श्रीकृष्ण एक महानायक के समान अनेक प्रसंगों को चरितार्थ करते दिखाई देते हैं : दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा
वृन्दावन (का उ)। योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण का जीवन चरित्र मानव मात्र के लिए प्रत्येक परिस्थिति से जीत जाने का पथ प्रदर्शन है। वो अपने जीवन की समस्त लीलाओं में बताते हैं कि कैसे साधन न होते हुए भी प्रत्येक विषमता में स्वयं को साधकर अपने लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है। चुनौती कितनी बड़ी है, इसकी चिन्ता आपको समाधान नहीं देती बल्कि आप उसके सामने स्वयं को कितनी मजबूती से खड़ा करते हैं, आपकी विजय इस पर निश्चित होती है। राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अपने चिंतन को बहुआयामी रखना होता है, तभी एक आदर्श नागरिक का कर्त्तव्य निभाया जा सकता है। अपने बालपन से लेकर जीवन के अंत तक योगेश्वर श्रीकृष्ण का जीवन सत्य के पक्ष में असत्य से संघर्षरत दिखाई देता है। "जैसे को तैसा" के सिद्धांत पर ही आतताई शक्तियों को धूल - धूसरित किया जा सकता है, श्रीकृष्ण एक महानायक के समान ऐसे अनेक प्रसंगों को चरितार्थ करते दिखाई देते हैं। आज समस्त मानव जाति को आसुरी विचारधारा से बचाने के लिए सत्पुरुषों को योगेश्वर के सिद्धांतों पर चलना चाहिए। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर समस्त देशवासियों को शुभकामनायें प्रदान करते हुए मैं योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हूँ कि वे विश्व की सात्विक शक्तियों को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने और विजयी होने की सामर्थ्य प्रदान करें।