हम षड्यंत्रों को नहीं, मंत्रों को रचते हैं : साध्वी ऋतम्भरा


सीबीआई कोर्ट में साध्वी ऋतम्भरा


वृन्दावन। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में हुए बाबरी ध्वंस के प्रकरण पर बुधवार 30 सितम्बर 2020 को प्रस्तुत हुए सीबीआई न्यायालय के निर्णय का दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा ने स्वागत किया और कहा कि हम निर्णय का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि हम मंत्रों के रचने वाले भारतीय, कभी षड्यंत्र नहीं रचते। अयोध्या का ढाँचा ध्वंस कोई षड्यंत्र नहीं था बल्कि पाँच शताब्दियों से कुचली जा रही हिन्दू आस्थाओं का स्वाभाविक विस्फोट था। अपने आराध्य प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर पूजा - प्रार्थना और भव्य मंदिर के निर्माण के लिए यह साढ़े चार सौ वर्षों के हिन्दू बलिदानों की पूर्णाहुति थी यह घटना। बर्बर मुगल लुटेरे बाबर के सेनापति मीरबाकी द्वारा श्रीराम जन्मभूमि का ध्वंस किया गया, उसकी पुनर्स्थापना के लिए हिन्दू समाज ने लंबा संघर्ष करते हुए लाखों बलिदान दिए किंतु सत्तालोलुप राजनीति ने स्वतंत्र भारत में भी हिन्दू समाज को उसका स्वाभाविक अधिकार नहीं दिया। जब न्याय नहीं मिला, अन्तहीन प्रतीक्षा ने करोड़ों हिन्दुओं को आतुर किया, जिसकी परिणिति ढाँचा ध्वंस के रूप में सामने आई। यह कोई षड्यंत्र नहीं बल्कि लाखों कारसेवकों का खुला आक्रोश था। हम पर आरोप लगाया गया कि हम इस ध्वंस और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के जिम्मेदार हैं, लेकिन आज के निर्णय ने सिद्ध कर दिया कि यह आरोप निराधार और दुर्भावना से प्रेरित था। यह सत्य है कि हमने श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर पाने के लिए अनवरत संघर्ष किया लेकिन वह मुक्ताकाश जैसा खुला हुआ था। उसमें कहीं कोई षड्यंत्र नहीं था। इसपर न्यायालय ने अपनी मुहर लगाई है। इस मामले से जुड़े रहे सभी लोगों के प्रति आभार और माननीय न्यायालय को धन्यवाद, सत्य के पक्ष में निर्णय देने के लिए।


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