स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन के लिए उ प्र आबादी सर्वेक्षण और अभिलेख संक्रिया विनियमावली, 2020 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति

> ग्राम पंचायत के साथ ग्रामीणों को सम्पत्ति कार्ड जारी करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने पर आने वाला व्यय ग्राम पंचायत निधि के अन्तर्गत मनरेगा, 15वां वित्त आयोग अथवा आरजीएसए निधि से कवर किया जाएगा।


भारत सरकार द्वारा संचालित स्वामित्व योजना में इन उद्देश्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य है:


1. ग्रामीण भारत के नागरिकों को ऋण और अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी संपत्ति को एक वित्तीय परिसंपत्ति के रुप में प्रयोग करने में सक्षम बनाते हुए उन्हें वित्तीय स्थिरता प्रदान करना।


2. ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि अभिलेखों का निर्माण करना।


3. संपत्ति कर का निर्धारण, जो उन राज्यों में सीधे ग्राम पंचायतों को प्राप्त होगा जहाँ ये विकसित हैं या, राज्य कोषागार को प्राप्त होगा।


4. सर्वेक्षण की अवसंरचना और जीआईएस नक्शों का निर्माण जिनका उपयोग किसी भी विभाग द्वारा अपने उपयोग के लिए किया जा सकता है।


5. जीआईएस0मानचित्रों का उपयोग करते हुए बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने में सहयोग देना।


6. संपत्ति सम्बन्धी विवादों और कानूनी मामलों को कम करना। 



स्वामित्व योजना के अनुरूप गांव में ड्रोन के द्वारा मैपिंग का कार्य करवाते हुए स्वामित्व योजना में गांव की संपत्तियों को ठीक करने का प्रयास है गांव के लोगों को एक मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जाएगा ।


लखनऊ (सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग)।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिनमें मंत्रिपरिषद ने केन्द्र सरकार द्वारा संचालित 'स्वामित्व योजना' के कार्यान्वयन के लिए 'उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण और अभिलेख संक्रिया विनियमावली, 2020' के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र के विधिमान्यीकरण हेतु ग्रामीण आबादी क्षेत्र के संचित अभिलेख तैयार करने के लिए नवीनतम ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से सर्वेक्षण कर उनके स्वामित्व सम्बन्धी अभिलेख तैयार करने के लिए 'स्वामित्व' नामक योजना का शुभारम्भ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल, 2020 को किया गया है। भारत सरकार की इस योजना में उत्तर प्रदेश राज्य के लगभग 1,08,648 ग्रामों की ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण कर स्वामित्व सम्बन्धी अभिलेख वितरित किये जाने हैं। भारत सरकार द्वारा प्रथम चरण (वर्ष 2020-21) में उत्तर प्रदेश राज्य के कुल 54,022 ग्रामों को चिन्हित किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रदेश के 10 मण्डलों - आजमगढ़, वाराणसी, अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, बस्ती, देवीपाटन, झांसी एवं चित्रकूट के 37 जनपदों के कुल 50,294 ग्रामों की ग्रामीण आबादी का ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से सर्वेक्षण एवं अभिलेख क्रिया प्रारम्भ की गयी है। शेष 3,728 ग्राम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 08 मण्डलों से लिये गए हैं, जिसमें प्रत्येक जनपद के लगभग 100 ग्राम सम्मिलित हैं। 'स्वामित्व योजना' के क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकार के पास कोई नियमावली नहीं है अतः योजना के कार्यान्वयन एवं इस क्रम में की जा रही कार्यवाहियों को विधिक संरक्षण प्रदान करने हेतु नियमावली बनाया जाना आवश्यक है। तत्क्रम में 'उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण और अभिलेख संक्रिया विनियमावली, 2020' के प्रख्यापन का निर्णय लिया गया। विनियमावली के द्वारा सर्वेक्षण कार्य, अभिलेखों की तैयारी, अभिलेखों का प्रकाशन एवं अन्तिमीकरण, अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण, अभिलेखों का अद्यतनीकरण की प्रक्रिया निर्धारित होगी। विनियमावली के द्वारा सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कर्तव्य एवं दायित्वों का निर्धारण होगा। जिला अभिलेख अधिकारी केवल सुलह समझौते के आधार पर निवारण करते हुए आपत्ति निस्तारित करेगा। सहायक अभिलेख अधिकारी, अन्तिम ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) तैयार करने की पुष्टि करेगा तथा जिला अभिलेख अधिकारी को सूचित करेगा। जिला अभिलेख अधिकारी सम्बन्धित ग्राम को आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया से पृथक किये जाने से पूर्व ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) जिनका आबादी सर्वेक्षण पूर्ण हो गया हो, की प्रति सम्बन्धित को उपलब्ध करा सकते हैं। इस योजना के अन्तर्गत 03 कार्यों यथा-सम्पत्ति की सीमाओं का चिन्हांकन, सर्वेक्षण के बारे में ग्राम के निवासियों में जागरुकता पैदा करना एवं क्षेत्र में ड्रोन उड़ने से पहले ग्राम पंचायत के साथ ग्रामीणों को सम्पत्ति कार्ड जारी करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने पर आने वाला व्यय ग्राम पंचायत निधि के अन्तर्गत मनरेगा, 15वां वित्त आयोग अथवा आरजीएसए निधि से कवर किया जाएगा। शेष व्यय भार को वहन भू–लेख 'खतौनी' से प्राप्त होने वाली आय (प्रयोक्ता प्रभार) से किया जायेगा और भविष्य में 'घरौनी' से प्राप्त होने वाली आय से समायोजित किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार से अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं होगी।


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