दिल्ली - हावड़ा ट्रंक मार्ग का प्रयागराज डिवीजन 130 किलोमीटर प्रति घंटे की सेक्शनल गति हेतु अपग्रेड किया गया
> पूरे ज़ोन में ओएमएस का उपयोग कर की जा रही है ट्रैक की स्थिति की मॉनिटरिंग ।
> वर्तमान वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान लगभग 7000 किलोमीटर ट्रैक में दोष का पता लगाने हेतु अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन तरीके से परीक्षण किया गया।
प्रयागराज (मुख्य संवाददाता, उ म रे)। महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर रेलवे राजीव चौधरी के सक्षम नेतृत्व में उत्तर मध्य रेलवे अपने संरक्षा को बनाए रखते हुए अपने रेल मार्गों पर सेक्शनल गति में सुधार करने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है। उत्तर मध्य रेलवे के अंतर्गत देश के पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी भाग को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने वाले दो सबसे महत्वपूर्ण ट्रंक मार्गों का एक बड़ा हिस्सा आता है। ट्रेनों के माध्यम से तेज कनेक्टीविटी केवल मौजूदा बुनियादी ढांचे के उन्नयन और उत्कृष्ट रखरखाव के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। कोविड-19 महामारी के बावजूद भी, उत्तर मध्य रेलवे ने सेक्शनल गति में सुधार करने और संरक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। संपूर्ण दिल्ली - हावड़ा ट्रंक मार्ग के 50% से अधिक हिस्सा प्रयागराज डिवीजन के गाजियाबाद - पं दीन दयाल उपाध्याय खंड के अंतर्गत आता है। इस खंड पर कमिश्नर रेलवे सेफ्टी से उचित मंजूरी के उपरांत 130 किलोमीटर प्रति घंटे की सेक्शनल गति हेतु अपग्रेड किया गया है। रेल परिचालन में संरक्षा उत्तर मध्य रेलवे के लिए सदैव ही एक प्रमुख प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है और इसे सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक तरीकों के साथ ही आधुनिक तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया जा रहा है। ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्ट्म (ओएमएस) का उपयोग करके पूरे ज़ोन में ट्रैक की स्थिति की मॉनिटरिंग की जा रही है। इस प्रणाली का उपयोग करते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान उत्तर मध्य रेलवे में कुल 21523 ट्रैक किलोमीटर पटरियों की स्थिति का आंकलन किया गया। अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन तकनीक का उपयोग उन पटरियों की खामियों की पहचान करने के लिए किया जाता है जो आंखों से दिखाई नहीं देती हैं। वर्तमान वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान लगभग 7000 किलोमीटर ट्रैक में दोष का पता लगाने हेतु अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन (यूएसएफडी ) तरीके से परीक्षण किया गया है। इस अवधि के दौरान 1872 किलोमीटर मुख्य लाइन की टैंपिंग किया गया है। चालू वर्ष के दौरान, 1099 टर्नाउटों की टैम्पिंग एवं मेन लाइन के 16.069 किलोमीटर ट्रैक की डीप स्क्रीनिंग की गई है। पटरियों की डिस्ट्रेसिंग रखरखाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाले स्ट्रेस को सामान्य किया जाता है। उत्तर मध्य रेलवे में 194.40 ट्रैक किलोमीटर की डिस्ट्रेसिंग की गई है। थ्रू रेल रिन्यूवल (प्राथमिक) 60 किग्रा के तहत कुल 50 ट्रैक किलोमीटर रेल मार्ग का नवीकरण किया गया। इससे पटरियों पर बेहतर भार वहन क्षमता सम्भव हो सकेगी। पहली तिमाही के दौरान कुल 34.37 ट्रैक किलोमीटर का थ्रू फिटिंग नवीकरण किया गया है। लेवल क्रॉसिंग न केवल संरक्षा को प्रभावित करती है बल्कि परिचालनिक अवरोध भी उत्पन्न करते हैं। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान मानव युक्त लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करने के लिए 01 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) और 01 रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) के कार्य को भी पूरा किया गया है।