ हम सभी को घरों में कैद कर दिया, वहीँ न्यायालयों को भी कम स्टॉफ से काम करना, परिसर को सैनिटाइज़ करना और सोशल डिस्टेन्सिंग जैसे कुछ आवश्यक कदम उठाने पड़े। न्याय एक सतत प्रक्रिया है और न्याय का चक्र न रुके इसलिए लॉकडाउन में भी न्यायालयों के द्वारा तकनीक के प्रयोग से न्याय देने का प्रयास किया गया जिससे वर्चुअल कोर्ट, ई- कोर्ट्स, ई -फाइलिंग, वीडियो कॉनफ्रेंसिंग इत्यादि नए माध्यमों कि शुरुआत हुई। ई- कोर्ट्स में अधिवक्ता केस से सम्बंधित सभी डाक्यूमेंट्स एक पीडीऍफ़ फाइल के रूम में न्यायालय में दाखिल करते हैं और ऐसे सभी केस में न्यायलय के द्वारा ऑनलाइन निर्णय निर्गत किया जाता है। परन्तु कभी कभी आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के कारण अधिवक्ताओं और वादकारियों को असुविधा भी होती है। आज आवश्यकता है कि ऑनलाइन मुकदमों के निस्तारण के लिए कोर्ट्स के इंफ्रास्ट्रक्टर को अपडेट किया जाए और सामान्य जन, अधिवक्तागण, न्यायाधीशों और सभी कर्मचारियों को ऑनलाइन कोर्ट्स व मुकदमा निस्तारण हेतु प्रक्रियाओं की यथोचित प्रशिक्षण दिया जाए। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री शुक्ला ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर एक इलेक्ट्रॉनिक प्रतीक के रूप में होता है जो किसी अनुबंध या अन्य रिकॉर्ड से जुड़ा होता है और जिसका कि उपयोग हस्ताक्षर करने के इरादे से किया जाता है जबकि डिजिटल सिग्नेचर अधिकृत प्रमाणिक संस्थाओं के द्वारा निर्गत होता है और यह गारंटी देते हैं कि एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ प्रामाणिक व विश्वसनीय है। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए रायपुर से आये हुए विधि विशेषज्ञ शशिकांत त्रिपाठी ने अधिवक्ताओं को उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय में प्रारंभ हुए ऑनलाइन विधिक कार्यप्रणाली व पद्धति के बारे में व ई कोर्ट में करी जाने वाली बहस के दौरान बरती जाने वाली सावधानी के बारे में विस्तार से बताया। एडवोकेट चिन्मय पाठक ने जिला न्यायालय में दाखिल होने वाले वादों की प्रक्रिया व पद्धति के बारे में बताते हुए कहा कि जिला न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते समय संलग्न होने वाले दस्तावेज को बहुत सावधानी से दाखिल करना चाहिए व दिए गए निर्देशों का पालन सावधानी से करना चाहिए। कोविड 19 संबंधित दिशा निर्देशों का पालन करते हुए निर्धारित संख्या में वे मानक अनुरूप शारीरिक दूरी व कोविड 19 के संबंध में सावधानी संबंधित सभी सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए। कार्यक्रम का संयोजन एडवोकेट श्याम नारायण शुक्ला ने व संचालन एडवोकेट प्रशांत ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से अश्वनी कुमार त्रिपाठी, उमाशंकर गुप्ता, शंकर दत्त त्रिपाठी, ज्योत्ति मिश्रा, कमलेश पाठक, दिलीप अवस्थी, एस एन शुक्ला, अनिल दीक्षित, प्रकाश शर्मा, सुशील कुमार शुक्ल, नीरू चौहान, चिन्मय पाठक, निर्भय रेजा, मीनू सचदेवा, संजय शुक्ला, राजीव, सुधीर पाल, दीप अवस्थी, ज्ञानेश्वर, संगीता गुप्ता, देव नारायण आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।

 

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