नई शिक्षा नीति शिक्षा को टेक्नोलॉजी से जोड़ेगी, विद्यार्थी टेक्नोलॉजी के बारे में भी पढ़ेंगे, और टेक्नोलॉजी के जरिए भी पढ़ेंगे : मोदी

हमारे युवा टेक्नोलॉजी से सीखेंगे भी, और सिखाने के लिए नई टेक्नोलॉजी इनोवेट भी करेंगे


> आईआईटी गुवाहाटी पहली ऐसी आईआईटी है जिसने ई - मोबिलिटी पर दो साल का रिसर्च प्रोग्राम पेश किया : प्रधानमंत्री


> आईआईटी गुवाहाटी ने इस महामारी के दौरान कोविड 19 से जुड़ी किट, जैसे कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया, वायरल आरएनए एक्सट्रैक्शन किट और आरटी पीसीआर किट्स डेवलप किये: प्रधानमंत्री


> जो संभावित शोध होंगी, जिनमें व्यावहारिक कार्यान्वयन का स्कोप होगा उन्हें पहचाना जाएगा और लागू किया जाएगा : प्रधानमंत्री


> साइन्स और टेक्नोलॉजी में भारत को ग्लोबल लीडर बनाएगा देश का युवा : प्रधानमंत्री


> टीचिंग और लर्निंग से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन और असेसमेंट तक टेक्नोलॉजी की भूमिका बने, इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम बनाया जा रहा है : प्रधानमंत्री 


> देश में रिसर्च कल्चर को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन यानि एनआरएफ का भी प्रस्ताव किया गया है : प्रधानमंत्री


> कनवोकेशन में हमारे करीब 300 युवा साथियों को पीएचडी अवार्ड की गई


 


हम एक मॉडर्न और साइंटिफिक प्रोसेस के जरिए, कल्चरल नॉलेज, स्किल्स और बिलीफ को रिच एंड कटिंग एज प्रोफेशनल डेवलपमेंटल प्रोग्राम्स में तैयार कर सकते हैं ... 


प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आईआईटी गुवाहाटी इसमें एक मुख्य भूमिका निभाए, और एक सेण्टर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स की स्थापना करे। मैं आईआईटी गुवाहाटी से ये भी अनुरोध करूंगा कि आप एक सेण्टर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट एंड रिस्क रिडक्शन की स्थापना भी करें।


 


पूर्वोत्तर क्षेत्र, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्र भी है ....


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साउथ ईस्ट एशिया से भारत के संपर्क और संबंध का गेटवे भी है, इन देशों से भारत के संबंधों का मुख्य आधार, कल्चर, कॉमर्स, कनेक्टिविटी और कैपेसिटी रहा है। अब एजुकेशन हमारे इंगेजमेंट का एक और नया माध्यम बनने जा रही है। आईआईटी गुवाहटी इसका बहुत बड़ा केंद्र बन सकती है। इससे नॉर्थ ईस्ट को एक नई पहचान भी मिलेगी, और यहाँ नए अवसर भी पैदा होंगे।



प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर, 2020 को नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आईआईटी, गुवाहाटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए। (फोटो : पीआईबी)


नई दिल्ली (पी आई बी)। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आईआईटी गुवाहाटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री जी के संबोधन का मूल पाठ - नमस्कार! कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित देश के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनवाल जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे जी, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन डॉ राजीव मोदी जी, सीनेट के सदस्य, इस कनवोकेशन के प्रतिष्ठित आमंत्रित, संकाय सदस्य, स्टॉफ और मेरे प्यारे विद्यार्थियों। मुझे खुशी है कि आज मैं आईआईटी गुवाहाटी के इस 22वें कनवोकेशन में आप सबके साथ शामिल हो रहा हूँ। वैसे तो कनवोकेशन किसी भी विद्यार्थी के जीवन का एक विशिष्ट दिन होता है, लेकिन इस बार जो विद्यार्थी कनवोकेशन का हिस्सा बन रहे हैं, उनके लिए ये एक अलग ही तरह का अनुभव है। महामारी के इस दौर में कनवोकेशन के तौर - तरीके भी काफी बदल गए हैं, सामान्य परिस्थितयां होती तो मैं भी आज आपके बीच होता। लेकिन फिर भी, ये दिन, ये अवसर उतना ही महत्वपूर्ण है, उतना ही मूल्यवान है। मैं आप सभी को, अपने सभी युवा साथियों को बहुत बहुत बधाई देता हूँ। आपके भविष्य के प्रयास के लिए अनेक - अनेक शुभकामनायें देता हूँ। साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है - ज्ञानम् विज्ञान सहितम् यत् ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात्। अर्थात, विज्ञान के सहित ज्ञान ही सभी समस्याओं से, दुखों से मुक्ति का साधन है। यही भावना, सेवा लिए कुछ नया करने की यही ऊर्जा, इसी ने हमारे देश को हजारों सालों की इस यात्रा में भी जीवित रखा है, जीवंत रखा है। हमें गर्व है कि अपनी इस सोच को, आईआईटी जैसे हमारे संस्थान आज आगे बढ़ा रहे हैं। आप सब भी आज महसूस कर रहे होंगे, जब आप यहाँ आए थे, तब से आपके भीतर कितना परिवर्तन आ चुका है, आपकी सोचने की प्रक्रिया कितना बढ़ चुकी  है। आईआईटी गुवाहाटी में जब आपने अपनी ये यात्रा शुरू की थी, तब से लेकर अब तक आप अपने अंदर एक नया व्यक्तित्व देख रहे होंगे। ये इस संस्थान का, आपके प्रोफेसरों का आपके लिए सबसे मूल्यवान उपहार है। साथियों, मेरा स्पष्ट मानना है, - एक राष्ट्र का भविष्य वही है जो आज के युवा सोचते हैं। आपके सपने भारत की वास्तविकता को आकार देने वाले हैं। इसलिए, ये समय भविष्य के लिए तैयार होने का है, ये समय अभी से फ्यूचर फिट होने का है। जैसे जैसे आज इकॉनमी और सोसाइटी में बदलाव आ रहा है, आधुनिकता आ रही है, इंडियन साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैंडस्केप को भी कई जरूरी बदलाव करने की जरूरत है। मुझे खुशी है कि आईआईटी गुवाहाटी ने ये प्रयास पहले से ही शुरू कर दिए हैं। मुझे बताया गया है कि आईआईटी गुवाहाटी पहली ऐसी आईआईटी है जिसने ई - मोबिलिटी पर दो साल का रिसर्च प्रोग्राम पेश किया है। मुझे ये भी जानकारी दी गई है कि आईआईटी गुवाहाटी बी टेक लेवल के सभी प्रोग्राम में साइंस और इंजीनियरिंग के इंटीग्रेशन को भी लीड कर रही है। मुझे पूरा भरोसा है कि ये अंतः विषय कार्यक्रम हमारी शिक्षा को सम्पूर्ण और भविष्य केंद्रित बनाएँगे और जब इस तरह की भविष्य केंद्रित एप्रोच के साथ कोई संस्थान आगे बढ़ता है तो उसका परिणाम वर्तमान में भी दिखता है। आईआईटी गुवाहाटी ने इस महामारी के दौरान कोविड 19 से जुड़ी किट, जैसे कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया, वायरल आरएनए एक्सट्रैक्शन किट और आरटी पीसीआर किट्स डेवलप करके ये साबित किया है। वैसे मुझे ये भी भलीभाँति अहसास है कि इस महामारी के दौरान अकादमिक सत्रों को कंडक्ट करना, अपने रिसर्च वर्क को जारी रखना, आपके लिए ये सब कितना कठिन रहा है। लेकिन फिर भी आपने ये सफलता पाई है। आपके इस प्रयास के लिए, देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आपके इस योगदान के लिए मैं आप सबको बधाई देता हूँ। साथियों, आत्मनिर्भर भारत के लिए, हमारे शिक्षा तंत्र का कितना बड़ा महत्व है, ये आप सभी भली - भांति जानते हैं। बीते दिनों में आपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में काफी कुछ पढ़ा होगा, काफी कुछ चर्चा भी की होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे 21वीं सदी के आप जैसे युवाओं के लिए ही है। वो युवा जो विश्व का नेतृत्व करेगा, साइन्स और टेक्नोलॉजी में भारत को ग्लोबल लीडर बनाएगा। इतना नहीं, इस शिक्षा नीति में तमाम ऐसी बातें हैं जो आप जैसे छात्रों की विश - लिस्ट में सबसे ऊपर थी। साथियों, मुझे विश्वास है कि अपनी शिक्षा की यात्रा में आपने ये महसूस किया है कि शिक्षा और परीक्षा हमारे विद्यार्थियों के लिए बोझ नहीं बने, विद्यार्थियों को अपने मनपसंद विषयों को पढ़ने की ज्यादा आजादी मिले। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बहु-विषयक बनाया गया है, विषयों में लचीलापन दिया गया है, कई प्रवेश और निकास के अवसर दिये गए हैं। और सबसे अहम, देश की नई शिक्षा नीति, शिक्षा को टेक्नोलॉजी से जोड़ेगी, टेक्नोलॉजी को हमारे विद्यार्थियों की सोच का अहम् हिस्सा बनाएगी। यानि, विद्यार्थी टेक्नोलॉजी के बारे में भी पढ़ेंगे, और टेक्नोलॉजी के जरिए भी पढ़ेंगे। शिक्षा में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो, ऑनलाइन लर्निंग बढ़े, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसके रास्ते खोल दिये गए हैं। टीचिंग और लर्निंग से लेकर एडमिनिस्ट्रेशन और असेसमेंट तक टेक्नोलॉजी की भूमिका बने, इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम भी बनाया जा रहा है। हम एक ऐसे इको सिस्टम की तरफ बढ़ रहे हैं जहां हमारे युवा टेक्नोलॉजी से सीखेंगे भी, और सिखाने के लिए नई टेक्नोलॉजी इनोवेट भी करेंगे। आईआईटी के साथियों के लिए तो इसमें असीमित सम्भावनाएं हैं। नए सॉफ्टवेयर, नई उपकरण और गैजेट, जो शिक्षा के तरीकों को क्रांतिकारी बदलाव करें, उनके बारे में आपको ही सोचना है। ये आप सबके लिए एक अवसर है, आप अपने सर्वश्रेष्ठ को बाहर लाएँ, उसका इस्तेमाल करें। साथियों, देश में रिसर्च कल्चर को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन यानि एनआरएफ का भी प्रस्ताव किया गया है। एनआरएफ रीसर्च फंडिंग को लेकर सभी फंडिंग एजेंसियों के साथ कोआर्डिनेट करेगा और सभी विषयों, चाहे वो साइंस हो या मानविकी, सभी के लिए फण्ड प्रोवाइड करेगा। जो संभावित शोध होंगी, जिनमें व्यावहारिक कार्यान्वयन का स्कोप होगा उन्हें पहचाना जाएगा और लागू भी किया जाएगा। इसके लिए, सरकारी एजेंसियों और उद्योग के बीच तालमेल और निकट संबंध स्थापित किया जाएगा। मुझे खुशी है कि आज इस कनवोकेशन में हमारे करीब 300 युवा साथियों को पीएचडी अवार्ड की जा रही है, और ये एक बहुत पॉजिटिव ट्रेंड है। मुझे विश्वास है कि आप सब यहीं नहीं रुकेंगे, बल्कि रिसर्च आपके लिए एक आदत हो जाएगी, आपके विचार प्रक्रिया का हिस्सा बनी रहेगी। साथियों, हम सब जानते हैं कि नॉलेज के लिए कोई सीमा नहीं होतीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के शिक्षा सेक्टर को और खुलने की बात करती है। मकसद ये है कि विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस भी देश में खुलें और दुनिया भर का ग्लोबल एक्सपोज़र हमारे विद्यार्थियों को यहीं पर मिले। इसी तरह, इंडियन और ग्लोबल इंस्टीटूशन्स के बीच रिसर्च कोलैबोरेशन और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम्स को भी प्रमोट किया जाएगा। विदेशी विश्वविद्यालयों में हमारे विद्यार्थी जो क्रेडिट प्राप्त करेंगे, वो भी अब देश के संस्थानों में काउंट हो सकेंगे। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को ग्लोबल एजुकेशन डेस्टिनेशन के तौर पर भी स्थापित करेगी। हमारे उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थान को विदेशों में भी कैंपस सेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। आईआईटी गुवाहाटी को सीमाओं के विस्तार से परे के इस विज़न में मुख्य भूमिका अदा करनी है। पूर्वोत्तर का ये क्षेत्र, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केंद्र भी है। यही क्षेत्र, साउथ ईस्ट एशिया से भारत के संपर्क और संबंध का गेटवे भी है, इन देशों से भारत के संबंधों का मुख्य आधार, कल्चर, कॉमर्स, कनेक्टिविटी और कैपेसिटी रहा है। अब एजुकेशन हमारे इंगेजमेंट का एक और नया माध्यम बनने जा रही है। आईआईटी गुवाहटी इसका बहुत बड़ा केंद्र बन सकती है। इससे नॉर्थ ईस्ट को एक नई पहचान भी मिलेगी, और यहाँ नए अवसर भी पैदा होंगे। आज पूर्वोत्तर के विकास को गति देने के लिए यहाँ रेलवेज़, हाईवे, एयरवेज़, और वाटरवे का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। इससे समूचे पूर्वोत्तर के लिए नए - नए अवसर पैदा हो रहे हैं। आईआईटी गुवाहाटी की विकास के इन कामों में भी बहुत बड़ी भूमिका है। साथियों, आज इस कनवोकेशन के बाद बहुत से विद्यार्थी यहीं रहेंगे, बहुत से यहां से चले भी जाएंगे। आईआईटी गुवाहाटी के अन्य विद्यार्थी भी इस समय मुझे सुन रहे हैं, देख रहे हैं। आज के इस विशेष दिन मैं आपसे कुछ आग्रह भी करूंगा, कुछ सुझाव भी दूंगा। साथियों, आपके जीवन में इस रीजन का कंट्रीब्यूशन भी है, और आपने इस रीजन को देखा, समझा और महसूस भी किया है। इस क्षेत्र की जो चुनौतियां हैं, इस क्षेत्र में जो संभावनाएं हैं, उनसे आपकी रिसर्च कैसे जुड़ सकती है, ये आपको सोचना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, बायो मास और हाइड्रो इलेक्ट्रिक में भी यहाँ अपार संभावनाएं हैं। यहाँ चावल, चाय, बांस जैसी सम्पदा है, जो पर्यटन मंत्रालय है, उसे हमारा कोई इनोवेशन, बूस्ट दे सकता है क्या? साथियों, यहाँ बायो डाइवर्सिटी भी है, और अपार पारंपरिक ज्ञान और हुनर भी! इस पारंपरिक हुनर का, नॉलेज का, और यहाँ तक कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी का ट्रांसमिशन भी परंपरा से होता आ रहा है। एक जनरेशन ने ये ज्ञान दूसरी जनरेशन को दिया, उससे अगली जनरेशन को मिला, और ये सिलसिला चलता चला आ रहा है। क्या हम इसे आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़ सकते हैं? क्या हम इस फ्यूज़न से नई टेक्नोलॉजी खड़ी कर सकते हैं? मेरा मानना है कि हम एक मॉडर्न और साइंटिफिक प्रोसेस के जरिए, कल्चरल नॉलेज, स्किल्स और बिलीफ को रिच एंड कटिंग एज प्रोफेशनल डेवलपमेंटल प्रोग्राम्स में तैयार कर सकते हैं। मेरा सुझाव है कि आईआईटी गुवाहाटी इसमें एक मुख्य भूमिका निभाए, और एक सेण्टर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स की स्थापना करे। इसके जरिए हम पूर्वोत्तर को, देश और दुनिया को ऐसा बहुत कुछ दे सकते हैं, जो अमूल्य होगा। साथियों, असम और पूर्वोत्तर देश का ऐसा क्षेत्र है जो संभावनाओं से भरा हुआ है। लेकिन इस क्षेत्र को बाढ़, भूकंप, लैंड स्लाइड और कई इंडस्ट्रियल डिजास्टर जैसी आपदाएँ भी घेरती रहती हैं। इन डिजास्टर से निपटने में इन राज्यों की एनर्जी और एफर्ट खर्च होते हैं। इस समस्याओं से प्रभावी तरीके से निपटा जाए इसके लिए तकनीकी सहायता और हस्तक्षेप की हाई डिग्री जरूरत पड़ती है। मैं आईआईटी गुवाहाटी से ये भी अनुरोध करूंगा कि आप एक सेण्टर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट एंड रिस्क रिडक्शन की स्थापना भी करें। ये सेण्टर इस इलाके की आपदाओं से निपटने की विशेषग्यता भी उपलब्ध कराएगा, और आपदाओं को अवसर में भी बदलेगा। मुझे पूरा भरोसा है कि आईआईटी गुवाहाटी और आप सभी आईआईटी छात्र आगे बढ़ेंगे, तो ये संकल्प भी जरूर सिद्ध होगा। साथियों, लोकल मुद्दों पर फोकस करने के साथ ही हमें अपनी नज़र ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के बड़े कैनवास पर भी सेट करनी होंगी। उदाहरण के लिए, क्या हम अपनी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी में नीश क्षेत्रों को फाइंड आउट कर सकते हैं? ऐसे क्षेत्रों, ऐसे विषयों पर जिन पर देश को और ज्यादा फोकस करने की जरूरत है, हम उन्हें पहचान करना और प्राथमिकता कर सकते हैं क्या? साथियों, आप जब दुनिया में कहीं भी जाएंगे, तो आप अपने आपको गर्व से आईआईटी का बताएँगे। लेकिन मेरी आपसे उम्मीदें  हैं कि आपकी सफलता, आपके रिसर्च योगदान ऐसे हों कि आईआईटी गुवाहाटी और गर्व से कहे कि आप उसके स्टूडेंट हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि आप आईआईटी गुवाहाटी को, अपने संकायों को ये अवसर, ये गुरु दक्षिणा अवश्य देंगे। पूरा देश, 130 करोड़ देशवासी आपमें भरोसा करते हैं। आप इसी तरह लगातार सफल हों, आत्मनिर्भर भारत की सफलता के सारथी बनें, अनेक - अनेक नई ऊंचाइयों को आप प्राप्‍त करते चलें। जीवन में जो सपने संजाए हैं वे सारे सपने संकल्‍प बनें, जो संकल्‍प बनें उसमें परिश्रम की पराकाष्‍ठा हो और नित्‍य नए सिद्धियों का चढ़ाव चढ़ते चलें। ऐसी अनेक शुभकामनाओं के साथ आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, आपके परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए, इस कोरोना के इस समय में जो सबसे ज्‍यादा जरूरी भी है, आप भी उसकी चिन्‍ता करेंगे, अपने परिवार की च‍िन्‍ता करेंगे, अपने आसपास के लोगों की चिन्‍ता करेंगे, अपने परिवार की चिन्‍ता करेंगे, खुद को भी संभालेंगे, परिवार को भी संभालेंगे, आसपास के यार-दोस्‍तों को भी संभालेंगे। सबको स्‍वस्‍थ रहने में मदद करिए, खुद भी स्‍वस्‍थ रहिए। इसी एक भावना के साथ आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।


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