भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी : मोदी
आत्मनिर्भर भारत अभियान, ग्लोबल इकॉनमी के लिए भी एक फोर्स मल्टीप्लायर होगा
> तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए : प्रधानमंत्री
> वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र ने प्रभावशाली रिस्पांस नहीं दिखाया : प्रधानमंत्री
> संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्थाओं में बदलाव आज समय की मांग है : प्रधानमंत्री
> जब हम मजबूत थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं, जब हम मजबूर थे तो दुनिया पर कभी बोझ नहीं बने : प्रधानमंत्री
> भारत वो देश है जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया : प्रधानमंत्री
> 02 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, आपदा प्रतिरोधी संरचना के लिए गठबंधन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ये भारत के ही प्रयास हैं : प्रधानमंत्री
> महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं : प्रधानमंत्री
> आज भारत अपने करोड़ों नागरिकों को डिजिटल एक्सेस देकर एम्पावरमेंट और ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित कर रहा है : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने दिया आश्वासन :
वैक्सीन्स की डिलीवरी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज जैसी क्षमता बढ़ाने में भारत, सभी की मदद करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 26 सितम्बर 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र आम सभा जनरल डिबेट के 5वें दिन अपना संबोधन देते हुए। (फोटो : यू एन वेब टीवी)
नई दिल्ली (पी आई बी)। प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन का मूल पाठ - अध्यक्ष महोदय, संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ पर, मैं, भारत के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों की तरफ से, प्रत्येक सदस्य देश को बहुत - बहुत बधाई देता हूं। भारत को इस बात का बहुत गर्व है कि वो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक देशों में से एक है। आज के इस ऐतिहासिक अवसर पर, मैं आप सभी के सामने भारत के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं, इस वैश्विक मंच पर साझा करने आया हूं। अध्यक्ष महोदय, 1945 की दुनिया निश्चित तौर पर आज से बहुत अलग थी। पूरा वैश्विक माहौल, साधन - संसाधन, समस्याएं - समाधान सब कुछ भिन्न थे। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, जिस स्वरूप में गठन हुआ वो भी उस समय के हिसाब से ही था। आज हम एक बिल्कुल अलग दौर में हैं। 21वीं सदी में हमारे वर्तमान की, हमारे भविष्य की, आवश्यकताएं और चुनौतियां अब कुछ और हैं। इसलिए आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है? सदी बदल जाये और हम न बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है। अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को थर्रा कर रख दिया, खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी - आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे? पिछले 8 - 9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है, एक प्रभावशाली रिस्पांस कहां है? अध्यक्ष महोदय, संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। संयुक्त राष्ट्र का भारत में जो सम्मान है, भारत के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों का इस वैश्विक संस्था पर जो अटूट विश्वास है, वो आपको बहुत कम देशों में मिलेगा। लेकिन ये भी उतनी ही बड़ी सच्चाई है कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। आज भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी एक लॉजिकल एन्ड तक पहुंच पाएगा। आखिर कब तक, भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाली संरचना से अलग रखा जाएगा? एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं, जिस देश ने सैकड़ों वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और सैकड़ों वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है। अध्यक्ष महोदय, जब हम मजबूत थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं, जब हम मजबूर थे तो दुनिया पर कभी बोझ नहीं बने। अध्यक्ष महोदय, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा? अध्यक्ष महोदय, संयुक्त राष्ट्र जिन आदर्शों के साथ स्थापित हुआ था और भारत की मूल दार्शनिक सोच बहुत मिलती जुलती है, अलग नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के इसी हॉल में ये शब्द अनेकों बार गूंजा है - वसुधैव कुटुम्बकम। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत वो देश है जिसने शांति की स्थापना के लिए लगभग 50 शांति मिशनों में अपने जांबाज सैनिक भेजे। भारत वो देश है जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया है। आज प्रत्येक भारतवासी, संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र में अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है। अध्यक्ष महोदय, 02 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, इनकी पहल भारत ने ही की थी। आपदा प्रतिरोधी संरचना के लिए गठबंधन और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ये भारत के ही प्रयास हैं। भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है, न कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में। भारत की नीतियां हमेशा से इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। भारत की नेबरहुड फर्स्ट पालिसी से लेकर एक्ट ईस्ट पालिसी तक, सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर आल इन द रीजन की सोच हो या फिर इंडो पसिफ़िक क्षेत्र के प्रति हमारे विचार, सभी में इस दर्शन की झलक दिखाई देती है। भारत की पार्टनरशिप्स का मार्गदर्शन भी यही सिद्धांत तय करता है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। अध्यक्ष महोदय, महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं। विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल्स की तरफ बढ़ रहे हैं। वैक्सीन्स की डिलीवरी के लिए कोल्ड चेन और स्टोरेज जैसी क्षमता बढ़ाने में भी भारत, सभी की मदद करेगा। अध्यक्ष महोदय, अगले वर्ष जनवरी से भारत, सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा। दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जताया है, मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जन - कल्याण से जग - कल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन - आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लाउंडरिंग के खिलाफ उठेगी। भारत की सांस्कृतिक धरोहर, संस्कार, हजारों वर्षों के अनुभव, हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे। भारत के अनुभव, भारत की उतार - चढ़ाव से भरी विकास यात्रा, विश्व कल्याण के मार्ग को मजबूत करेगी। अध्यक्ष महोदय, बीते कुछ वर्षों में, रिफार्म परफॉर्म ट्रांसफॉर्म इस मंत्र के साथ भारत ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव लाने का काम किया है। ये अनुभव, विश्व के बहुत से देशों के लिए उतने ही उपयोगी हैं, जितने हमारे लिए। सिर्फ 4 - 5 साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। सिर्फ 4 - 5 साल में 600 मिलियन लोगों को ओपन डेफिकेशन से मुक्त करना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। सिर्फ 2-3 साल में 500 मिलियन से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा से जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। आज भारत डिजिटल ट्रांसेक्शन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में है। आज भारत अपने करोड़ों नागरिकों को डिजिटल एक्सेस देकर एम्पावरमेंट और ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित कर रहा है। आज भारत, वर्ष 2025 तक अपने प्रत्येक नागरिक को ट्यूबरक्लोसिस टीबी से मुक्त करने लिए बहुत बड़ा अभियान चला रहा है। आज भारत अपने गांवों के 150 मिलियन घरों में पाइप से पीने का पानी पहुंचाने का अभियान चला रहा है। कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने 6 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट करने की बहुत बड़ी योजना की शुरुआत की है। अध्यक्ष महोदय, महामारी के बाद बनी परिस्थितियों के बाद हम “आत्मनिर्भर भारत” के विजन को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान, ग्लोबल इकॉनमी के लिए भी एक फोर्स मल्टीप्लायर होगा। भारत में आज ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी योजनाओं का लाभ, बिना किसी भेदभाव, प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे। वुमन एंटरप्राइज और लीडरशिप को प्रमोट करने के लिए भारत में बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। आज दुनिया की सबसे बड़ी माइक्रो फाइनेंसिंग स्कीम्स का सबसे ज्यादा लाभ भारत की महिलाएं ही उठा रही हैं। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां महिलाओं को 26 हफ़्तों की पेड मैटरनिटी लीव दी जा रही है। भारत में ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों को सुरक्षा देने के लिए भी कानूनी सुधार किए गए हैं। अध्यक्ष महोदय, भारत विश्व से सीखते हुए, विश्व को अपने अनुभव बांटते हुए आगे बढ़ना चाहता है। मुझे विश्वास है कि अपने 75वें वर्ष में संयुक्त राष्ट्र और सदस्य सभी देश, इस महान संस्था की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए और प्रतिबद्ध होकर काम करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में संतुलन और संयुक्त राष्ट्र का सशक्तिकरण, विश्व कल्याण के लिए उतना ही अनिवार्य है। आइए, संयुक्त राष्ट्र के 75वें वर्ष पर हम सब मिल कर अपने आपको विश्व कल्याण के लिए, एक बार फिर समर्पित करने का प्रण लें।