गंगा नदी के दोनों किनारों से 100 मीटर तक का क्षेत्र फ्लड प्लेन जोन के रूप में किया जायेगा संरक्षित 

> जनपद बिजनौर से उन्नाव, कानपुर तक नो डेवलपमेन्ट / नो कंस्ट्रक्शन अधिसूचित क्षेत्र जोन में किसी भी प्रकार के निर्माण / अतिक्रमण रोकने हेतु संबंधित एजेंसियों द्वारा यथोचित कार्यवाही किये जाने के निर्देश।


> सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उ प्र ने एनजीटी के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए हैं।



लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)। माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के समक्ष विचाराधीन वाद एम.सी. मेहता बनाम यूनियन आफ इण्डिया व अन्य में पारित आदेश 13 जुलाई, 2017 के अनुपालन में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट के क्रियान्वयन के क्रम में फ्लड प्लेन जोन घोषित किये जाने के संबंध में सचिव सिंचाई एवं जलसंसाधन विभाग द्वारा विभिन्न विभागों को पत्र प्रेषित करते हए आवश्यक कार्यवाही किये जाने की अपेक्षा की गई है। एम.सी. मेहता बनाम यूनियन आफ इण्डिया एवं अन्य में 13 जुलाई, 2017 को पारित आदेश में दिये गये निर्देशों के अनुपालन में प्रदेश की सीमा के अन्तर्गत जनपद बिजनौर से उन्नाव, कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों से 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण, अतिक्रमण, व्यावसायिक गतिविधियां, पट्टे, नीलामी, प्रदूषण करने वाली गतिविधियों समेत सभी गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए इस क्षेत्र को “नो डेवलपमेन्ट / नो कन्स्ट्रक्शन जोन" अधिसूचित किया गया था। इस आदेश के अनुपालन में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा मा राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट के क्रियान्वयन के क्रम में फ्लड प्लेन जोन घोषित किये जाने के संबंध में प्रदेश के 16 जनपदों को नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन के देशांतर / अक्षांश एवं नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन अधिसूचित किये जाने का प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है। गंगा नदी के किनारों पर हो रहे अवैध निर्माण / अतिक्रमण को रोकने में संबंधित विभागों द्वारा प्रभावी नियंत्रण न किये जाने पर मा राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली ने 13 जुलाई, 2017 को आदेश पारित किये थे। इस आदेश में सेग्मेन्ट बी फेज-1 (हरिद्वार से उन्नाव, कानपुर) तक नदी के किनारों से 100 मीटर तक नो डेवलपमेन्ट / नो कन्स्ट्रक्शन जोन बनाये जाने के लिए सिंचाई विभाग उ प्र एवं नगर विकास विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इस वाद में दिये गये आदेश के तहत फ्लड प्लेन जोन के चिन्हांकन के संबंध में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश की सीमा के अन्तर्गत जनपद बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, गाशीराम नगर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव एवं कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों पर नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन के देशांतर एवं अक्षांश उपलब्ध कराये गये हैं। इसके आधार पर नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन अधिसूचित किया जाना प्रस्तावित किया गया है। जनपद के सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश के संबंधित अभियन्ता (बाढ़ खण्ड) एवं जिन जनपदों में अधिशासी अभियन्ता (बाढ़ खण्ड) की तैनाती नहीं है वहां पर अधिशासी अभियन्ता (नोडल) के द्वारा नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन नक्शे पर एवं कार्य स्थल पर चिन्हित कराया जायेगा। केन्द्रीय जल आयोग द्वारा मा राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली में प्रेषित अंतिम रिपोर्ट के आधार पर नो डेपलपमेन्ट जोन में अस्थायी निर्माण राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की पूर्व अनुमति के उपरान्त दैविक / प्राकृतिक आपदा या धार्मिक / सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अस्थायी निर्माण की गतिविधियां अनुमन्य होंगी। इसके अलावा एम.ओ.ई.एफ. और सी.सी. की गाइड लाइन्स के तहत नियंत्रित बालू, पत्थर, बजरी रिवर बेड पदार्थों का खनन किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति से संरक्षित स्मारक, मंदिर, बोरिंग जेटीज, पार्क, एवं श्मशान घाट की मरम्मत एवं पुनरोद्धार तथा जैविक खेती एवं स्थानीय पेड़ों पौधों का व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पौधरोपण, बाढ़ कटाव नियंत्रण, रिवर वाटर-वे की डिसिल्टिंग तथा क्षतिग्रस्त बांधों की मरम्मत एवं अनुरक्षण का कार्य किया जा सकेगा। निर्देशों में कहा गया है कि नदी के किनारे सांस्कृतिक / धार्मिक व अन्य सामान्य प्रयोजनों के लिए कच्चे रास्तों का निर्माण, जल परिवहन, जल क्रीड़ा एवं नेविगेशन संबंधित गतिविधियां सम्पन्न की जा सकेंगी। इस जोन को फ्लड प्लेन जोन के रूप में ही संरक्षित किया जायेगा एवं अन्य सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बन्द कर दिया जायेगा। केन्द्रीय जल आयोग द्वारा मा राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली में प्रषित अंतिम रिपोर्ट के आधार पर रेग्यूलेटरी जोन में जिन गतिविधियों को अनुमन्य किया जायेगा उनमें पुलों, सड़कों व अन्य सामान्य सुविधाओं का निर्माण विस्तार तथा आधुनिकीकरण एवं जलमार्ग सुविधा के कार्य शामिल हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चिन्हित रेड श्रेणी के उद्योग प्रतिबंधित रहेंगे। इसके साथ ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमन्य ग्रीन एवं आरेंज श्रेणी के उद्योग जल क्रीड़ा एवं जल परिवहन, स्टोन क्रशिंग प्लाण्ट अनुमन्य होंगे। इस जोन को रेग्यूलेटरी जोन के रूप में ही संरक्षित किया जायेगा एवं अन्य सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बन्द या विस्थापित किया जायेगा। केन्द्रीय जल आयोग द्वारा प्रेषित अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि जिलाधिकारी स्तर पर नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन की निगरानी के लिए प्रत्येक माह बैठक बुलाई जायेगी। अतिक्रमण आदि हटाने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। आर.बी.ओ. एक्ट, यूपी अरबन प्लानिंग एण्ड डेवलपमेन्ट एक्ट-1973 तथा इन्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट एक्ट-1976 के अन्तर्गत नो डेपलपमेन्ट जोन / रेक्युलेटरी जोन में किसी प्रकार के निर्माण कार्य हेतु कोई एन.ओ.सी. नहीं दी जाएगी और न ही नक्शा स्वीकृत किया जाएगा। जिलाधिकारी द्वारा यूपी फ्लड इमरजेंसी पावर एक्ट-1991 का प्रयोग किया जाएगा। अतिक्रमण कार्यों / अवैध निर्माणकर्ता को राशन कार्ड, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन आदि राजकीय सुविधाएं उपलब्ध न कराये जाने के निर्देश दिए गए हैं। इस प्रकरण में विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा 06 अगस्त, 2020 के प्रस्ताव के अनुसार मा एन.जी.टी. के आदेशों के अनुपालन में उत्तर प्रदेश की सीमा के अन्तर्गत जनपद बिजनौर से उन्नाव, कानपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारों से अंकित देशांतर एवं अक्षांश तक नो डेवलपमेन्ट / नो कंस्ट्रक्शन जोन अधिसूचित किये जाने की अधिसूचना जारी करते हुए अधिसूचित क्षेत्र जोन में किसी भी प्रकार के निर्माण / अतिक्रमण रोकने हेतु संबंधित एजेंसियों द्वारा यथोचित कार्यवाही की जाएगी। सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, उ प्र ने इन निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए हैं।


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