उ. प्र. के विभिन्न न्यायालयों में लंबित 11 लाख से अधिक वादों का हुआ निस्तारण
> 6 अरब से अधिक की धनराशि प्रतिकर एवं भरण-पोषण के रूप में पक्षों को प्रदान की गयी
दैनिक कानपुर उजाला
लखनऊ।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), नई दिल्ली के कार्यपालक अध्यक्ष
माननीय न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायाधीश, माननीय उच्चतम न्यायालय के
निर्देशानुसार व उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माननीय
कार्यपालक अध्यक्ष / कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी के कुशल निर्देशन में सम्पूर्ण उत्तर
प्रदेश में शनिवार 10 जुलाई को राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की गयी। इस लोक
अदालत के लिए कार्यपालक अध्यक्ष उ. प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी द्वारा दिनांक 17 जून से 26 जून एवं 02
जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिला जज स्तर के
अधिकारियों, जिलाधिकारियों तथा समस्त सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों
को अपने उत्प्रेरक संशोधन द्वारा अधिकाधिक वादों के निस्तारण पर विशेष बल
दिया था। इस राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के निमित्त उत्तर प्रदेश
शासन द्वीरा भी सक्रिय योगदान दिया गया। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में
प्री-लिटिगेशन एवं प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में लंबित कुल 11,60,634
वादों का निस्तारण किया गया। जिसमें दीवानी वाद / धारा - 138 नेगोशिएबल
इंस्ट्रूमेंट के वाद, / मनी रिकवरी / मोटर दुर्घटना से संबंधित वाद / बिजली
/ पानी एवं अन्य देय संबंधी वाद, पारिवारिक वाद / भूमि अधिग्रहण से
संबंधित वाद / राजस्व वाद, उपभोक्तावाद, भरण पोषण वाद, भू - सम्पदा
विनियामक वाद, वाणिज्यवाद इत्यादि शामिल हैं। उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में
कुल 354 मोटर दुर्घटना से संबंधित वादों का निस्तारण कराया गया और लगभग
9,00,00,000/- की धनराशि प्रतिकर के रूप में पीड़ित पक्ष को दिलायी गयी।
इसी प्रकार उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ में कुल 78 मोटर दुर्घटना वादों में
2,54,08,439/- की धनराशि प्रतिकर के रूप में पीड़ित पक्ष को दिलायी गयी।
इसके अतिरिक्त प्रदेश के समस्त जिलों में कार्यरत मोटर दुर्घटना प्रतितोष
अधिकरणों के द्वारा पीड़ित व्यक्तियों अथवा उनके परिजनों को 1,26,87,60,948
/- की धनराशि प्रतिकर के रूप में दिलायी गयी तथा अर्थदण्ड के रूप में
3,09,27,224/- की धनराशि वसूल करके राजकीय कोष में जमा करायी गयी। इस
प्रकार उपरोक्त सभी प्रकार के वादों में कुल 6,33,27,62,831 /- की धनराशि
प्रतिकर एवं भरण पोषण के रूप में पक्षों को प्रदान की गयी, जिसमें अर्थदण्ड
की धनराशि भी समाहित है।