फिक्की फ्लो ने आयोजित किया कोरोना के बाद शिक्षा पर ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम
卐 वेबीनार में सभी शिक्षाविदों ने शिक्षा के बदलते आयामों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
कानपुर। फिक्की फ्लो लखनऊ और फिक्की फ्लो कानपुर चैप्टर ने बुधवार 10 जून को संयुक्त रूप से कोरोना के बाद शिक्षा नामक वेबीनार का आयोजन किया। इस संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते भारत समेत पूरे विश्व में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है ऐसे समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप कैसा हो इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए छात्र, शिक्षक और अभिभावक तीनों के लिए उचित व तकनीकी रूप से नई शिक्षण विधियों को जानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि उत्तर कोरोना काल में हमारी शिक्षा का स्वरूप पूर्णतया बदल जाएगा। इस ऑनलाइन वार्ता में शामिल हुए वक्ताओं ने इस बात पर सबसे अधिक बल दिया कि इस कठिन और अनिश्चितता के माहौल में किस तरह तकनीकी कौशल का प्रयोग कर वर्तमान समय को आसान किया जा सके और इस कार्य में शिक्षक, छात्र और अभिभावक तीनों की क्या भूमिका हो इसका निर्धारण हो सके। इस अहम विषय पर वार्ता करने के लिए देश के प्रमुख शिक्षाविद इस वेबीनार में मौजूद थे जिनमें प्रमुख रूप से श्री राम स्कूल दिल्ली की उपाध्यक्ष वासवी भारत राम, इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस और अशोका विश्वविद्यालय के सह संस्थापक प्रमाथ राज सिन्हा, वुडस्टाॅक स्कूल के उप प्रधानाचार्य इयान ड्यूनन, अल्ट्रामाउंट ग्रुप की सीईओ साजिदा श्राॅफ और कॉलेज केयर एजुकेशन की संस्थापक उर्वशी मलिक मौजूद थे। वेबीनार में सभी शिक्षाविदों ने शिक्षा के बदलते आयामों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। सर्वप्रथम उर्वशी मलिक ने छात्रों को उच्च शिक्षा में बदलते समय को देखते हुए अपने ही देश में अवसर ढूंढने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमें ज्ञान एवं नवाचार को सक्षम हथियार के रूप में विकसित करना होगा यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय डिजिटल शिक्षा में नए प्लेटफार्म निर्मित कर रही है। इयान ड्यूनन ने बच्चों के शैक्षिक स्तर के उन्नयन में माता पिता की भूमिका पर बल दिया और कहा कि किस प्रकार छात्र तकनीकी सहयोग से शिक्षा में निरंतर प्रगति कर सकते हैं। प्रमाथ राज सिन्हा ने बताया कि कोरोना काल मैं जब छात्र व शिक्षक अलग अलग देश से हैं तो विश्वविद्यालयों को अपनी शिक्षण तकनीक व अध्यापन व्यवस्था में किस प्रकार संतुलन किया जाए इस पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के एक बड़े वर्ग को डिजिटल माध्यमों में नवाचारी उपयोगों में खुद को दक्ष बनाना होगा। साजिदा श्रॉफ ने शिक्षण कौशल के उन आयामों की चर्चा की जिनके द्वारा शिक्षा में नए प्रयोग करके उत्तर उन्नयन किया जा सके। फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की अध्यक्ष पूजा गर्ग ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे विचार से शिक्षा ही संस्कृति हस्तांतरण का सबसे सशक्त माध्यम है। इस संकटकाल में जब समाज का हर वर्ग प्रभावित है तो शिक्षा जगत भी इससे अछूता नहीं है यही कारण है कि आज हमने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है क्योंकि इस समय छात्र ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं व मूकदर्शक बने हुए हैं और अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। कार्यक्रम का समापन करते हुए फिक्की फ्लो कानपुर चैप्टर की अध्यक्ष डॉ आरती गुप्ता ने कहा कि देश को वित्तीय सहयोग देने में शिक्षा का बहुत अहम योगदान है तथा फिक्की फ्लो इस क्षेत्र में उन्नयन के लिए प्रयासरत है। इस समय जब सभी अभिभावक दिशाहीन व भ्रम की स्थिति में हैं ऐसे समय में यह कार्यक्रम उनके लिए उम्मीद और आशा की किरण साबित होगा और उनके बच्चों के भविष्य को सवारने में उनकी मदद करेगा। इस ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के अलावा पूरे देश के फिक्की फ्लो सदस्यों ने भाग लिया और कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन ज्योति दीवान और कीर्ति श्रॉफ ने किया।