इस कोरोना काल में पीएम आवास योजना के तहत घरों को बनाने में 125 दिन नहीं सिर्फ 45 से 60 दिन ही लगे : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हो रहे कार्यों से पीएम गरीब कल्याण अभियान को बहुत बड़ी ताकत मिल रही है


> गृह प्रवेशम कार्यक्रम मध्य प्रदेश सहित देश के सभी बेघर साथियों को एक विश्वास देने वाला भी पल है : प्रधानमंत्री


> सही नीयत से बनाई गई सरकारी योजनाएं साकार भी होती हैं और उनके लाभार्थियों तक पहुंचती भी हैं : प्रधानमंत्री


> हमारे प्रवासियों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का पूरा लाभ उठाते हुए अपने परिवार को संभाला और साथ-साथ घर भी तैयार करके दे दिया : प्रधानमंत्री


> आवासों के मटीरियल से लेकर निर्माण तक, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और उपयोग होने वाले सामानों को भी प्राथमिकता दी जा रही है : प्रधानमंत्री


> जैसे इंद्रधनुष में अलग-अलग रंग होते हैं वैसे ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घरों के भी अपने ही रंग हैं : प्रधानमंत्री


> शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना को विस्तार देते हुए इसके साथ 27 योजनाओं को जोड़ा है : प्रधानमंत्री


> गांव अब वाई-फाई के ही हॉटस्पॉट से नहीं जुड़ेंगे, बल्कि आधुनिक गतिविधियों के, व्यापार-कारोबार के भी हॉटस्पॉट बनेंगे : प्रधानमंत्री


> 6 हजार 440 ग्राम पंचायतों और 26 हजार 548 ग्रामों में गृह प्रवेशम कार्यक्रम मनाया गया,  इस कार्यक्रम को सुनने के लिए 1 करोड़ 24 लाख 92 हजार 394 लोगों ने प्री-रजिस्ट्रेशन कराया : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 


कोरोना काल में तमाम रुकावटों के बीच भी देशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख घरों का काम पूरा किया गया है। उसमें 1 लाख 75 हजार घर अकेले मध्य प्रदेश में ही पूरे किए गए हैं।


 


>> विकास से जुड़े ऐसे अनेक काम तेज़ी से किए गए हैं, इससे दो फायदे हुए -


>> शहरों से गांव लौटे लाखों श्रमिक साथियों को रोज़गार उपलब्ध हुआ है।


>> ईंट, सीमेंट, रेत और निर्माण से जुड़े दूसरे सामान का व्यापार-कारोबार करते हैं, उनकी भी बिक्री हुई है।


 


पहले की योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी थी, कई तरह की गड़बड़ियां भी होती थीं ....


प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पूर्व की योजनाओं के तहत जो घर बनते भी थे, उनमें मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जल्दी लोग शिफ्ट ही नहीं होते थे, उनमें गृह प्रवेश ही नहीं हो पाता था।



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 सितम्बर 2020 को पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत मध्य प्रदेश के 12 हजार गांवों में निर्मित 1 लाख 75 हजार परिवारों का अपने घर का सपना पूरा करने के लिए आयोजित गृह प्रवेशम कार्यक्रम की पट्टिका का अनावरण करते हुए। (फोटो : मुख्यमंत्री कार्यालय, मध्य प्रदेश)


नई दिल्ली (पी आई बी)। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मध्‍य प्रदेश में ‘गृह प्रवेश’ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया, जहां 1 लाख 75 हजार परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत निर्मित पक्के घर सौंपे गए। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में पीएमएवाई-जी के लाभार्थियों से बातचीत भी की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिन 1.75 लाख परिवारों को नए मकान मिले हैं उनका अपने घर का सपना साकार हुआ है और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर आत्मविश्वास पैदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परिवार भी अब उन 2 करोड़ 25 लाख परिवारों में सम्मिलित हो गए हैं जिन्हें बीते 6 वर्षों में सरकार ने उनको अपने घर दिए हैं और यह परिवार अब किराए के मकान, झुग्गी या कच्चे घरों में नहीं बल्कि अपने पक्के घरों में रहेंगे। प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों को दिवाली की शुभकामनाएं दीं और कहा कि अगर कोरोना महामारी के हालात ना होते तो उनके इस आनंद उत्सव को साझा करने के लिए वह स्वयं उनके बीच होते। प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन का मूल पाठ - अभी कुछ लाभार्थियों से मेरी चर्चा हुई, जिनको आज अपना पक्का घर मिला है, अपने सपनों का घर मिला है, अपने बच्चों के भविष्य का विश्वास मिला है। अब मध्य प्रदेश के पौने 2 लाख ऐसे परिवार, जो आज अपने घर में प्रवेश कर रहे हैं, जिनका गृह-प्रवेश हो रहा है, उनको भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। ये सभी साथी टेक्नॉलॉजी के किसी ना किसी माध्यम से, पूरे मध्य प्रदेश में इस कार्यक्रम से जुड़े हैं। आज आप देश के उन सवा दो करोड़ परिवारों में शामिल हो गए हैं, जिन्हें बीते 6 वर्षों में अपना घर मिला है, जो अब किराए के नहीं, झुग्गियों में नहीं, कच्चे मकान में नहीं, अपने घर में रह रहे हैं, पक्के घर में रह रहे हैं। साथियों, इस बार आप सभी की दीवाली, आप सभी के त्योहारों की खुशियां कुछ और ही होंगी। कोरोना काल नहीं होता तो आज आपके जीवन की इतनी बड़ी खुशी में शामिल होने के लिए, आपके घर का ये सदस्य, आपका प्रधानसेवक, पक्का आपके बीच होता। और आपके इस आनन्‍द उत्‍सव में भागीदार होता लेकिन कोरोना की जो स्थिति है, उसके कारण मुझे दूर से ही आज आप सबका दर्शन का अवसर मिल रहा है। लेकिन अभी के लिए ऐसा ही सही !!! आज के इस समारोह में मध्य प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर, मेरे साथी ज्‍योतिरादित्‍य, मध्य प्रदेश के मंत्रिगण, सदस्‍य, सांसद और विधायगकगण, ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधिगण और मध्य प्रदेश के गांव-गांव से जुड़े सभी मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आज मध्य प्रदेश में सामूहिक गृहप्रवेश का ये समारोह पौने 2 लाख गरीब परिवारों के लिए तो अपने जीवन का यादगार पल है ही, देश के हर बेघर को अपना पक्का घर देने के लिए भी एक बड़ा कदम है। आज का ये कार्यक्रम मध्य प्रदेश सहित देश के सभी बेघर साथियों को एक विश्वास देने वाला भी पल है। जिनका अब तक घर नहीं, एक दिन उनका भी घर बनेगा, उनका भी सपना पूरा होगा। साथियों, आज का ये दिन करोड़ों देशवासियों के उस विश्वास को भी मज़बूत करता है कि सही नीयत से बनाई गई सरकारी योजनाएं साकार भी होती हैं और उनके लाभार्थियों तक पहुंचती भी हैं। जिन साथियों को आज अपना घर मिला है, जिनसे मेरी बातचीत हुई है और जिनको मैं स्क्रीन पर देख पा रहा हूं, उनके भीतर के संतोष, उनके आत्मविश्वास को मैं अनुभव कर सकता हूं। मैं आप सभी साथियों से यही कहूंगा कि ये घर आपके और बेहतर भविष्य का नया आधार हैं। यहां से आप अपने नए जीवन की नई शुरुआत कीजिए। अपने बच्चों को, अपने परिवार को, अब आप नई ऊंचाइयों पर लेकर जाइए। आप आगे बढ़ेंगे तो देश भी आगे बढ़ेगा। साथियों, कोरोना काल में तमाम रुकावटों के बीच भी देशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख घरों का काम पूरा किया गया है। उसमें 1 लाख 75 हजार घर अकेले मध्य प्रदेश में ही पूरे किए गए हैं। इस दौरान जिस गति से काम हुआ है, वो भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक घर बनाने में औसतन सवा सौ दिन का समय लगता है। लेकिन अब जो मैं बताने जा रहा हूं, वो देश के लिए, हमारे मीडिया के साथियों के लिए भी ये बहुत सकारात्मक खबर है। कोरोना के इस काल में पीएम आवास योजना के तहत घरों को बनाने में 125 दिन नहीं सिर्फ सिर्फ 45 से 60 दिन में ही बनाकर तैयार कर दिया गया है। आपदा को अवसर में बदलने का ये बहुत ही उत्तम उदाहरण है। आप सोचेंगे कि ये कैसे संभव हुआ? पहले 125 दिन अब 40 से 60 दिन के बीच में कैसे हुआ। साथियों, इस तेज़ी में बहुत बड़ा योगदान रहा शहरों से लौटे हमारे श्रमिक साथियों का। उनके पास हुनर भी था, इच्‍छाशक्ति भी थी और वो इसमें जुड़ गए और उसके कारण ये परिणाम मिला है। हमारे इन साथियों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान का पूरा लाभ उठाते हुए अपने परिवार को संभाला और साथ-साथ अपने गरीब भाई-बहनों के लिए घर भी तैयार करके दे दिया। मुझे संतोष है कि पीएम गरीब कल्याण अभियान से मध्य प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों में करीब-करीब 23 हज़ार करोड़ रुपए  के काम पूरे किए जा चुके हैं। इस अभियान के तहत गांव-गांव में गरीबों के लिए घर तो बन ही रहे हैं, हर घर जल पहुंचाने का काम हो, आंगनबाड़ी और पंचायत के भवनों का निर्माण हो, पशुओं के लिए शेड बनाना हो, तालाब और कुएं बनाना हो, ग्रामीण सड़कों का काम हो, गांव के विकास से जुड़े ऐसे अनेक काम तेज़ी से किए गए हैं। इससे दो फायदे हुए हैं। एक तो शहरों से गांव लौटे लाखों श्रमिक साथियों को रोज़गार उपलब्ध हुआ है। और दूसरा- ईंट, सीमेंट, रेत और निर्माण से जुड़े दूसरे सामान का व्यापार-कारोबार करते हैं, उनकी भी बिक्री हुई है। एक प्रकार से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान इस मुश्किल समय में गांव की अर्थव्यवस्था का भी बहुत बड़ा सहारा बनकर उभरा। इसे बहुत बड़ी ताकत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हो रहे कार्यों से मिल रही है। साथियों, मुझसे कई बार लोग पूछते हैं कि आखिर घर तो देश में पहले भी बनते थे, सरकार की योजनाओं के तहत बनते थे, फिर आप ने बदलाव क्या किया? ये सही है कि गरीबों के लिए घर बनाने के लिए देश में दशकों पहले से योजनाएं चली रही हैं। बल्कि आज़ादी के बाद के पहले दशक में ही सामुदायिक विकास कार्यक्रम के तहत ये काम शुरु हो गया था। फिर हर 10-15 साल में इस प्रकार की योजनाओं में कुछ जुड़ता गया, नाम बदलते गए। लेकिन करोड़ों गरीबों को जो घर देने का लक्ष्य था, जो एक गरिमापूर्ण जीवन देने का लक्ष्य था, वो कभी पूरा ही नहीं हो पाया। कारण ये था कि पहले जो योजनाएं बनी थीं, उनमें सरकार हावी थी, सरकार का दखल बहुत ज्यादा था। उन योजनाओं में मकान से जुड़ी हर चीज का फैसला सरकार, वो भी दिल्‍ली से होता था, करती थी। जिसको उस घर में रहना था, उसकी पूछ ही नहीं थी। अब जैसे शहरों की ही तर्ज पर आदिवासी क्षेत्रों में ही कॉलोनी सिस्टम थोपने की कोशिश होती थी, शहरों जैसे मकान बनाने की ही कोशिश होती थी। जबकि हमारे आदिवासी भाई-बहनों का रहन-सहन शहर के रहन-सहन से बिल्कुल अलग होता है। उनकी जरूरतें अलग होती हैं। इसलिए सरकार के बनाए घरों में उनको वो अपना-पन आता ही नहीं था। इतना ही नहीं, पहले की योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी थी, कई तरह की गड़बड़ियां भी होती थीं। मैं उनके विस्तार में नहीं जाना चाहता। इसलिए उन घरों की क्वालिटी भी बहुत खराब होती थी। ऊपर से बिजली, पानी जैसी मूल ज़रूरतों के लिए लाभार्थी को सरकारी दफ्तरों के चक्कर अलग से काटने पड़ते थे। इन सबका नतीजा ये होता था कि उन योजनाओं के तहत जो घर बनते भी थे, उनमें जल्दी लोग शिफ्ट ही नहीं होते थे, उनमें गृह प्रवेश ही नहीं हो पाता था। साथियों, 2014 में हमने जबसे कार्य संभाला इन पुराने अनुभवों का अध्ययन करके, पहले पुरानी योजना में सुधार किया गया और फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के रूप में बिल्कुल नई सोच के साथ योजना लागू की गई। इसमें लाभार्थी के चयन से लेकर गृह प्रवेश तक पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई। पहले गरीब सरकार के पीछे दौड़ता था, सिफारिश के लिए ढूंढ़ता था लोगों को, आज हमारी योजना ऐसी है कि अब सरकार लोगों के पास जा रही है। खोजना होता है और सुविधा देना होता है। अब किसी की इच्छा के अनुसार लिस्ट में नाम जोड़ा या घटाया नहीं जा सकता। चयन से लेकर निर्माण तक वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीका अपनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, मटीरियल से लेकर निर्माण तक, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध और उपयोग होने वाले सामानों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। घर के डिजायन भी स्थानीय ज़रूरतों और निर्माण शैली के मुताबिक ही तैयार और स्वीकार किए जा रहे हैं। अब पूरी पारदर्शिता के साथ, घर बनाने के हर चरण की पूरी मॉनीटरिंग के साथ लाभार्थी खुद अपना घर बनाता है। जैसे-जैसे घर बनता जाता है, वैसे-वैसे घर की किश्त भी उसके खाते में जमा होती जाती है। अब अगर कोई बेईमानी करने की कोशिश भी करता है तो इसमें पकड़े जाने के लिए अनेक रास्ते भी बनाए गए हैं। साथियों, प्रधानमंत्री आवास योजना की एक बहुत बड़ी विशेषता है, उसका इंद्रधनुषी स्वरूप। जैसे इंद्रधनुष में अलग-अलग रंग होते हैं वैसे ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घरों के भी अपने ही रंग हैं। अब गरीब को सिर्फ घर ही नहीं मिल रहा है, बल्कि घर के साथ-साथ शौचालय भी मिल रहा है, उज्जवला का गैस कनेक्शन भी मिल रहा है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन, उजाला का एल ई डी बल्ब, पानी का कनेक्शन, सब कुछ घर के साथ ही मिल रहा है। यानि पीएम आवास योजना के आधार पर ही अनेक योजनाओं का लाभ लाभार्थी को सीधे मिल पा रहा है। मैं शिवराज जी की सरकार को फिर बधाई दूंगा कि उन्होंने इसको विस्तार देते हुए पीएम आवास योजना के साथ 27 योजनाओं को जोड़ा है। साथियों, प्रधानमंत्री आवास योजना हो या स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनने वाले शौचालय हों, इनसे गरीब को सुविधा तो मिल ही रही है, बल्कि ये रोज़गार और सशक्तिकरण का भी ये बड़ा माध्यम हैं। विशेषतौर पर हमारी ग्रामीण बहनों के जीवन को बदलने में भी ये योजनाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घर की रजिस्ट्री ज्यादातर या तो सिर्फ महिला के नाम पर हो रही है या फिर साझी हो रही है। वहीं आज गांवों में बड़ी मात्रा में रानीमिस्त्री या महिला राजमिस्त्री के लिए काम के नए अवसर बन रहे हैं। अकेले मध्य प्रदेश में ही, 50 हज़ार से ज्यादा राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया है और इसमें से 9 हज़ार रानीमिस्त्री हैं। इससे हमारी बहनों की आय और आत्मविश्वास, दोनों में बढ़ोतरी हो रही है। साथियों, जब गरीब की, गांव की आय और आत्मविश्वास बढ़ता है तो आत्मनिर्भर भारत बनाने का हमारा संकल्प भी मज़बूत होता है। इस आत्मविश्वास को मज़बूत करने के लिए गांव में हर प्रकार का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। 2019 के पहले 5 वर्ष शौचालय, गैस, बिजली, सड़क जैसी बेसिक सुविधाओं को गांव तक पहुंचाने का काम किया गया, अब इन मूल सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को मजबूत किया जा रहा है। इसी 15 अगस्त को लाल किले से मैंने कहा था कि आने वाले 1 हज़ार दिनों में देश के करीब 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम पूरा किया जाएगा। पहले देश की ढाई लाख पंचायतों तक फाइबर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, अब इसको पंचायत से आगे बढ़ाकर गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया है। इस कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत ये काम तेज़ी से चला है। सिर्फ कुछ हफ्तों में ही देश के 116 जिलों में 5 हजार किलोमीटर से ज्यादा का ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा चुका है। जिससे 1250 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में करीब 15 हजार वाई फाई हॉटस्पॉट और लगभग 19 हजार ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन दिए गए हैं। यहां मध्य प्रदेश के भी चुने हुए जिलों में 1300 किलोमीटर से ज्यादा ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। और मैं फिर याद दिलाउंगा, ये सारा काम कोरोना काल में ही हुआ है, इस संकट के बीच हुआ है। इतने बड़े संकट के बीच हुआ है। जैसे ही गांव-गांव में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचेगा तो इससे नेटवर्क की समस्या भी कम हो जाएगी। जब गांव में भी जगह-जगह बेहतर और तेज़ इंटरनेट आएगा, जगह-जगह वाई-फाई  हॉटस्पॉट बनेंगे, तो गांव के बच्चों को पढ़ाई और युवाओं को कमाई के बेहतर अवसर मिलेंगे। यानि गांव अब वाई-फाई के ही हॉटस्पॉट से नहीं जुड़ेंगे, बल्कि आधुनिक गतिविधियों के, व्यापार-कारोबार के भी हॉटस्पॉट बनेंगे। साथियों, आज सरकार की हर सेवा, हर सुविधा ऑनलाइन की गई है ताकि लाभ भी तेज़ी से मिले, करप्शन भी ना हो और गांव के लोगों को छोटे-छोटे काम के लिए भी शहर की तरफ ना भागना पड़े। मुझे विश्वास है कि गांव-गांव ऑप्टिकल फाइबर पहुंचने से इन सेवाओं और सुविधाओं में भी और तेज़ी आएगी। अब जब आप अपने नए घरों में रहेंगे तो डिजिटल भारत अभियान, आपका जीवन और आसान बनाएगा। गांव और गरीब को सशक्त करने का ये अभियान अब और तेज़ होगा, इसी विश्वास के साथ आप सभी साथियों को अपने खुद के पक्‍के घर के लिए फिर से अऩंत शुभकामनाएं। लेकिन याद रखिए, और ये बात मैं बार-बार कहता हूं, जरूर याद रखिए, मुझे विश्‍वास है आप याद रखेंगे। इतना ही नहीं मेरी बात मानेंगे भी, देखिए जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं याद रहेगा। दो गज़ की दूरी, मास्क है ज़रूरी, इस मंत्र को भूलना नहीं है। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहे! इसी कामना के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! और सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!


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