मेक इन इंडिया का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र


गांधी नगर (का उ)। गुजरात में काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र का तीसरा प्लांट बुधवार 22 जुलाई 2020 सक्रिय हो गया। इस प्लांट के सक्रिय होते ही 700 मेगावॉट बिजली का उत्पादन शुरू हो गया। न्‍यूक्ल‍ियर पावर के क्षेत्र में देश के वैज्ञानिकों व अभियंताओं की यह बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्लांट से जुड़े लोगों को आज बधाई दी और कहा कि यह संयंत्र मेक इन इंडिया का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-3 के सामान्य परिचालन स्थिति में आने (क्रिटिकल) के लिए भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट में कहा, काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र-3 के सामान्य परिचालन स्थिति में आने के लिए हमारे परमाणु वैज्ञानिकों को बधाई! स्वदेश में ही डिजाइन किया गया 700 एमडब्‍ल्‍यूई का केएपीपी-3 रिएक्टर मेक इन इंडिया का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है और इसके साथ ही यह इस तरह की अनगिनत भावी उपलब्धियों में निश्चित तौर पर अग्रणी है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके लिखा कि आज भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है। उन्‍होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की ओर नया भारत लगातार अग्रसर है।



काकरापार परमाणु संयंत्र से जुड़ी खास बातें


> सूरत से करीब 65 किलोमीटर दूर ता‍पी जिले के व्‍यारा में काकरापार परमाणु संयंत्र में पहले दो प्लांट लगाए गए। तीसरा प्लांट आज से सक्रिय हुआ और चौथा निर्माणाधीन है।


> काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन का निर्माण 1984 में शुरू हुआ था।


> 220 मेगावॉट क्षमता वाले काकरापार 1 का निर्माण 1 दिसंबर 1984 को शुरू हुआ और 6 मई 1993 को यह प्लांट सक्रिय हो गया।


> दूसरे संयंत्र यानी काकरापार 2 का निर्माण 1 अप्रैल 1985 को शुरू हुआ और 1 सितंबर 1995 को यह संयंत्र सक्रिय हो गया। इसकी क्षमता भी 220 मेगावॉट है।


> फेज़ 2 में 22 नवंबर 2010 को काकरापार 3 यानी तीसरे संयंत्र का निर्माण शुरू हुआ। 22 जुलाई 2020 यानी आज यह सक्रिय हो गया। इसकी क्षमता 700 मेगावॉट की है।


> काकरापार 4 प्रस्‍तावित संयंत्र है। इसकी क्षमता भी 700 मेगावॉट होगी।


> शुरुआत में काकरापार संयंत्र की अनुमानित लागत 383.52 करोड़ थी, लेकिन फेज़ 1 में दो संयंत्रों के निर्माण में ही 1335 करोड़ रुपए खर्च हुए।


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