सैफई के पत्रकार सुघर सिंह को फर्जी फंसाए जाने की जांच करेंगे एसपी साउथ कानपुर
> डीआईजी कानपुर प्रीतिंदर सिंह ने एसपी साउथ को सौंपी जाँच।
पत्रकार सुघर सिंह की बोलेरो गाड़ी और नजीराबाद के पूर्व एसओ मनोज रघुवंशी।
इटावा। डीजीपी लखनऊ से मिलकर लौट रहे सैफई निवासी सुघर सिंह को फर्जी मुकदमे में फंसाने की जांच डीआईजी कानपुर ने एसपी साउथ को सौंपी है। पीड़ित सुघर सिंह ने डीआईजी को दिए पत्र में बताया कि 18 मार्च 2020 को प्रदेश के डीजीपी से मिलकर लौट रहे थे तो नजीराबाद के पूर्व एसओ मनोज रघुवंशी जो कि पूर्व परिचित था उसने वीडियो कॉल करके बुलाया और 2 फर्जी मुकदमे लगाकर जेल भेज दिया। सुघर सिंह ने बताया कि उन्होंने सैफई थाने में 5 मुकदमे दर्ज करा रखे हैं उन मुकदमों की वापसी के लिए अभियुक्त व विवेचक अधिकारी लगातार जान से मारने की धमकी व फर्जी मुकदमे में फंसाए जाने की धमकी देते आ रहे हैं। इन अभियुक्तों के खिलाफ अमेठी, लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, आगरा, अयोध्या, इलाहाबाद, बनारस, इटावा में लगभग दो दर्जन से अधिक मुकदमे पंजीकृत हैं और कई बार जेल जा चुके हैं और चार्जशीट लग चुकी है। सैफई थाने में दर्ज मुकदमों में किसी भी अधिकारी ने कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि अपराधियों के साथ मिल गए और मुझे फर्जी तरीके से जेल भिजवा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मनोज रघुवंशी प्रभारी निरीक्षक ने मेरे मुकदमे के अपराधियों से दस लाख रुपए रिश्वत लेकर मुझे फर्जी तरीके से जेल भिजवाया। पुलिस ने मेरा फर्जी एनकाउंटर करने के लिए मेरी रिवाल्वर से फायर किए व फर्जी बरामद तमंचे से भी फायर किए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मेरी जेब से बरामद 82,500 रुपये व सोने की जंजीर और अंगूठी छीन ली। मेरा एनकाउंटर न करने के लिए पत्नी से घर से मुझसे वीडियो कॉल करके 2 लाख रुपये मंगवा लिए जो बहन की शादी के लिए रखे थे। सुघर सिंह ने कहा कि जब पुलिस कोका कोला चौराहे से फर्जी गिरफ्तार करके थाने ले गयी तो थाने पर मेरे मुकदमे में शामिल लगभग एक दर्जन अभियुक्त थाने पर मौजूद थे। थाने की मेज पर फर्जी तमंचा व पुलिस का फर्जी आई कार्ड रखा हुआ था जिसका अपराधियों द्वारा वीडियो बनाया जा रहा था। सीओ ने फर्जी मुकदमे से जुड़े लगभग 30 बिंदुओं पर जांच व रिवॉल्वर व तमंचे की बैलेस्टिक जांच के लिए पत्र दिया है। उन्होंने बताया कि बोलेरो गाड़ी से 20 मुकद्दमा की फाइल व उनसे जुड़े सबूत की फाइल एसओ ने गाड़ी से गायब कर दी इसके अलाबा गाड़ी से काफी कीमती सामान गायब कर दिया गया। गाड़ी में काली फ़िल्म नहीं थी और कागज भी पूरे थे इसके बाबजूद भी फर्जी चालान किया गया। सुघर सिंह ने कहा कि इस मामले में कानपुर के दो बड़े पुलिस अधिकारियों की भी भूमिका है जिसके लिए उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री व मानवधिकार आयोग, अनुसूचित जाति / जनजाति आयोग को पत्र लिखा है।