हाथरस मामला जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस राजन रॉय की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया

> कोर्ट ने मृत युवती के परिवार के पांच लोगों के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया सहित शीर्ष अधिकारियों तथा हाथरस के डीएम व एसपी का पक्ष जाना।



कड़ी सुरक्षा के बीच हाई कोर्ट लखनऊ के गेट नंबर 5 से दाखिल होता पीड़िता का काफिला। हाथरस से लखनऊ जाने वाले परिवार के सदस्यों के साथ जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक थे।


लखनऊ। हाथरस कांड को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पक्ष रखा कि कानून व्यवस्था के मद्देनजर जिला प्रशासन ने रात्रि में मृतका का अंतिम संस्कार कराया। इस मामले में राज्य सरकार की नीयत साफ थी और दुर्भावनापूर्ण ढंग से कोई निर्णय नहीं लिया गया। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 2 नवंबर की तारीख तय की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल के तहत सूचीबद्ध किया गया है। न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने दोपहर 2:20 बजे सुनवाई शुरू की। कोर्ट में पीड़ित परिवार के साथ ही राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक व हाथरस के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक पेश हुए। परिवार की बिना मर्जी के अंतिम संस्कार के सवाल पर हाथरस के जिलाधिकारी और एसपी ने कहा कि कानून व्यवस्था के मद्देनजर यह फैसला किया गया था। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं प्राप्त हुए थे। परिजनों ने कहा कि अंतिम संस्कार में उन्हें शामिल नहीं किया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ कथित दुष्कर्म, मारपीट तथा मौत के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने मृत युवती के परिवार के पांच लोगों के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया सहित शीर्ष अधिकारियों तथा हाथरस के डीएम व एसपी का पक्ष जाना। इस दौरान सरकार की तरफ से एएजी विनोद शाही ने सरकार का पक्ष रखा। पीड़ित परिवार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा कुशवाहा ने रखा। डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने कहा कि मृत युवती का रात में अंतिम संस्कार कराने का निर्णय जिले में कानून और व्यवस्था को नियंत्रण में रखने के कारण लिया गया। इस बारे में सरकार की तरफ से कोई दबाव नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने आज की सुनवाई समाप्त कर दी। कोर्ट ने अभी कोई आदेश जारी नहीं किया है। अदालत ने एक अक्टूबर को इस प्रकरण का संज्ञान लिया था। कोर्ट ने आज यह भी कहा कि सरकार को हाथरस मामले में इस तरह की परिस्थितियों में शवों के दाह संस्कार के लिए दिशा-निर्देश तैयार करना ही होगा। अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके साही ने अदालत में राज्य के राज्य प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व किया। कोर्ट में पीड़ित परिवार के सभी पांच लोगों ने अपना-अपना पक्ष रखा। इसके बाद कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह, एडीजी लॉ एंड आर्डर और डीएम हाथरस से सवाल भी किये। हाथरस कांड में आज की सुनवाई बंद कमरे के अंदर हुई। पीड़ित परिवार के अलावा डीजीपी, एडीजी लॉ एंड आर्डर, एसीएस होम के अलावा कमरे में कोई नहीं था। जयदीप नारायण माथुर और प्रदीप भट्टाचार्य भी सुनवाई में मौजूद रहे. कोर्ट ने दोनों वकीलों को हाथरस कांड में अपना सलाहकार बनाया है। 


पीड़ित परिवार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा कुशवाहा ने रखा



सुबह 11.30 बजे कड़ी सुरक्षा में मृतका के माता-पिता, भाई समेत पांच सदस्यों को हाई कोर्ट लाया गया। वहीं, खुद को पीड़ित परिवार का वकील बताते हुए अधिवक्ता सीमा कुश्वाहा ने बताया कि कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले को उत्तर प्रदेश के बाहर के किसी राज्य में ट्रांसफर किया जाए, जांच होने तक सीबीआई सभी तथ्य गोपनीय रखे और परिवार को सुरक्षा मिले। इस परिवार की मांग है कि केस को दिल्ली या फिर मुम्बई स्थानांतरित किया जाए। इसके साथ ही परिवार की यह है कि इस मामले के पूरी तरह से समाप्त होने तक परिवार को कड़ी सुरक्षा में रखा जाए। परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए। पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा ने हाथरस पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि परिवार ने कहा है कि पुलिस ने शुरुआत से ही सही जांच नहीं की। हमें परेशान किया। इस केस में हमारी कोई मदद नहीं की थी। शुरू में तो इस केस में एफआईआर भी नहीं लिखी। इसके साथ ही बिना हमारी सहमति के रात में बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया। उसके अंतिम संस्कार में भी हमें शामिल नहीं किया। हमें तो पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं। डीएम ने भी परिवार पर अनुचित दबाव बनाया।


हाईकोर्ट के आसपास आम दिनों से ज्यादा सख्ती


हाई कोर्ट परिसर के आसपास वैसे तो नियमित रूप से भीड़ रहती है लेकिन हाथरस मामले में सुनवाई को लेकर सोमवार को सभी गेटों पर कुछ ज्यादा ही सतर्कता रही। इसके चलते वकीलों के साथ साथ उन लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ी जिनकी सुनवाई आज होनी थी। गेट नंबर 6 की ओर आने वाले रास्ते पर आम वाहनों का प्रवेश सुबह 10:00 बजे से ही बंद कर रखा था। कोर्ट परिसर में दोपहर 1:30 बजे गेट नंबर 5 से पीड़ित परिवार को गेट नम्बर पांच से प्रवेश दिलाया गया। इस दौरान हाईकोर्ट के आसपास मीडिया वालों को भी जाने नहीं दिया गया। पीड़ित परिवार को गेट नंबर 6 से जाना था लेकिन अचानक सतर्कता के चलते शेड्यूल बदल दिया गया। पीड़ित परिवार को पहले गोमती नगर की विभूति खंड स्थित उत्तराखंड भवन ले जाया गया।


एस आई टी करती रहेगी अपनी जांच


हाथरस कांड को लेकर सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआईटी जल्द अपनी जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि एसआईटी को हाथरस में हुई घटना के पूर्व तथा एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस की भूमिका की जांच सौंपी गई है। एसआईटी अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। एसआईटी की पहली रिपोर्ट के आधार पर ही हाथरस के एसपी विक्रांत वीर व तत्कालीन सीओ राम शब्द समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि एसआईटी ने जांच की है, जबकि सीबीआई घटना की विवेचना करेगी। जांच और विवेचना दोनों अलग-अलग हैं। एसआईटी की जांच में पाई गईं कमियों व गलतियों पर संबंधित पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध शासन कार्रवाई कर सकता है, लेकिन उसकी जांच घटना की विवेचना का हिस्सा नहीं हो सकती। सीबीआई चाहेगी तो एसआईटी से उसकी जांच रिपोर्ट ले सकती है।


सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने दिया था एफिडेविट


सुप्रीम कोर्ट में बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने रात में अंतिम संस्कार कराए जाने को लेकर सफाई दी थी। इसमें हाथरस जिला प्रशासन की ओर से दाखिल एफिडेविट में दावा किया गया कि, जिले को बड़ी हिंसा से बचाने के लिए मृत युवती के माता-पिता को रात में अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया था। खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि वहां पर लाखों लोग एकत्र होंगे, जिससे बड़े बवाल की संभावना थी। यह लोग वहां पर जाति के साथ सांप्रदायिक रंग दे सकते थे। इसी दिन बूलगढ़ी मामले में दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से तीन मुद्दों- गवाहों व परिवार की सुरक्षा, पीड़ित परिवार के पास वकील है कि नहीं और इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस केस का स्टेट्स क्या है। इस पर पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। जिसकी सुनवाई आज होनी है। बूलगढ़ी प्रकरण मामले को सीबीआई ने टेकओवर कर लिया है। राज्य सरकार की सिफारिश पर शनिवार हाथरस कांड की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी गई है। सीबीआई ने केस अपने हाथ में लेने के साथ ही रविवार को गाजियाबाद में एक मामला दर्ज किया है। शाम को टीम हाथरस भी पहुंच गई। आज सीबीआई जांच में तेजी आएगी। बताया जा रहा है कि टीम मृतका के गांव भी जाएगी। 


कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष एडिशनल एडवोकेट जरनल वीके शाही ने रखा



उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से केस की पैरवी कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल वी के शाही ने बताया कि अदालत ने अपना फैसला अभी सुरक्षित रखा है। केस की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी। 2 नवंबर को होने वाली सुनवाई में प्रशासन को उन सभी सवालों के जवाब देने हैं जो पीड़ित परिवार ने अदालत से बयां किए हैं। पीड़ित परिवार को अपने बयानों की एफिडेविट अदालत में दाखिल करनी होगी।


सीबीआई ने शुरु की जांच


गौरतलब है कि हाथरस केस में यूपी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। वहीं, शनिवार को सीबीआई ने यह केस अपने हाथों में ले लिया था। जांच एजेंसी ने रविवार को मुख्य आरोपी संदीप के खिलाफ धारा 307, 376 डी, 302, एससी / एसटी एक्ट की धारा 3 तहत केस दर्ज कर लिया है। आपको बता दें कि सीबीआई की टीम रविवार को हाथरस पहुंची। इस दौरान टीम ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से सभी दस्तावेज मांगे हैं। इससे पहले 3 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने हाथरस पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। इसके बाद सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी।


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