सुभाष चिल्ड्रेन होम को बंद करने की सिफारिश, राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम को निरीक्षण में मिली खामियां ।
संस्था ने कुछ महीने पहले छह माह के बच्चे को गोद देने के मामले में भी तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया। निरीक्षण के बाद आयोग के सदस्य साक्षी बैजल और डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने संस्थान को बंद करने की सिफारिश करते हुए शासन को पत्र लिखा है।
कलेक्ट्रेट सभागार में प्रेस वार्ता करते आयोग के सदस्य
दैनिक कानपुर उजाला
कानपुर। राज्य बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने मंगलवार को कानपुर में किदवईनगर स्थित सुभाष चिल्ड्रेन होम के निरीक्षण में खामियां मिलने पर इसे बंद करने की सिफारिश कर दी। संस्था के पास न तो गोद देने की प्रक्रिया संबंधित जानकारी थी और न ही गोद दिए गए बच्चों का कोई रिकॉर्ड। संस्था ने कुछ महीने पहले छह माह के बच्चे को गोद देने के मामले में भी तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया। निरीक्षण के बाद आयोग के सदस्य साक्षी बैजल और डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने संस्थान को बंद करने की सिफारिश करते हुए शासन को पत्र लिखा है। बताया कि हाल में यहां लाए गए छह बच्चों को क्वारंटीन तक नहीं किया गया था। कलक्ट्रेट में प्रेसवार्ता में डॉ. सुचिता और साक्षी बैजल ने बताया कि जो संस्था बच्चों के संरक्षण के प्रति इतनी लापरवाह हो, उसे चलने का कोई अधिकार नहीं। इस संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराई जाएगी। जांच के लिए फाइल मंगाई है।
69 लड़कियों को छोड़ नहीं रहा बाल गृह
टीम ने स्वरूपनगर स्थित बालिका गृह का भी निरीक्षण किया। यहां पाक्सो के तहत रखी गई 69 लड़कियों से मुलाकात की, जो झांसी, एटा, आगरा से लाईं गई थीं। सभी ने घर जाने की इच्छा जताई और उनके घर वाले भी ले जाना चाहते हैं, लेकिन बाल कल्याण समिति उन्हें जाने का आदेश ही नहीं दे रही है। टीम ने प्रक्रिया पूरी कर पीड़िताओं को घर भेजने को कहा।
104 के आए आवेदन
टीम ने बताया कि कोरोना काल के दौरान माता-पिता खोने वाले मंडल के 104 बच्चों के आवेदन बाल स्वराज पोर्टल पर आ चुके हैं। जिनके माता-पिता में से किसी एक की भी मृत्यु हुई है, उन्हें भी प्रायोजक योजना के तहत दो हजार रुपये 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को मिलेंगे। ऐसे बच्चों को आरटीई के तहत स्कूल में प्रवेश दिलाने, श्रम योजना के लाभ, कन्या सुमंगला आदि योजनाओं का लाभ देने के निर्देश टीम ने दिए।