न्याय पहुंचाने के संकल्प के साथ अहर्निश अपने पथ पर दृढ़ संकल्प के साथ चल रहा है अधिवक्ता परिषद

> 'अधिवक्ता परिषद : एक यात्रा' विचार गोष्ठी का आयोजन सोशल मिडिया के माध्यम से किया गया।


> गोष्ठी में परिषद के राष्ट्रीय सलाहकार व वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर सिंह ने संगठन की स्थापना और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।


> राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका 'न्यायप्रवाह' के माध्यम से लेखन व अध्ययन कौशल का गुण युवा अधिवक्ताओ मे पैदा किया जा रहा है।



अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश की गौरवशाली यात्रा के 29 वर्ष पूरे होने पर विचार गोष्ठी में अपने विचार रखते अधिवक्ता परिषद् के राष्ट्रीय सलाहकार व वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर सिंह व कार्यकारी महामंत्री अश्वनी कुमार त्रिपाठी।


कानपुर (का उ)। अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश ने अपनी गौरवशाली यात्रा के 29 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस महान संगठन की आधारशिला 23 जुलाई 1992 को महान समाज शिल्पी, सर्वसमावेशी समाज के पुरोधा स्वनामधन्य विचारक राष्ट्रऋषि दत्तोपंत ठेंगड़ी ने रखी थी। इन तीन दशकों के कालखंड में यह संगठन अपने संस्थापक मनीषी के पदचिन्हों और आदर्शों पर चलता हुआ एक ऐसा समर्थ संगठन बन चुका है जो आदर्शों और जीवन मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने व्यावसायिक पथ पर भी नए प्रतिमान स्थापित करने में सक्षम है। अपनी इस यात्रा में यह संगठन अनंत विस्तार की ओर अग्रसर है। इसका सरोकार केवल अधिवक्ता हितों तक ही सीमित नहीं है बल्कि समाज के शोषित वंचित लोगों का भी इसमें समावेशन है। यह संगठन अपने पुरोधा दत्तोपंत ठेंगड़ी के ध्येय वाक्य न्याय मम धर्म: के सिद्धांत को मनसा वाचा कर्मणा अंगीकार किये हुए है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के संकल्प के साथ यह संगठन अहर्निश अपने पथ पर दृढ़ संकल्प के साथ चल रहा है। अपने संकल्पों के क्षितिज को विस्तार देते हुए अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश ने अपने स्थापना दिवस को बहुत ही गौरव और आत्म सम्मान के साथ मनाया। यह आयोजन अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय सलाहकार और वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर सिंह की सहभागिता के चलते एक विशिष्ट उत्सव बन गया। इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद की स्थापना दिवस से लेकर अब तक की गौरवमयी यात्रा सहित विभिन्न आयामों की जानकारी देता हुआ विशेष कार्यक्रम 'अधिवक्ता परिषद : एक यात्रा' का आयोजन सोशल मिडिया के विभिन्न माध्यमों यूट्यूब चैनल व फेसबुक पेज के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में परिषद के राष्ट्रीय सलाहकार व वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर सिंह ने संगठन की स्थापना और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की दत्तोपंत ठेंगड़ी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश का गठन आज ही के दिन 1992 में किया गया था।  जिसका उद्देश्य सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो को न्याय दिलाने के साथ विधि के क्षेत्र में शिक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से गुणवत्ता युक्त योग्य अधिवक्ता तैयार करना है ताकि न्याय पालिका के क्षेत्र में व्यापक सुधार हो सके। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अधिवक्ता परिषद द्वारा प्रदेश की लगभग प्रत्येक जिला इकाई में स्वाध्याय मण्डल व विधिक कार्यशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके माध्यम से समय समय पर जानकारी-परक चर्चा परिचर्चा आयोजित होती रहती है। इसके साथ राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका 'न्यायप्रवाह' के माध्यम से लेखन व अध्ययन कौशल का गुण युवा अधिवक्ताओ मे पैदा किया जा रहा है। इसी प्रकार समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुचाने के संकल्प के क्रम में प्रत्येक जिले में न्याय केंद्र का संचालन हो रहा है जिसके माध्यम से सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े व जरुरतमंद लोगों को निःशुल्क विधिक परामर्श व सहायता प्रदान किया जा रहा है। कार्यक्रम मे वर्चुअल प्रस्तुतिकरण व कार्यक्रम का संचालन अश्वनी कुमार त्रिपाठी कार्यकारी महामंत्री अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया। इस गोष्ठी में अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के 6700 अधिवक्ताओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सजीव प्रसारण में अश्वनी कुमार त्रिपाठी, उमाशंकर गुप्ता, ज्योति मिश्रा, घनश्याम बाजपेयी, राजेंद्र त्रिपाठी, देवालय चौधरी, कमलेश पाठक, सुशील कुमार शुक्ला, ज्योति राव दुबे, संगीता गुप्ता, अनिल दीक्षित, एस एन शुक्ला, संजय शुक्ला, चिन्मय पाठक, देव नारायण, विवेक शुक्ला, पूजा गुप्ता, नीरू चौहान, प्रशांत शुक्ला, आशीष शुक्ला, रिंकू जायसवाल, निशा प्रसाद, सोनी विश्वकर्मा, नज़्मुस्सहार, आदि अधिवक्ताओं की उपस्थित रही।


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