हमारी पहुंच भारत के छोटे से छोटे गांव, छोटी से छोटी गली तक होनी ही चाहिए : मोदी 

भाजपा के हर कार्यकर्ता को लागू किए गए कानूनों को, सरल भाषा में किसान साथियों के बीच ले जाना है : मोदी 


हमारे आदर्श, हमारी परंपरा, हमारी प्रेरणा, जितनी प्राचीन है, उतनी ही नवीन भी होनी चाहिए


पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं : प्रधानमंत्री


सभी को अवसर मिले इसी ध्येय के साथ एस सी / एस टी वर्ग के साथियों के लिए आरक्षण के प्रावधान को हमारी सरकार ने पार्लियामेंट में अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ाया है : प्रधानमंत्री 


 


देश के ईमानदार करदाताओं के हितों को सुरक्षा देने वाला, फेसलेस अपील का प्रावधान, भारत की टैक्स व्यवस्था से जुड़ने वाला है : प्रधानमंत्री


प्रधानमंत्री ने 13 अगस्त, 2020 को ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’  प्‍लेटफॉर्म के हिस्से के रूप में फेसलेस असेसमेंट और टैक्‍सपेयर्स चार्टर का शुभारंभ करते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर, 2020 को ‘फेसलेस अपील्‍स’ का शुभारंभ करने की घोषणा की थी। आज सीबीडीटी ने ‘फेसलेस अपील्‍स’ का शुभारंभ किया।


 


किसानों को कानूनों में उलझाकर रखा गया .... 


प्रधानमंत्री ने कहा कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया। क़र्ज़ को कम करने के लिए एनडीए सरकार ने निरंतर पहले लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की।


 


किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो ...


प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले सिर्फ उसी किसान को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलता था जिसके पास 2 हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इसके दायरे में देश के हर किसान को ले आई। अब किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ पशुपालकों और मछली पालन से जुड़े लोगों को भी दिया जा रहा है।


 


श्रमिक साथियों को दर्जनों कानूनों के कुचक्र से बाहर निकालने का प्रयास किया गया  ....


प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्माण से जुड़े श्रमिकों के लिए एक कानून, खेत से जुड़े श्रमिकों के लिए दूसरा कानून। पत्रकारिता से जुड़े कामगारों के लिए एक कानून, फिल्म उद्योग के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक साथियों के लिए अलग कानून। ऐसे अनेक कानून थे। अब इस स्थिति को बदल दिया गया है। 


 


श्रमिक साथियों की भलाई के लिए लागू किए गए 4 लेबर कोड्स में -


> देश के सभी संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वेतन मिले और समय पर मिले, इसको कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है।


> एक राज्य से दूसरे राज्य में काम के लिए जाने वाले श्रमिकों को रेगुलर कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलेगा, वेलफेयर से जुड़ी दूसरी योजनाओं का लाभ मिलेगा और उन्हीं की ही तरह काम के घंटे भी फिक्स होंगे। अब ठेका मज़दूरी के स्थान पर एक फिक्स्ड टर्म के रोज़गार का भी विकल्प दिया गया है।


> अभी पूरे देश में न्यूनतम वेतन को लेकर करीब 10 हज़ार अलग - अलग दरें हैं। अब नए प्रावधानों से ये 200 के करीब रह जाएंगी।


> रेहड़ी - पटरी वालों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, कि अगर वो अपने छोटे कारोबार को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बैंक उनको आगे भी ज्यादा लोन दे सके, कम दरों पर कर्ज दे सके। ये सिर्फ एकमुश्त ऋण की योजना नहीं है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार 25 सितम्बर 2020 को पं दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए।


नई दिल्ली (narendramodi.in)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पं दीनदयाल उपाध्याय की जयंती शुक्रवार 25 सितम्बर 2020 पर भारत भर से भाजपा के कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कोविड - 19 महामारी के दौरान समाज की सेवा में डूबे रहने वाले लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवारों को अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। जिस तरह से इन कार्यकर्ताओं ने समाज की मदद की है वह हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन का मूल पाठ - देशभर में फैले भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को दीनदयाल उपाध्याल जी की जन्म जयंति पर अनेक - अनेक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सभी सामान्य जन की सुरक्षा और सेवा के लिए समर्पित भाव से निरंतर काम कर रहे हैं। कोरोना की चुनौतियों के बीच भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी इस सेवा साधना को बिना रुके, बिना थके, जारी रखा है। आज हमारे बीच, ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीन दयाल जी को जीते जी, देखा हो, सुना हो या उनके साथ काम किया हो। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में, भारत को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने जो योगदान दिया है, वो पीढ़ियों को प्रेरित करने वाला है। ये दीनदयाल जी ही थे, जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति और समाजनीति, इन तीनों को भारत के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात मुखरता से कही थी, लिखी थी। 21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें दीन दयाल जी जैसे महान व्यक्तित्वों का बहुत बड़ा आशीर्वाद है। आज से ही देश के ईमानदार करदाताओं के हितों को सुरक्षा देने वाला, फेसलेस अपील का प्रावधान, भारत की टैक्स व्यवस्था से जुड़ने वाला है। ईमानदार करदाताओं को परेशानी ना हो, इसके लिए फेसलेस टैक्स सिस्टम कुछ महीने पहले ही टैक्स रिजीम का हिस्सा हो चुका है। आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक - एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है, तब गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मज़दूरों को उनका हक देने का बहुत ऐतिहासिक काम हुआ है। दीन दयाल जी कहते थे कि बड़ी - बड़ी घोषणाओं के बावजूद जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा था- अव्यवस्था और अनाचार, अभाव और असमानताएं, असुरक्षा और असमाजिकता बढ़ती जा रही है। किसान और श्रमिक के नाम पर देश में, राज्यों में अनेकों बार सरकारें बनीं लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल, जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही श्रमिक। किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वो अपनी ही उपज को, अपने मन मुताबिक बेच भी नहीं सकता था। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का काम किया है। पहले लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की। सरकार ने इस बात का भी प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हो, उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो। पहले सिर्फ उसी किसान को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलता था जिसके पास 2 हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इसके दायरे में देश के हर किसान को ले आई। अब किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ पशुपालकों और मछली पालन से जुड़े लोगों को भी दिया जा रहा है। बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंकों से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं। आज़ादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े - बड़े घोषणापत्र लिखे गए, लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है कि वो सारी बातें कितनी खोखली थी। भाजपा सरकार ने जो काम किया है, अब भाजपा के हर कार्यकर्ता को इन कानूनों की भावना को, बिल्कुल सरल भाषा में किसान साथियों के बीच ले जाना है। किसानों से हमेशा झूठ बोलने वाले कुछ लोग इन दिनों अपने राजनीतिक स्वार्थ की वजह से किसानों को भ्रमित करने में लगे हैं। ये लोग अफवाहें फैला रहे हैं। किसानों की तरह ही हमारे यहां दशकों तक देश के श्रमिकों को भी कानून के जाल में उलझाकर रखा गया है। जब - जब श्रमिकों ने आवाज़ उठाई, तब - तब उनको कागज पर एक कानून दे दिया गया। निर्माण से जुड़े श्रमिकों के लिए एक कानून, खेत से जुड़े श्रमिकों के लिए दूसरा कानून। पत्रकारिता से जुड़े कामगारों के लिए एक कानून, फिल्म उद्योग के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक साथियों के लिए अलग कानून। ऐसे अनेक कानून थे। ज़रूरत श्रमिकों का जीवन आसान बनाने की थी, लेकिन उनके जीवन को कानूनी दांव - पेंचों में उलझाकर रख दिया गया। इस वजह से वो इंसाफ के लिए कोर्ट का रुख करते भी तो बरसों - बरस कचहरी के चक्कर ही काटते रह जाते थे। अब इस स्थिति को बदल दिया गया है। 4 लेबर कोड्स के माध्यम से देश के श्रमिक साथियों को दर्जनों कानूनों के कुचक्र से बाहर निकालने का प्रयास किया गया है। श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा और वेतन को लेकर अब कानूनों को सरल बनाया गया है, सहज बनाया गया है। नए कानूनों के माध्यम से देश के सभी, करीब 50 करोड़ संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वेतन मिले और समय पर मिले, इसको कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है। अब आईटी इंडस्ट्री, होटल, ढाबा, ट्रांसपोर्ट, घरेलू कामगार, असंगठित क्षेत्र के तमाम दूसरे श्रमिकों को भी इसके दायरे में लाया गया है। अभी तक खनन, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन वर्कर, स्वीपिंग और क्लीनिंग, मैन्यूफैक्चरिंग, ऐसे कुछ कामों से जुड़े देश के सिर्फ 30% श्रमिकों को ही न्यूनतम वेतन मिलता था। वहीं एक राज्य से दूसरे राज्य में काम के लिए जाने वाले श्रमिक साथियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और लिए भी इसमें हर ज़रूरी प्रावधान किया गया है। ऐसे श्रमिकों को रेगुलर कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलेगा, वेलफेयर से जुड़ी दूसरी योजनाओं का लाभ मिलेगा और उन्हीं की ही तरह काम के घंटे भी फिक्स होंगे। अभी पूरे देश में न्यूनतम वेतन को लेकर करीब 10 हज़ार अलग - अलग दरें हैं। अब नए प्रावधानों से ये 200 के करीब रह जाएंगी। इसके अलावा अब ठेका मज़दूरी के स्थान पर एक फिक्स्ड टर्म के रोज़गार का भी विकल्प दिया गया है। जो पहले के श्रमिक कानून थे, वो देश की आधी आबादी, हमारी महिला श्रमशक्ति के लिए काफी नहीं थे। अब इन नए कानूनों से हमारी बहनों को, बेटियों को, समान मानदेय दिया गया है, उनकी ज्यादा भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है। किसानों, श्रमिकों और महिलाओं की ही तरह छोटे - छोटे स्वरोजगार से जुड़े साथियों का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसकी सुध कभी नहीं ली गई। रेहड़ी, पटरी, फेरी पर काम करने वाले लाखों साथी जो आत्मसम्मान के साथ अपने परिवार का भरण - पोषण करते हैं उनके लिए भी पहली बार एक विशेष योजना बनाई गई है। बल्कि इससे रेहड़ी - पटरी वालों को इस तरह बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, कि अगर वो अपने छोटे कारोबार को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बैंक उनको आगे भी ज्यादा लोन दे सके, कम दरों पर कर्ज दे सके। लाखों रेहड़ी - पटरी वाले साथियों को बैंक से सीधे 10 हज़ार रुपए का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। ये सिर्फ एकमुश्त ऋण की योजना नहीं है। कोशिश ये है कि आत्मनिर्भरता के व्यापक मिशन से हर कोई जुड़े, सभी को अवसर मिले। इसी ध्येय के साथ एस सी / एस टी वर्ग के साथियों के लिए जो आरक्षण का प्रावधान है, उसको हमारी सरकार ने पार्लियामेंट में अगले 10 वर्ष के लिए बढ़ाया गया है। गरीब हो, किसान हो, श्रमिक हो, महिलाएं हों, ये सभी आत्मनिर्भर भारत के मज़बूत स्तंभ हैं। इसलिए, इनका आत्मसम्मान और आत्मगौरव ही, आत्मनिर्भर भारत की प्राण - शक्ति है और प्रेरणा हैं। हमारा वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र, साफ़ है, गोलमोल नहीं है, हमने उसको जीकर दिखाया है, हम लोगों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि यही हमारा मंत्र है। भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में जिस संकल्प पत्र को लेकर आप घर - घर, द्वार-द्वार गए थे, आज जब आप उसको देखेंगे तो आप पाएंगे कि कितनी तेजी से काम किया जा रहा है। हर घर जल और हर गांव तक तेज़ इंटरनेट, जैसे अनेक ऐसे संकल्प हैं, जो करोड़ों देशवासियों के जीवन को आसान बनाने वाले हैं। इसमें आर्टिकल - 370, अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण, जैसे वो वादे भी शामिल हैं, जो दशकों की हमारी तपस्या का भी आधार रहे हैं, ध्येय रहे हैं। संकल्प लेकर उसे सिद्ध करने की इस ताकत को हमें बनाए रखना है, ऊर्जावान रखना है। बदलते हुए समय में बहुत कुछ तेजी से बदल रहा है। भाजपा के कार्यकर्ता ने इस दौर में जिस तरह की फ्लेक्सिबिलिटी और अडोप्टेबिलिटी दिखाई है, वो भी प्रशंसनीय है। कोरोना काल में भी हमने ये कर दिखाया है। समाज की सेवा में सक्रियता दिखाने के साथ - साथ, दल के रूप में, कार्यकर्ता के रूप में, हमें एक और बात का विशेष ध्यान रखना है। हमारी बातें, हमारे विचार, हमारा आचरण, 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप ही होने चाहिए। हमारे आदर्श, हमारी परंपरा, हमारी प्रेरणा, जितनी प्राचीन है, उतनी ही नवीन भी होनी चाहिए। हम भले ही दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल हों, लेकिन हमारी पहुंच भारत के छोटे से छोटे गांव तक, छोटी से छोटी गली तक होनी ही चाहिए। अगर कोरोना के इस कालखंड की ही बात करें, तो दो गज़ की दूरी, मास्क, हाथ की साफ - सफाई, इन सभी के लिए जागरुकता फैलाना, निरंतर जरूरी है। हमें खुद भी इन नियमों का सख्ती से पालन करना है और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करना है। आज देश वोकल फॉर लोकल के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। लेकिन ये सिर्फ बातों से ही संभव नहीं होगा। भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता को भी स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री और पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य थावरचंद गहलोत, केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री मनसुख माण्डवीय तथा भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री तथा प्रवक्तागण राष्ट्रीय कार्यालय में तथा राज्यों के मुख्यमंत्री तथा देश के भाजपा कार्यालयों में कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में और बूथ स्तर पर करोड़ों कार्यकर्ता कार्यक्रम से जुड़े।


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