केंद्र विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपना समर्थन प्रदान करना जारी रखेगा : प्रधानमंत्री
> प्रधानमंत्री ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के लिए छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की।
> स्थानीयकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में निवेश को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को किसी भी खतरे की स्थिति जैसे नदी के तटबंध के टूटने, बाढ़ के स्तर, बिजली गिरने आदि के मामले में समय पर चेतावनी दी जा सके : प्रधानमंत्री
> राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को स्थानीय आपदाओं का सामना करने और परिणामी नुकसान को कम करने में मदद करने के लिए लचीलापन के साथ बनाया जाना चाहिए : प्रधानमंत्री
> प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों और संगठनों के अधिकारियों को राज्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त, 2020 को नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश में बाढ़ की स्थिति और बाढ़ प्रबंधन की समीक्षा करते हुए। (फोटो : पत्र सूचना कार्यालय)
नई दिल्ली (पी आई बी)। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 10 अगस्त 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से छह राज्यों यथा असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ-साथ बाढ़ की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, दोनों ही गृह राज्य मंत्री और संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों एवं संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री ने बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए स्थायी प्रणाली स्थापित करने और पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली बेहतर करने हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों के व्यापक उपयोग के लिए सभी केन्द्रीय एवं राज्य एजेंसियों के बीच और भी अधिक समन्वय सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारी पूर्वानुमान एजेंसियों जैसे कि भारत मौसम विभाग और केन्द्रीय जल आयोग बेहतर एवं अधिक उपयोगी बाढ़ पूर्वानुमान लगाने के लिए ठोस प्रयास करते रहे हैं। ये एजेंसियां न केवल वर्षा एवं नदी स्तरीय पूर्वानुमान, बल्कि बाढ़ के विशिष्ट स्थान संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए भी प्रयास कर रही हैं। विशिष्ट स्थान संबंधी पूर्वानुमान को बेहतर करने हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग करने के लिए प्रायोगिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए राज्यों को भी इन एजेंसियों को आवश्यक सूचनाएं देनी चाहिए और स्थानीय समुदायों को संबंधित चेतावनी के बारे में समय पर अवगत कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को किसी भी खतरे की स्थिति जैसे कि नदी के तटबंध के टूटने, बाढ़ का स्तर बढ़ने, बिजली गिरने, इत्यादि के बारे में समय पर चेतावनी दी जा सके। प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए यह भी कहा कि कोविड से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बचाव कार्यों पर अमल करते समय लोग अवश्य ही स्वास्थ्य संबंधी सभी सावधानियां बरतें, जैसे कि फेस मास्क पहनें, हाथ को साबुन से धोएं या सैनिटाइज करें, पर्याप्त सामाजिक दूरी बनाए रखें। इसके साथ ही राहत सामग्री के मामले में भी प्रभावित लोगों के लिए हाथ धोने / सैनिटाइज करने और फेस मास्क पहनने की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए। इस संबंध में वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं और पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विकास और अवसंरचना परियोजनाएं इस तरह से निर्मित की जाएं जिससे कि स्थानीय स्तर पर कोई आपदा होने पर वे मजबूती के साथ टिके रहें और संबंधित नुकसान में कमी करने में भी मदद मिल सके। असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं केरल के मुख्यमंत्री तथा कर्नाटक के गृह मंत्री ने इस दौरान अपने - अपने राज्यों में बाढ़ की स्थिति और बचाव कार्यों के बारे में अद्यतन जानकारियां दीं। उन्होंने समय पर तैनाती करने के साथ - साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ सहित केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बाढ़ के प्रतिकूल प्रभावों में कमी लाने हेतु अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपायों के बारे में भी कुछ सुझाव दिए। प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों एवं संगठनों के अधिकारियों को राज्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया और इसके साथ ही यह आश्वासन दिया कि केन्द्र अपनी ओर से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को हरसंभव सहयोग निरंतर देता रहेगा, ताकि विभिन्न आपदाओं से निपटने की उनकी क्षमता बढ़ सके।