कीट की पहचान एवं प्रबन्धन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक

मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों में हानि पहुँचाने वाले फाल आर्मी वर्म कीट प्रबन्धन हेतु एडवाइजरी जारी


दैनिक कानपुर उजाला
उन्नाव।
 जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि जनपद के किसान भाइयों को मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों में हानि पहुँचाने वाले फाल आर्मी वर्म कीट की पहचान एवं प्रबन्धन हेतु एडवाइजरी जारी की है। प्रदेश की जलवायु फाल आर्मी वर्म कीट के लिए अनुकूल है तथा यह एक बहुभोजीय पोलीफैगस कीट है जिसके कारण अन्य फसलों जैसे - मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुँचा सकता है। अतः इस कीट की पहचान एवं प्रबन्धन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है। पहचान एवं लक्षण : - इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचले सतह पर अण्डे देती है, कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती है। अण्डे क्रीमिस से हरे या भूरे रंग के होते है। सर्व प्रथम फाल आर्मी वर्म तथा समान्य सैनिक कीट में अन्तर को कृषकों को समझना अत्यन्त आवश्यक है। फाल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है जिसके शरीर के साथ अलग से टयूवरकल  दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियाँ और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अग्रेजी शब्द का वाई, दिखता है एवं इसके शरीर के दूसरे अन्तिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते हैं तथा अन्य खण्ड पर चार छोटे - छोटे बिन्दु सम्बलम आकार में व्यवस्थित होते हैं। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुँचाता है, लेकिन मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। यह कीट मक्का के पत्तों के साथ - साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढवार की अवस्था में जैसे पत्तियों के छिद्र एवं कीट के मल - मूत्र एवं बाहरी किनारों की पत्तियों पर मल - मूत्र से पहचाना जा सकता है। मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है। प्रबन्धन :- फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण करें, अण्ड परजीवी 2 से 5 ट्राईकोग्रामा कार्ड एवं टेलोनोगरा रेगरा का प्रयोग एग. लेइंग की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। एन.पी.वी. 250 एल.ई., मेटाराइजियम एनिप्सोली एवं नोमेरिया रिलाई आदि जैविक कीटनाशकों का समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली है। यांत्रिक विधि के तौर पर सायंकाल 07 से 09 बजे तक 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाना चाहिए। रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत एस.सी. की 1.5 ली अथवा क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एस.सी. की 150 ग्राम अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की 1.25 ली मात्रा को 500 - 600 ली. पानी में घोलकर छिड़कर करना चाहिए।

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